एक साथ चुनाव कराने का अर्थ

प्रोफेसर योगेंद्र यादव जी ने अपने लेख में ‘एक साथ चुनाव कराने का अर्थ’ में जो बातें कही हैं, काफी प्रशंसनीय है. देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराना संसदीय व्यवस्था के प्रति जोखिम लेना ही हो सकता है, क्योंकि जब लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ होंगे, तब कोई एक मुद्दा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 22, 2017 7:24 AM
प्रोफेसर योगेंद्र यादव जी ने अपने लेख में ‘एक साथ चुनाव कराने का अर्थ’ में जो बातें कही हैं, काफी प्रशंसनीय है. देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराना संसदीय व्यवस्था के प्रति जोखिम लेना ही हो सकता है, क्योंकि जब लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ होंगे, तब कोई एक मुद्दा गौण हो जायेगा.
ऐसे में जनता में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी कि वह किस मुद्दे पर किसको वोट दे. इसी असमंजस की स्थिति में कहीं-न-कहीं सत्ता का केंद्रीयकरण हो गया, तो लोकतंत्र का नाश हो जायेगा. केंद्र सरकार मनमाना कर सकती है और राज्यों का अधिकार हनन हो सकता है.
और फिर लोकतंत्र और राजतंत्र में फर्क ही नहीं रह जायेगा. इसलिए चुनाव आयोग को चाहिए कि वह अपनी चिंता या अपनी थकावट कम करने के चक्कर में लोकतंत्र को अपाहिज न बना बैठे. चुनाव आयोग को चाहिए कि वह इसे संसद में तथा देश में जनता के बीच बहस का मुद्दा बनाने पर जोर दे, जिससे लोकतंत्र सुरक्षित रह सके.
अरुण कुमार साहु, हंटरगंज ,चतरा
आधार से जुड़ी लापरवाही

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