कलाम से सीखें नेतागण

आज अगर किसी नेताजी के यहां बेटे का जन्म होता है, तो उसका पालन-पोषण सबसे अलग तरीके से होता है. दुनिया की हर चीज उसकी खिदमत में हाजिर रहती है, चाहे वह मांगे या न मांगे. स्कूल में कदम रखने से लेकर परीक्षाओं में पास करने तक पिता का प्रभाव और पैरवी काम आती है. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 5, 2017 6:54 AM
आज अगर किसी नेताजी के यहां बेटे का जन्म होता है, तो उसका पालन-पोषण सबसे अलग तरीके से होता है. दुनिया की हर चीज उसकी खिदमत में हाजिर रहती है, चाहे वह मांगे या न मांगे.
स्कूल में कदम रखने से लेकर परीक्षाओं में पास करने तक पिता का प्रभाव और पैरवी काम आती है. पढ़ाई के नाम पर गाड़ी, बॉडीगार्ड, घर पर ट्यूशन, सब कुछ मिलता है. नये-नये मोबाइल, बाइक और वीडियो गेम में समय बिताते वह धीरे-धीरे बड़ा होता जाता है. पैसा ही सबकुछ है, ऐसे विचारों के साथ वह अपने पिता को ही भगवान मानने लगता है. स्वभाव में विनम्रता नहीं दिखती. मेहनत करने वाले दूसरों के प्रति सम्मान नहीं दिखता.
काश! माता – पिता बच्चों को शिक्षा का महत्व समझाते. बच्चों की हर मांग को पूरी करने के बजाय, अपनी मेहनत से सफल होने को प्रेरित करते. यह सच है कि विनम्रता ही संस्कार की झलक देती है. उसे विनम्र रह कर सभी की मेहनत का सम्मान करना सिखाते. इन नेताओं को पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के जीवन से सीखना चाहिए. उन्होंने कभी अपने कर्मचारी से जूता नहीं साफ करवाया. वह अपने मेहमानों के स्वागत में होने वाले खर्च का भुगतान स्वयं करते थे. वह हमेशा विनम्र रहे और हर व्यक्ति का सम्मान किया.
उनकी जीवनी को अवश्य पढ़नी चाहिए और उससे प्रेरणा लेनी चाहिए. आज के नेताओं को शायद नहीं मालूम कि बेटा सपूत हो या कपूत, उसके लिए धन संचय करना बेकार है, क्योंकि अगर बेटा होनहार होगा, तो वह खुद ही अपने बूते संपत्ति अर्जित कर लेगा और अगर बेटा नालायक हुआ, तो खुद सारी पूंजी को गंवा देगा.
रानू घोष, रांची

Next Article

Exit mobile version