यात्रा के आयाम

हाल ही में दक्षिण भारत की यात्रा के दौरान ऐसे अनेक यात्रियों से मिलना हुआ, जिनकी उम्र सत्तर पार थी, फिर भी उनमें युवाओं सा उत्साह था. वहीं कुछ ऐसे भी थे, जो युवा होते हुए भी प्रौढ़ सा रुख अख्तियार किये हुए थे. मैंने महसूस किया कि यात्रा तभी करनी चाहिए जब आप तन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 6, 2017 8:38 AM
हाल ही में दक्षिण भारत की यात्रा के दौरान ऐसे अनेक यात्रियों से मिलना हुआ, जिनकी उम्र सत्तर पार थी, फिर भी उनमें युवाओं सा उत्साह था. वहीं कुछ ऐसे भी थे, जो युवा होते हुए भी प्रौढ़ सा रुख अख्तियार किये हुए थे. मैंने महसूस किया कि यात्रा तभी करनी चाहिए जब आप तन और मन दोनों से ऊर्जावान हैं. यात्रा का रोमांच किसी को थका दे सकता है, तो किसी को जीने की प्रेरणा दे सकता है.
घुमक्कड़ लेखक जॉर्ज ब्लॉटिंग का कहना है कि यात्रा का आनंद उठाना सही मायने में यात्रा को जीना है. विपरीत मौसम की मार, ट्रेनों के लेट होने से उपजी असुविधा या किसी सदस्य के बीमार पड़ जाने से हुई तकलीफ आदि अगर आपकी हिम्मत को नहीं तोड़ पाती है, तो इसका मतलब है कि आपने घुमंतु विद्या को अच्छी तरह ग्रहण किया है.
हमारा मन एक ब्रह्मांड है. यहां बाह्य जगत का आविर्भाव और दर्शन दोनों होता है. हम अपने चैतन्य अवस्था में दृश्य और देखने की प्रक्रिया जब एक-दूसरे को आत्मसात कर लेते हैं, तब उससे उत्पन्न आनंद शाश्वत हो जाता है. इसलिए यात्रा के दौरान मन को भी जागृत रखना चाहिए. हमारी टीम की एक नयी सदस्या की यह पहली यात्रा थीं.

वह थकान से पस्त थीं. उन्होंने अपने अनुभव में केवल उन क्षणों को याद रखा था, जिसमें वह एड़ी के दर्द से बेहाल थी और जल्द यात्रा समाप्ति के लिए प्रार्थना कर रही थी. उन्होंने बताया कि अगली बार वह ऐसी यात्रा पर नहीं जाना चाहेंगी, आखिर वही पहाड़, नदी और सूरज तो हर जगह मौजूद हैं. अब उन्हें कौन समझाये कि सूरज तो पूरे ब्रह्मांड में एक ही है. पर, कहीं वह समुद्र से ऊपर उठता है, कहीं फुनगियों पर टंगता है, तो कहीं गगनचुंबी इमारतों के बीच ठहर जाता है. पर उसे देख जिस अलौकिक एहसास का अनुभव होता है, उसे ही जहन में भरने तो लोग जाते हैं. सुंदरता तो देखनेवालों की आंखों में होती है.

जीवन की गुणवत्ता तलाश से जुड़ी है. जब यह तलाश हमारे सौंदर्यबोध को चैतन्य अवस्था में लाकर ज्ञान और सुकून से भर देती है, तब वह गुणवत्ता शाश्वत हो जाती है. यात्रा का आयाम सांस्कृतिक परिवेश से जुड़ा है, जिसमें स्वतंत्रता, अनुशासन और आनंद शामिल हैं. यात्रा का आनंद मन और जीवन की दशा तय करता है. यह जीवन की एकरसता को हटाकर जोश और उत्साह का समावेश करता है, जिससे हमारी उत्पादक क्षमता बढ़ती है. यात्रा की प्रेरणा भी उन्हीं को मिलती है, जिनमें परिश्रम और संघर्ष करने के साथ सृजनात्मकता का बोध हो. अपनी सांसों के तारतम्य को प्रकृति और पर्व की लय में घुल जाने दें, फिर न तो उम्र का बोझ दिखेगा, न अवसाद की पीड़ा.
कविता विकास
लेखिका
kavitavikas28@gmail.com

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