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ये है नोबेल पुरस्कार, 2019 के विजेता, जानें इनके बारे में विस्‍तार से

इस हफ्ते साल 2019 के नोबेल पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की गयी, जिस पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं. अर्थशास्त्र को छोड़ कर शेष सभी क्षेत्राें के विजेताओं की घोषणा की जा चुकी है. भौतिकी, रसायन, मेडिसिन, साहित्य और शांति आदि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करनेवालों को नोबेल पुरस्कार विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्रदान […]

इस हफ्ते साल 2019 के नोबेल पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की गयी, जिस पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं. अर्थशास्त्र को छोड़ कर शेष सभी क्षेत्राें के विजेताओं की घोषणा की जा चुकी है. भौतिकी, रसायन, मेडिसिन, साहित्य और शांति आदि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करनेवालों को नोबेल पुरस्कार विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्रदान करते हैं. यह बात दीगर है कि नोबेल पुरस्कार भी विवादों से अछूते नहीं रहे हैं. इस साल के पुरस्कार विजेताओं, उनकी विशिष्टताओं और उन पर जारी विमर्शों की जानकारी के साथ प्रस्तुत है इन दिनों पेज….
नोबेल शांति पुरस्कार, 2019
अबी अहमद अली
जन्म : 1976, जिमा जोन,
दक्षिण इथोपिया.
डॉक्ट्रेट (शांति एवं सुरक्षा) आदिस अबाबा विश्वविद्यालय, ट्रांसफॉरमेशनल लीडरशिप में मास्टर्स, ग्रीनविच विवि, लंदन.
शांति एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग, सीमा विवाद हल करने में अहम भूमिका
साल 2019 का नोबेल शांति पुरस्कार इथोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद को दिया जायेगा. उन्हें यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय सहयोग और शत्रु देश इरीट्रिया के साथ शांति स्थापित करने के लिए दिया जा रहा है. उन्होंने इरीट्रिया के साथ दो दशक से जारी संघर्ष को खत्म करते हुए शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभायी है.
अबी ने पिछले वर्ष इरीट्रिया और जिबूती के बीच राजनीतिक शत्रुता को खत्म कर कूटनीतिक रिश्तों को सामान्य बनाने में मदद की थी. इसके अलावा केन्या और सोमालिया में समुद्री इलाके में चल रहे संघर्ष को खत्म करने में मध्यस्थता की थी.
अबी नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त करनेवाले 100वें व्यक्ति हैं. अबी अहमद (43 वर्ष) को इथोपिया का ‘नेल्सन मंडेला’ भी कहा जाता है. नोबेल समिति के अनुसार, अबी के इन प्रयासों से इथोपिया और इरीट्रिया की पूरी आबादी के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आयेगा. वर्ष 1995 में उन्होंने रवांडा में यूएन के शांति दूत के रूप में काम किया. साल 2010 में उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ.
ओरोमो पीपुल्स डेमोक्रेटिक ऑर्गनाइजेशन के सदस्य और बाद में संसद सदस्य बने. इस बीच मुस्लिमों और ईसाइयों के बीच जारी संघर्ष को रोकने के लिए उन्होंने विभिन्न स्तरों पर प्रयास किया और इसके लिए उन्होंने ‘शांति के लिए एक धार्मिक मंच’ नामक फोरम की स्थापना भी की थी.
साहित्य का नोबेल पुरस्कार
ओल्गा तोकार्चुक
जन्म : 1962, सुलेशॉ, पोलैंड
साहित्य का 2018 का नोबल पुरस्कार पोलिश लेखिका ओल्गा तोकार्चुक को दिया गया है.
स्वीडिश एकेडमी के अनुसार, यह पुरस्कार 76 वर्षीय ऑस्ट्रियाई उपन्यासकार और नाटककार पीटर हैंडका को साहित्य के क्षेत्र में प्र‌भावशाली कार्य के लिए दिया गया है. उन्होंने सरल भाषा में मानवीय अनुभवों पर आधारित लेखन किया है. हालांकि, एक वक्त था जब हैंडका ने साहित्य के नोबेल पुरस्कार को बंद किये जाने की वकालत की थी. उन्होंने कहा था कि इसके विजेताओं का गलत तरीके से महिमामंडन किया जाता है.
साल 1960 में साहित्यिक गतिविधियों पर उन्होंने नाराजगी जाहिर की थी. उनकी एक महत्वपूर्ण कृति ‘सॉरो बियॉन्ड ड्रीम्स’ है, जिसमें उन्होंने 1971 में अपनी मां द्वारा आत्महत्या करने का जिक्र किया है.
हैंडका ने फिल्म डायरेक्टर विम वेंडर्स के साथ भी काम किया है. इस बार 2018 के साहित्य पुरस्कार की भी घोषणा की गयी है. इसके लिए ओल्गा तोकार्चुक को चुना गया है. तोकार्चुक को पिछले साल मैन बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था. पोलिश लेखक तोकार्चुक की कथात्मक परिकल्पना बेजोड़ है.
हैंडका की जीत पर विवाद
स्वीडिश एकेडमी द्वारा हैंडका को पुरस्कार दिये जाने की घोषणा का विरोध शुरू हो गया है. विरोध करनेवालों का कहना है कि हैंडका सर्बियन नेता स्लोबोडन मिलोसेविक की करीबी रहे हैं.
साल 2006 में हैंडका ने उनके अंतिम संस्कार के वक्त स्वीकार भी किया था. सर्बियन नरसंहार के खिलाफ हैंडका ने कभी आवाज नहीं उठायी. सर्बिया के भाग्य की तुलना उन्होंने यहूदियों के हालात से की थी. हालांकि, बाद में गलती स्वीकार करते हुए माफी मांग ली थी.
हैंडका को नोबेल दिये जाने को अल्बेनिया के प्रधानमंत्री ईदी रामा और कोसोव के राष्ट्रपति हाशिम थासी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. इसके अलावा मशहूर लेखक सलमान रूश्दी और ब्रिटिश लेखक हरि कुंजरु समेत कई अन्य गणमान्य लोगों ने इस पर आपत्ति जतायी है.
पीटर हैंडका
जन्म : 1942, ग्रिफेन ऑस्ट्रिया
साहित्य का 2019 का नोबल पुरस्कार ऑस्ट्रियाई उपन्यासकार और नाटककार पीटर हैंडका को दिया गया है.
साहित्य का नोबेल पुरस्कार और पश्चिमी वर्चस्व
कुछ दिन पहले पुरस्कार समिति के प्रमुख एंडर्स ओल्सॉन ने कहा था कि सहित्य के प्रति हमारी दृष्टि यूरोप-केंद्रित रही है और अब हम पूरे विश्व को देख रहे हैं. लेकिन, 2018 और 2019 के पुरस्कार यूरोप की ही झोली में चले गये. विजेता साहित्यकारों की प्रतिभा पर प्रश्न नहीं है, पर नोबेल पुरस्कार के वैश्विक साहित्य को परखने की क्षमता पर विचार आवश्यक है.
वर्ष 1901 में स्थापित इस पुरस्कार से अस्सी के दशक के मध्य तक किसी अफ्रीकी, अरबी और चीनी साहित्यकार को सम्मानित नहीं किया गया था. उससे पहले दो एशियाई रवींद्रनाथ टैगोर (1913) और यासुनारी कावाबाता (1968) और एक कैरेबियाई सेंट-जॉन पर्स (1960) ही इस श्रेणी में पुरस्कृत हुए थे.
लातीनी अमेरिका को अस्सी के दशक के मध्य से पहले चार पुरस्कार मिले थे. आज तक केन्या के न्यूगी वा थ्योंगो, सीरियाई मूल के अदूनिस, सोमालिया के नुरुद्दीन फराह जैसे महान साहित्यकारों की अवहेलना की गयी है. इस सूची में अनेक गैर-पश्चिमी लेखकों के नाम गिनाये जा सकते हैं.
भौतिकी का नोबेल पुरस्कार
एफजेए पीबल्स
जन्म : 1935, विनिपेग, कनाडा पीएचडी (1962, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, अमेरिका), अमेरिका के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में अल्बर्ट आइंस्टीन प्रोफेसर ऑफ साइंस.
माइकल मेयर
जन्म : 1942, लुसाने, स्विटजरलैंड
पीएचडी (1971, यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा, स्विटजरलैंड), यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा, स्विटजरलैंड में प्रोफेसर.
डिडिएर क्वेलॉज
जन्म : 1966, स्विटजरलैंड
पीएचडी (1995, यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा, स्विटजरलैंड), यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा, स्विटजरलैंड और यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज, यूके में प्रोफेसर
ब्रह्मांड संरचना पर नया सिद्धांत प्रस्तुत करने के लिए
इस बार भौतिकी का नोबेल ब्रह्मांड की संरचना और इतिहास पर नये सिद्धांत रखने के लिए जेम्स पीब्ल्स और सौरमंडल से बाहर एक और ग्रह खोजने के लिए मेयर व क्वालेज को संयुक्त रूप से दिया जायेगा.
जेम्स पीबल्स द्वारा 1960 के दशक में बिग बैंग, डार्क मैटर और डार्क एनर्जी पर जो काम किया गया, उसे आधुनिक ब्रह्मांड विज्ञान का आधार माना जाता है. बिग बैंग मॉडल, ब्रह्मांड की उत्पत्ति के समय (लगभग 14 अरब साल पहले) से ही उसके बारे में बताता है, जब यह बेहद गर्म और घना था. तब से ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है. यह मॉडल बताता है कि बिग बैंग के चार लाख साल बाद ब्रह्मांड पारदर्शी हो गया. यहां तक की आज भी वह प्राचीन विकिरण हमारे चारों ओर मौजूद है.
इन विकिरणों में ब्रह्मांड के रहस्य छिपे हैं. इन सिद्धांतों और गणनाओं का इस्तेमाल कर जेम्स पीबल्स ने ब्रह्मांड के शैशव काल की इन निशानियों की व्याख्या की और इससे जुड़ी नयी भौतिक प्रक्रियाओं की खोज की.
इस खोज से हमें पता चला कि ब्रह्मांड के महज पांच प्रतिशत पदार्थ के बारे में ही हम जान पाये हैं. ये वे पदार्थ हैं जिनसे तारे, ग्रह, पेड़-पौधे और हमारा निर्माण हुआ है, बाकी 95 प्रतिशत हिस्सा अज्ञात डार्क मैटर और डार्क एनर्जी है. आधुनिक भौतिकी के लिए ब्रह्मांड का यह अज्ञात हिस्सा एक रहस्य और चुनौती बना हुआ है.
वर्ष 1995 में मिशेल व डिडिएर ने 51 पेगासी बी ग्रह की खोज की थी, गैस से बना यह ग्रह सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति जितना विशाल है. इस खोज ने खगाेल विज्ञान में एक क्रांति की शुरुआत की. तब से अब तक सौरमंडल से बाहर चार हजार से अधिक ग्रह खोजे जा चुके हैं.
केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार, 2019
जॉन बी गुडएनफ
जन्म : 1922, जेना जर्मनी.
पीएचडी (1952 यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो, यूएस), वर्जीनिया एच कॉकरेल चेयर इन इंजीनियरिंग (यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस, यूएस).
एम स्टेनले व्हिटिंघम
जन्म : 1941, ब्रिटेन.
पीएचडी (1968 ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, ब्रिटेन), प्रोफेसर, बिंघम्टन यूनिवर्सिटी,
स्टेट यूनिवर्सिटी फॉर न्यूयार्क, यूएस.
अकिरो योशिनो
जन्म : 1948, सूइता, जापान.
पीएचडी (2005 ओसाका यूनिवर्सिटी, जापान), फेलो, असाही कसेई कॉरपोरेशन टोक्यो, जापान और प्रोफेसर, मीजो यूनिवर्सिटी, नगोया, जापान.
लिथियम ऑयन बैट्री के विकास के लिए
वर्ष 2019 का केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार लिथियम ऑयन बैट्री के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया है. हल्के भार वाली पावरफुल बैट्री आज मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप तक तमाम तरह के पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस में इस्तेमाल की जा रही है. लिथियम ऑयन बैट्री के बढ़ते इस्तेमाल से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस और व्हीकल आदि की क्षमता में आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ोतरी हुई है. लिथियम ऑयन बैट्री में पर्याप्त एनर्जी सोलर और विंड पावर से स्टोर की जा सकती है.
इसके बढ़ते प्रयोग से जीवाश्म ईंधन मुक्त समाज बनाने में मदद मिलेगी. जीवाश्म ईंधनों को जलाने से पैदा होनेवाला प्रदूषण दुनिया के लिए सबसे बड़ी चिंता है. हर साल लाखों मौतें पर्यावरण प्रदूषण से हो रही हैं. स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल आज के समय की सबसे बड़ी अनिवार्यता है.
साल 1970 में तेल संकट के दौरान लिथियम ऑयन बैट्री की परिकल्पना की गयी. इसी दौरान स्टेनली व्हिटिंघम ने जीवश्म ईंधन मुक्त तकनीक के विकास की दिशा में काम करना शुरू किया. उन्होंने सुपरकंडक्टर पर विस्तृत शोध किया और उच्च- ऊर्जा वाले पदार्थों की खोज की. इसका प्रयोग कर उन्होंने लिथियम बैट्री में इनोवेटिव कैथोड बनाया. मॉलेकुलर स्तर पर उन्होंने टाइटेनियम डाइसल्फेट का इस्तेमाल किया. हालांकि, धात्विक लिथियम बहुत प्रतिक्रिशील और विस्फोटक प्रकृति का होता है.
ऐसे में बैट्री की क्षमता सीमित थी और इस्तेमाल में कई तरह की सावधानियां बरतने की जरूरत थी. जॉन गुडएनफ ने निष्कर्ष निकाला कि यदि मेटल सल्फाइड की बजाय मेटल ऑक्साइड का इस्तेमाल किया जाय, तो कैथोड की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है.
साल 1980 में उन्होंने इसके लिए कोबॉल्ट ऑक्साइड का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया, जिससे पावरफुल बैट्री बनाने में कामयाबी मिली. इसी आधार पर 1985 अकिरा योशिनो ने पहली कॉमर्शियल लिथियम ऑयन बैट्री बनाने में कामयाबी हासिल की.
एनोड में रिएक्टिव लिथियम इस्तेमाल करने की बजाय योशिनो ने पेट्रोलियम कोक (कॉर्बन मैटीरियल) का इस्तेमाल किया. साल 1991 में मार्केट में आने के बाद लिथियम ऑयन बैट्री ने हमारे जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है. इससे वायरलेस, जीवाश्म ईंधन मुक्त व्यवस्था बनाने की दिशा में बड़ी कामयाबी मिली है.
नोबेल पुरस्कार (मेडिसिन)
विलियम जे केलिन जूनियर
जन्म : 1957, न्यूयॉर्क सिटी, न्यूयॉर्क
एमडी (ड्यूक यूनिवर्सिटी, डरहम), स्पेशलिस्ट ट्रेनिंग (इंटरनल मेडिसिन व आॅन्कोलॉजी में) (जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी, बाल्टीमोर व डाना-पाउर्बर कैंसर इंस्टीट्यूट, बॉस्टन)
संबद्ध : हॉवर्ड ह्यूजेस मेडिकल इंस्टीट्यूट में पर्यवेक्षक
ग्रेग एल सेमेंजा
जन्म : 1956, न्यूयॉर्क, अमेरिका
शिक्षा : एमडी/पीएचडी (यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया), स्पेशलिस्ट ट्रेनिंग (पीडियाट्रिक्स में) (ड्यूक यूनिवर्सिटी, डरहम)
संबद्ध : जॉन हॉपकिंस इंस्टीट्यूट फॉर सेल इंजीनियरिंग में वैस्कुलर रिसर्च प्रोग्राम के डायरेक्टर
सर पीटर जे रैटक्लिफ
जन्म : 1954, लंकाशायर, यूके
शिक्षा : बीएस, एमडी (गोनविले एंड कैस कॉलेज, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी), स्पेशलिस्ट ट्रेनिंग (नेफ्रोलॉजी में) (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी)
संबद्ध : फ्रैंसिस क्रिक इंस्टीट्यूट, लंदन में डायरेक्टर ऑफ क्लिनिकल रिसर्च, लुडविग इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर रिसर्च के मेंबर
ऑक्सीजन के साथ कोशिकाओं का सामंजस्य
मेडिसन के लिए इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों विलियम जे केलिन जूनियर, सर पीटर जे रैटक्लिफ और ग्रेग एल सेमेंजा को संयुक्त रूप से देने की घोषणा की गयी है. इन वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि कोशिकाएं किस प्रकार ऑक्सीजन की उपलब्धता में आये बदलाव को समझती हैं और उससे सामंजस्य बिठाती हैं.
अपनी खोज के दौरान वैज्ञानिकों ने उन आण्विक मशीनरी की पहचान की, जो ऑक्सीजन के विभिन्न स्तरों के जवाब में जीन की गतिविधि को नियंत्रित करती हैं.
इस खोज से हमारे जीवन के सबसे जरूरी अनुकूलन प्रक्रिया की कार्यप्रणाली के बारे में पता चला है. इससे हम यह जान पाये हैं ऑक्सीजन का स्तर किस तरह से हमारे सेलुलर मेटाबॉलिज्म और शारीरिक गतिविधियों को प्रभावित करता है. वैज्ञानिकों की इस खोज से एनीमिया, कैंसर और अन्य बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में नयी रणनीति बनाने का रास्ता साफ हुआ है.
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
वर्ष 1901 से 2018 के बीच अब तक 908 शख्सियतों और 27 संगठनों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. अब तक कुल 590 पुरस्कार दिये जा चुके हैं.
वर्ष 1901 से 2018 तक भौतिकी के क्षेत्र में 210 लोगों को और 112 बार यह पुरस्कार दिया जा चुका है. जॉन बर्डीन अकेले ऐसे भौतिकीविद हैं, जिन्हें भौतिकी के क्षेत्र में दो बार 1956 और 1972 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
रसायन विज्ञान के क्षेत्र में 1901 से 2018 के बीच अब तक कुल 110 बार 181 लोगों को इस पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. फ्रेडिरक सैंगर अकेले ऐसे रसायनशास्त्री हैं, जिन्हें 1958 और 1980 में दो बार रसायन विज्ञान के लिए पुरस्कार मिला है.
मेडिसिन के क्षेत्र में 2018 तक 109 बार यह पुरस्कार दिया जा चुका है. इस पुरस्कार से अब तक 216 लोग सम्मानित हो चुके हैं.
साहित्य के क्षेत्र में 2018 तक 114 साहित्यकारों को 110 बार यह पुरस्कार दिया जा चुका है.
शाांति के क्षेत्र में 2018 तक 106 हस्तियां और 27 संगठन इस पुरस्कार को हासिल कर चुके हैं. इस क्षेत्र में अब तक 99 बार यह पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है.
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में 1969 से 2018 तक 50 बार 81 लोगों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
वर्ष 1901 से 2018 तक 51 महिलाएं इस प्रतिष्ठित पुरस्कार काे हासिल कर चुकी हैं.
इस पुरस्कार के लिए कोई भी व्यक्ति खुद का नामांकन नहीं कर सकता है.
सितंबर में नामांकन प्रक्रिया
नोबेल पुरस्कार के लिए प्रत्येक वर्ष सितंबर महीने में नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ होती है. अक्तूबर में पुरस्कार के लिए विजेताओं का चुनाव होता है. अक्तूबर में ही इसकी घोषणा होती है. 10 दिसंबर को स्टॉकहोम, स्वीडन में विजेताओं को पुरस्कार दिया जाता है. शांति के लिए इसी दिन ओस्लो, नॉर्वे में पुरस्कार दिया जाता है.
ये चुनते हैं विजेता
भौतिकी और रसायनशास्त्र के पुरस्कार विजेताओं का चुनाव रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा किया जाता है. फिजियोलॉजी या मेडिसिन के लिए विजेता का चुनाव कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट व साहित्य के लिए विजेता का चुनाव स्वीडिश एकेडमी करती है. नॉर्वे की संसद द्वारा चुने गये पांच सदस्यों की एक समिति (स्टॉर्टिंग) शांति पुरस्कार के लिए विजेता का चुनाव करती है.
स्वेरिजेस रिस्कबैंक पुरस्कार
वर्ष 1968 में अल्फ्रेड नोबेल की याद में स्वेरिजेस रिस्कबैंक ने अर्थशास्त्र में स्वेरिजेस रिस्कबैंक पुरस्कार की स्थापना की थी. वर्ष 1969 में पहली बार इस पुरस्कार को दिया गया था. अर्थशास्त्र के लिए रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज स्वेरिजेस रिस्कबैंक पुरस्कार के विजेता का चुनाव करती है. इसी पुरस्कार को अर्थशास्त्र का नोबेल कहा जाता है.

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