दक्षता पर ध्यान

लगभग तीन साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिस बल को ‘स्मार्ट’ बनाने का मंत्र दिया था. नवंबर, 2014 में पुलिस महानिदेशकों की बैठक में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पुलिसकर्मियों के पास सुरक्षा के पर्याप्त साधन के साथ प्रशिक्षण और प्रौद्योगिक दक्षता का भी होना जरूरी है. इसी सोच के अनुरूप पुलिस […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 29, 2017 7:09 AM

लगभग तीन साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिस बल को ‘स्मार्ट’ बनाने का मंत्र दिया था. नवंबर, 2014 में पुलिस महानिदेशकों की बैठक में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पुलिसकर्मियों के पास सुरक्षा के पर्याप्त साधन के साथ प्रशिक्षण और प्रौद्योगिक दक्षता का भी होना जरूरी है.

इसी सोच के अनुरूप पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए केंद्र सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपये मंजूर किये हैं. आधुनिकीकरण के तहत कुल 17 योजनाओं पर काम किया जायेगा, जिसमें कामकाज के कंप्यूटरीकरण से लेकर प्रशिक्षण, जांच-पड़ताल, अभियोजन और अत्याधुनिक सुरक्षा-उपकरणों की खरीद शामिल हैं.

निश्चित ही यह योजना सराहनीय है, इसमें खर्च की राशि बढ़ायी गयी है और खर्च का अधिकतर (80 प्रतिशत) हिस्सा केंद्र ने स्वयं देना स्वीकार किया है. ऐसी ही एक पांच वर्ष की योजना पर यूपीए-2 की सरकार ने लगभग सवा 12 हजार करोड़ रुपये की राशि खर्च मंजूर की थी. सो, अब माना जा सकता है कि पुलिस बल के आधुनिकीकरण की योजना आगे भी जारी रहेगी और इस मद में होनेवाले खर्च का राज्यों पर भार कम होगा.

देश में कानून के राज को कारगर बनाये रखने के लिए पुलिस बल के आधुनिकीकरण की जरूरत लगातार महसूस की जाती रही है. प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी, जांच-पड़ताल की नयी तकनीक और सुरक्षा के नये उपकरण तथा अन्य साजो-सामान निश्चित ही पुलिस-बल को ज्यादा कुशल, तत्पर, संवेदनशील और जवाबदेह बनाने में मददगार साबित होते हैं.

एक बड़ा पक्ष यह भी है कि देश में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल नहीं है. बीते अप्रैल माह तक देश में पुलिसकर्मियों के तकरीबन 24 प्रतिशत पद (लगभग साढ़े पांच लाख) रिक्त थे. उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में पुलिसकर्मियों के 50 प्रतिशत तक पद खाली रहना चिंताजनक है.

स्वस्थ्य कानून-व्यवस्था की जरूरत महसूस करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने इन पदों को जल्द भरने के निर्देश भी दिये थे. ऐसे में मौजूदा जरूरतों के अनुरूप मॉडल पुलिस एक्ट को अमल में लाना आवश्यक हो गया है. सर्वोच्च न्यायालय ने 2006 में पुलिस को राजनीतिक दबाव से मुक्त रखने, जवाबदेह और कर्तव्य पालन में दक्ष बनाने के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किये थे.

इसमें सूबों में सुरक्षा आयोग बनाना, पुलिस महकमे में नियुक्ति की अवधि सुनिश्चित करना, जांच को विधि-व्यवस्था की बहाली के काम से अलग रखने और शिकायत निवारण के लिए प्राधिकरण बनाने जैसी कई बातें थीं. इस दिशा में अगर केंद्र-राज्य सरकारें मिलकर व्यवस्थागत बदलाव को गति देने में सफल होंगी, तभी देश में भयमुक्त और सुरक्षित समाज का निर्माण संभव हो सकेगा.

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