प्रस्तुति : आरती श्रीवास्तव
सही समय पर सही निर्णय लेना और अवसर की पहचान करना सफल मनुष्य की पहचान है. सौर उद्यमी विशाल कुंभरदारे वैसे ही लोगों में से एक हैं. पचास हजार रुपये से शुरू किया उनका बिजनेस आज 50 करोड़ के टर्नओवर में बदल चुका है.
एलपीजी डीलर से शुरू किया काम : विशाल कुंभरदारे को बचपन से ही अलग-अलग जगह देखने का शौक था. इसी कारण 10वीं के बाद वे महाबलेश्वर छोड़ सतारा चले आये. सतारा से 12वीं करने के बाद उन्होंने पुणे का रुख किया. ग्रेजुएशन करने के बाद वे वापस महाबलेश्वर लौटे और परिवारिक दुकान संभालने लगे. इसी दौरान उन्होंने देखा कि उनकी दुकान में किरासन तेल की काफी मांग है. ग्राहकों से पूछने पर पता चला कि महाबलेश्वर में गैस सिलिंडर की काफी कमी है.
बस यहीं से उनके दिमाग में एलपीजी डीलर बनने का ख्याल आया. विशाल कहते हैं, ‘मैंने सोचा कि जब महाबलेश्वर जैसे छोटे शहर में गैस सिलिंडर की इतनी मांग है तो पुणे जैसे बड़े शहर में तो यह और भी ज्यादा होगी.’ गैस एजेंसी शुरू करने के लिए उन्होंने फिर से पुणे लौटने का इरादा किया.
दोस्तों से पैसे ले शुरू किया बिजनेस : वर्ष 2006 में विशाल पुणे लौट आये. उस समय उनके पास मात्र पंद्रह हजार रुपये थे, जबकि डीलरशिप शुरू करने के लिए पचास हजार रुपये की जरूरत थी. दोस्तों और परिवार के सहयोग से पैंतीस हजार रुपये जुटाये गये. इस प्रकार गैस एजेंसी शुरू हो गयी.
तब उनकी उम्र महज 25 वर्ष थी. बहुत जल्द उन्हें इस बात का आभास हो गया कि पुणे में मांग से ज्यादा एलपीजी की आपूर्ति है. दूसरे, धीरे-धीरे वहां के रेजिडेंशियल कॉम्पलेक्स गैस सिलिंडर छोड़ पाइपलाइन अपनाने लगे थे. विशाल ने गैस पाइपलाइन के बारे में जांच-पड़ताल शुरू कर दी.
जानकारी जुटाने के बाद, वर्ष 2009 में उन्होंने सिद्धकला रिन्यूएबल एनर्जी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड नाम से गैस पाइपलाइन का बिजनेस शुरू किया. यहां उन्हें उम्मीद से कम सफलता मिली. इसी बीच कंस्ट्रक्शन कंपनियों की विजिट के दौरान उन्होंने महसूस किया कि कन्वेशनल एनर्जी के विकल्प के तौर पर रिन्यूएबल एनर्जी उभर रही है. विशाल ने बदलते समय और बाजार के मांग के अनुरूप खुद को ढालने का ठान लिया और सौर हीटर और पैनल के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी.
खुद की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट : सौर उत्पादों के निर्माता से मिलने के लिए वर्ष 2011 में विशाल ने दो बार चीन का दौरा किया. इसके तुरंत बाद उन्होंने सौर हीटर, लाइटिंग सिस्टम और पैनल का व्यापार शुरू कर दिया. वे चीन से पार्ट्स खरीद कर लाते और पुणे में उसे एसेंबल करते. वर्ष 2011 में उनका टर्नओवर आठ करोड़ और 2013 में 14 करोड़ पहुंच गया.
इसी बीच उन्होंने निर्णय लिया कि वे सस्ते और लाभदायक सौदे के लिए वे भारत में निर्माण इकाई लगायेंगे. वर्ष 2013 में ही पांच करोड़ की लागत से महाबलेश्वर के नजदीक वई में एक निर्माण इकाई लगायी गयी. वर्ष 2016 में विशाल का टर्नओवर 50 करोड़ पहुंच गया. वर्तमान में उनकी फैक्ट्री में 100 लोग कार्यरत हैं और सौर उत्पादों का उनका बाजार पुणे, महाबलेश्वर, सतारा, मुंबई और गोवा तक फैल चुका है.