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साल 2015 के भूकंप के बाद हर साल बेची जा रहीं हैं 12 हजार नेपाली लड़कियां

साल 2015 के भूकंप के बाद आयी तेजीनेपाल में गरीबी से त्रस्त युवतियां तस्करी का शिकार हो रहीं हैं. यहां से हर साल लगभग 12 हजार लड़कियों को दूसरे देशों में बेचा जाता है. नेपाल के कई शहरों में शाम ढलते ही डांसबार की महफिल सजने लगती है. यहां सज-धजकर नाच रही लड़कियों के बीच […]

साल 2015 के भूकंप के बाद आयी तेजीनेपाल में गरीबी से त्रस्त युवतियां तस्करी का शिकार हो रहीं हैं. यहां से हर साल लगभग 12 हजार लड़कियों को दूसरे देशों में बेचा जाता है.

नेपाल के कई शहरों में शाम ढलते ही डांसबार की महफिल सजने लगती है. यहां सज-धजकर नाच रही लड़कियों के बीच फिल्मी धुनों पर लोग थिरकने लगते हैं.

जैसे-जैसे रात चढ़ने लगती है यहां ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगती है. बार में पहुंचे खरीदार बार में मौजूद लड़कियों की बोली लगाते हैं. सौदा तय हो जाता है और ये महफिल सुबह तक ऐसे ही चलती रहती है.

इसके बाद ये लड़कियां देश-विदेश के बड़े-बड़े शहरों में मौजूद डांस बार में बेच दी जाती हैं. नेपाल से लड़कियों की तस्करी कोई नयी बात नहीं है. 2015 में आये विनाशकारी भूकंप के बाद लड़कियों की तस्करी में अचानक तेजी ने नेपाल पुलिस की चिंता बढ़ा दी है. नेपाल पुलिस प्रवक्ता मनोज नेऊपाने ने बताया कि हमने इस साल नवंबर तक 2,700 से भी ज्यादा नेपाली लड़कियों को तस्करों और दलालों के चंगुल से छुड़वाया है. मनोज बताते हैं कि मानव तस्करी का यह जाल बहुत बड़ा है. इसके तार भारत और विदेशों तक फैले हुए हैं. मानव तस्करी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए नेपाल पुलिस में एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया है. एक अमेरिकी संस्थान के शोध के अनुसार हर साल 12 हजार नेपाली लड़कियों की तस्करी होती है.

गरीबी की वजह से होती है तस्करी

नेपाल के अधिकारियों और भारत के सीमा प्रहरियों का कहना है कि गरीबी मानव तस्करी का सबसे बड़ा कारण है. नेपाल के दूर-दराज के इलाकों में रोजगार के संसाधन नहीं होने की वजह से बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है. लड़के तो भारत जाकर काम तलाशते हैं, लेकिन लड़कियों के पास कोई सुनीता दानुवर कम उम्र में ही तस्करी का शिकार हो गयीं थीं.

उन्हें मुंबई ले जाया गया जहां उनका बलात्कार हुआ. फिर उन्हें जबरन जिस्मफरोशी के काम में धकेला गया. मगर एक दिन उस जगह पुलिस का छापा पड़ा जहां सुनीता को रखा गया था. पुलिस ने उन्हें वहां से निकाला और वापस नेपाल भेज दिया.

नेपाल-भारत की सीमा पर तैनात सशस्त्र बल के अधिकारियों का कहना है कि भारत और नेपाल की 1,751 किलोमीटर लंबी सीमा पर तस्करी को रोकना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. सोनौली बॉर्डर पर तैनात पुलिस प्रमुख दिलीप कुमार झा बताते हैं कि उन लड़कियों को रोकना मुश्किल है जो वयस्क हैं और अपनी मर्जी से सरहद पार कर रही होती हैं.

हम जानते हैं कि ये लड़कियां तस्करी का शिकार हो सकती हैं. मगर हम कुछ नहीं कर सकते क्योंकि उनके पास सही दस्तावेज होते हैं और वो वयस्क होती हैं. कभी जब शक पुख्ता होता है तो हम ऐसी लड़कियों को नेपाल पुलिस के अधिकारियों या वहां के सामाजिक संगठनों को सौंप देते हैं.

(इनपुट बीबीसी)

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