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नयी किताब : आधार की यात्रा

वरिष्ठ पत्रकार शंकर अय्यर की नयी किताब ‘आधार: भारत की 12-अंकीय क्रांति का बायोमेट्रिक इतिहास’ भारत में आधार की यात्रा का शानदार वृत्तांत पेश करती है. यह अंग्रेजी किताब ‘आधार: ए बॉयोमेट्रिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया’ज 12-डिजिट रिवोल्यूशन’ का हिंदी अनुवाद है, जिसे लेखक-फिल्मकार अनु सिंह चौधरी ने किया है. यह किताब आधार की अवधारणा से […]

वरिष्ठ पत्रकार शंकर अय्यर की नयी किताब ‘आधार: भारत की 12-अंकीय क्रांति का बायोमेट्रिक इतिहास’ भारत में आधार की यात्रा का शानदार वृत्तांत पेश करती है. यह अंग्रेजी किताब ‘आधार: ए बॉयोमेट्रिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया’ज 12-डिजिट रिवोल्यूशन’ का हिंदी अनुवाद है, जिसे लेखक-फिल्मकार अनु सिंह चौधरी ने किया है. यह किताब आधार की अवधारणा से लेकर उसके जन्म तक का तारीखी दस्तावेज है.

आधार की परिकल्पना को साकार करनेवाले नंदन नीलेकणि ने साल 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी के कहने पर इंफोसिस की नौकरी छोड़कर आधार तैयार करने का काम संभाला था. साल 2014 के आम चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी आधार के विरोधी थे, लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद किस तरह से मोदी ने आधार लागू किया, इसका दिलचस्प इतिहास है यह, जो दिन-तारीख के साथ संवाद-बैठकों से निकले विचारों को दर्ज करते हुए आगे बढ़ती है.
आज जिस तरह से हर काम के लिए आधार मांगा जा रहा है, और इससे जो कुछ मुश्किलें आ रही हैं, आधार की शुरुआत इन्हीं मुश्किलों को हल करने के उद्देश्य से की गयी थी. नंदन नीलेकणी और इससे जुड़े ब्यूरोक्रेट्स की बैठकों में यह बात सामने आती रही कि हर भारतीय की एक पहचान होनी चाहिए और इस पहचान से ही योजनाओं को जोड़ा जाये, ताकि लाभुकों को योजनाओं का लाभ मिल सके. बरसों से सरकारी योजनाओं में रिसाव होता आ रहा है, जिससे जरूरतमंदों तक जीवन की बुनियादी चीजें नहीं पहुंच पाती हैं.
इस रिसाव के लिए जिम्मेदार खुद ब्यूरोक्रेसी और ग्रामीण स्तर पर प्रशासन एवं वितरण तंत्र है. और यह बताने की जरूरत तो है नहीं कि ब्यूरोक्रेसी, शासन-प्रशासन और वितरण तंत्र में किन जातियों का दबदबा है. ग्रामीण क्षेत्रों में सब्सिडी वाली सरकारी योजनाओं में एक बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता रहा है. आधार की परिकल्पना में इस भ्रष्टाचार को दूर करना भी है. यही वजह है कि तत्कालीन मनमोहन सरकार ने आधार को डीबीटी (डाइरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर) से जोड़ा था, जिससे कि लाभ सीधे जरूरतमंद को मिले.
आधार के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह की मुश्किलें खड़ी हुई हैं, उसे लेकर भी सवाल उठाते हुए एक दूसरी किताब लिखे जाने की जरूरत महसूस होती है. <शफक महजबीन
किताब ‘आधार: भारत की 12-अंकीय क्रांति का बायोमेट्रिक इतिहास’ आधार की अवधारणा से लेकर उसके जन्म तक का तारीखी दस्तावेज है.

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