स्वच्छता अनुष्ठान तक क्यों

कल मोरहाबादी मैदान में आयोजित खादी एवं सरस मेले की स्वच्छता-व्यवस्था को देख कर मन प्रफुल्लित हो गया. हर ओर साफ-सफाई. स्वच्छता को लेकर सतर्क व्यवस्था और उतने ही चौकन्ने लोग. मन को सुकून मिला. ऐसा ही भाव आसपास के लोगों का था. कहीं भी गंदगी नहीं. पूरा-का-पूरा ‘सभ्य परिसर’, परंतु आज रुक्का डैम की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 26, 2017 6:44 AM
कल मोरहाबादी मैदान में आयोजित खादी एवं सरस मेले की स्वच्छता-व्यवस्था को देख कर मन प्रफुल्लित हो गया. हर ओर साफ-सफाई. स्वच्छता को लेकर सतर्क व्यवस्था और उतने ही चौकन्ने लोग.
मन को सुकून मिला. ऐसा ही भाव आसपास के लोगों का था. कहीं भी गंदगी नहीं. पूरा-का-पूरा ‘सभ्य परिसर’, परंतु आज रुक्का डैम की गंदगी देख कर अवाम और सरकार, दोनों की अकर्मण्यता से मन क्षुब्ध हो गया. चारों ओर गंदगी-ही-गंदगी. सफाई की न तो व्यवस्था, न चिंता.
स्वच्छता से दूर-दूर तक नाता नहीं. मन बार-बार एक ही सवाल पूछ रहा है – क्या हम सचमुच में सभ्य समाज हैं? क्या स्वच्छता केवल अनुष्ठान का विषय है, व्यवहार का नहीं? स्वच्छता हमारे आचरण से इतना दूर क्यों? हम क्यों स्वेच्छा से स्वच्छता नहीं अपना सकते, जबकि दोनों स्थानों (खादी एवं सरस मेले और रुक्का डैम) पर हम ही हैं! दोनों से सरोकार हमारा ही है. फिर यह विरोधाभास क्यों? इसके लिए जिम्मेदार कौ‍न‍?
अनूप कुमार सिन्हा, हरमू.

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