ग्रामीण विकास की भी सोचें

जिस देश में आजादी के 70 साल बाद भी गरीबी समाप्त नहीं हो सकी, ग्रामीण इलाकों का सर्वांगीण विकास नहीं हो सका, उस देश में दुर्गापूजा के नाम पर करोड़ों-करोड़ रुपये खर्च करना कहां की बुद्धिमानी है? हर पूजा कमिटी अपने पूजा बजट में कटौती कर ग्रामीण इलाकों के विकासमूलक कार्य में स्थानीय प्रशासन का […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 22, 2017 9:34 AM
जिस देश में आजादी के 70 साल बाद भी गरीबी समाप्त नहीं हो सकी, ग्रामीण इलाकों का सर्वांगीण विकास नहीं हो सका, उस देश में दुर्गापूजा के नाम पर करोड़ों-करोड़ रुपये खर्च करना कहां की बुद्धिमानी है? हर पूजा कमिटी अपने पूजा बजट में कटौती कर ग्रामीण इलाकों के विकासमूलक कार्य में स्थानीय प्रशासन का साथ दें, तो इससे समाज का बड़ा भला व उपकार होगा.

विकास करना केवल सरकार की जिम्मेवारी नहीं है. ध्यान देने की बात है कि एक-एक पूजा कमिटी का बजट 50 से 60 लाख का होता है, बल्कि उससे भी ज्यादा. अगर पूजा बजट का 10 फीसदी राशि भी ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए पूजा कमिटी खर्च करें, तो हर गांव की तसवीर और तदबीर दोनों बदल सकती है.

पारो शैवलिनी, आसनसोल
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