उत्तर कोरिया बूते से बाहर
28 नवंबर को उत्तर कोरिया ने एक और अंतरमहाद्वीपीय प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण किया. विश्व को अब यह मान लेना चाहिए कि प्योंगयोंग उसके बूते से बाहर जा चुका है. दर्जनभर से ज्यादा बार उस पर प्रतिबंध लगाये गये. हर बार पहले से ज्यादा प्रभावशाली बताया गया, मगर हर दफा उत्तर कोरिया पहले से कहीं अधिक […]
28 नवंबर को उत्तर कोरिया ने एक और अंतरमहाद्वीपीय प्रक्षेपास्त्र का परीक्षण किया. विश्व को अब यह मान लेना चाहिए कि प्योंगयोंग उसके बूते से बाहर जा चुका है. दर्जनभर से ज्यादा बार उस पर प्रतिबंध लगाये गये. हर बार पहले से ज्यादा प्रभावशाली बताया गया, मगर हर दफा उत्तर कोरिया पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली या तो राॅकेट दागे या अणुबम फोड़े या मिसाइल दागी. 2006 से 2016 तक उसने छह न्यूक्लियर बमों का परीक्षण किया. 1984 से लेकर 2017 तक 38 मिसाइलें दागीं.
इतना ही नहीं, 1998 से लेकर 2017 तक उसने छह राॅकेट भी छोड़े. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ही इसका दोषी है. उसी का स्थायी सदस्य चीन खुलकर उत्तर कोरिया की मदद कर रहा है. बीमारी को जानते हुए भी गलत इलाज हो रहा है. ऐसा लगता है कि ये सभी परीक्षण पियोंगयोंग नहीं, बल्कि बीजिंग कर रहा है.
जंग बहादुर सिंह, इमेल से
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