बाढ़ की विभिषिका में लचर व्यवस्था

हर साल की तरह इस बार भी देश के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में है. बाढ़ और महानगरों में जलजमाव की समस्या से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया गया है. यह कोई नई बात नहीं है, हर साल देशवासियों को इस समस्या से जूझना पड़ता है. जब बाढ़ आती है, तो प्रशासन की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 23, 2017 6:31 AM
हर साल की तरह इस बार भी देश के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में है. बाढ़ और महानगरों में जलजमाव की समस्या से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया गया है.
यह कोई नई बात नहीं है, हर साल देशवासियों को इस समस्या से जूझना पड़ता है. जब बाढ़ आती है, तो प्रशासन की तरफ से युद्ध स्तर पर बचाव कार्य तो शुरू कर दिए जाते हैं, लेकिन बाढ़ के पहले या बाद में इस समस्या का स्थायी हल आज तक ढूंढ़ने क प्रयास नहीं किया गया.
बाढ़ की विभीषिका में लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है और बाद में जनप्रतिनिधियों द्वारा बाढ़ पीडितों को कुछ सहायता और वादों का झुनझुना दे दिया जाता है. प्रशासन को भी पहले से सजगता दिखाने की जरूरत है, जिससे नुकसान कम से कम हो सके.
पूजा पाण्डेय, बस्ती, इमेल से

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