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टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से महामारियों पर लगेगी रोक

नयी तकनीकों के माध्यम से दुनिया में रोज नये बदलाव भी हो रहे हैं. चाहे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो या रोबोटिक्स, कार्यप्रणालियों पर तकनीकों ने विभिन्न रूपों में अपना प्रभाव छोड़ा है. इन तकनीकों की बदौलत ही आज हम एक तरफ पृथ्वी के बाहर दूसरी पृथ्वी ढूंढ़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ पृथ्वी के भीतर भी […]

नयी तकनीकों के माध्यम से दुनिया में रोज नये बदलाव भी हो रहे हैं. चाहे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो या रोबोटिक्स, कार्यप्रणालियों पर तकनीकों ने विभिन्न रूपों में अपना प्रभाव छोड़ा है. इन तकनीकों की बदौलत ही आज हम एक तरफ पृथ्वी के बाहर दूसरी पृथ्वी ढूंढ़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ पृथ्वी के भीतर भी तमाम स्तरों पर बेहतर जीवनस्तर के लिए प्रयासरत हैं. अब स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी ने अपनी भूमिका तय की है. रोगों की पहचान व निदान की दिशा में काम कर रही तकनीकें भविष्य में महामारियों की रोकथाम में कारगर साबित होंगी. महामारियों से लड़ने के लिए तैयार तकनीकों की कार्यप्रणाली, क्षमता और इनका अध्ययन प्रस्तुत है आज के इन्फो टेक में…
प्रौद्योगिकियों के प्रमुख उद्देश्य
यह पहचान करने के लिए कि कौन सी तकनीक जैव-दुर्घटनाओं को तैयार करती है या रोक लगा सकती है, अनुसंधान समूह ने कुछ बातों पर ध्यान केंद्रित रखा है.
मसलन, पहले से प्रतिक्रिया संबंधी निर्णय लेने की क्षमता में सुधार कर पायेंगी या नहीं, विभिन्न सेटिंग में उपयोग करना कठिन है या आसान, विकास, उपलब्धता और क्षेत्ररक्षण में कम समय, पैमाने और पहुंच में सुधार के दृष्टिकोण का विकास और रोकथाम की सुविधा के लिए बेहतर संवेदनशीलता थी या नहीं. रोग का पता लगाने, निगरानी​ और परिस्थिति के प्रति जागरूकता.
संक्रामक रोगों का निदान.
वितरित प्रत्युपाय (काउंटरमेजर्स) विनिर्माण.
चिकित्सा प्रत्युपाय वितरण, वितरण के साधन और संचालन
चिकित्सकीय देखभाल और जरूरत की दृष्टि से क्षमता में वृद्धि.
कैसे काम करती है यह तकनीक
रोग का पता लगाने, निगरानी करने ​और परिस्थिति के अनुरूप जागरूकता फैलाने के मामले में, रिपोर्ट में कई उभरती प्रौद्योगिकियों की पहचान की गयी है. हालांकि, उन्होंने सर्वव्यापी जीनोमिक अनुक्रमण और संवेदन (जो रोगजनक जीवविज्ञान की तत्काल स्थिति के अध्ययन व जानकारी की विशेषता पैदा करता है, जिसमें स्थिति की प्रचंडता और फार्मास्युटिकल्स की संवेदनशीलता को जां‍चना भी शामिल है), पर्यावरणीय पहचान के लिए ड्रोन नेटवर्क और कृषि रोगजनकों के लिए रिमोट सेंसिंग पर ज्यादा फोकस किया है.
विशेषज्ञों ने निदानिकी के लिए पारंपरिक प्रयोगशाला उपकरणों के प्रतिस्थापन के लिए माइक्रोफ्लुइडिक उपकरणों, यानी चिप आधारित प्रयोगशाला, की क्षमता को भी रेखांकित किया है, जो प्रायः क्रेडिट कार्ड के आकार का या उससे छोटा होता है. माइक्रोफ्लुइडिक उपकरणों का उपयोग जैविक- घटनाओं के समय, या जब संक्रामक बीमारी के प्रकोप की आपात स्थिति के दौरान प्रयोगशाला बाधित हो जाती है, एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप साबित हो सकता है.
क्योंकि वे वास्तविक समय में रोगियों का परीक्षण करने की क्षमता पैदा करेंगी, माइक्रोफ्लुइडिक डिवाइस के बतौर, तेजी से रोग की पहचान कर सकेंगी. उदाहरण के लिए, रोग नियंत्रण करने के लिए रोगियों की तीव्र पहचान या शरीर में कम ग्लूकोज-स्तर की पहचान करके जीवन और मृत्यु के बीच अंतर पैदा किया जा सकता है.
टेक्नोलॉजी द्वारा रोकथाम संभव
तकनीकी प्रगति का इस्तेमाल करके जैविक हथियारों माध्यम से आतंकियों द्वारा घृणास्पद हिंसक कार्रवाइयों को अंजाम देने के संभावित जोखिमों के इर्द-गिर्द बहस चर्चा में बनी रहती है.
यूएस डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (डीएआरपीए) के संसाधनों से लेकर सीआरआईएसपीआर-कैस 9 के दुरुपयोग की संभावना तक, वार्ताएं इस बात के आसपास आ चलती रही हैं कि इस तरह की जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग बुरे उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. अब, जॉन्स हॉपकिंस सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी ने हाल ही में उन्नत प्रौद्योगिकियों पर एक रिपोर्ट जारी की है, जो संक्रामक बीमारियां फैलाने वाली विनाशकारी वैश्विक जैविक जोखिमों को कम करने के लिए उपयोग की जा सकती हैं. वैश्विक आपदाजनक जैविक रिस्क को लेकर काम करने वाली तकनीकों की रिपोर्ट, कई विशेषज्ञों की व्यापक समीक्षाओं, आकलनों और साक्षात्कारों का संकलन है.
इसमें, विशेषज्ञों ने 15 तकनीकों और प्रौद्योगिकी की श्रेणियों की पहचान की है, जिसके अनुसार, वैज्ञानिक संज्ञान और निवेश के साथ-साथ विधि, नियामक, नैतिकता, नीति और परिचालन संबंधी मुद्दों पर सावधानी बरतकर, दुनिया को भविष्य में संक्रामक बीमारियों के प्रति पहले से तैयार किया सकता है और भविष्य में उत्पन्न विनाशकारी परिणामों को रोकने वाले साधनों से लैस हुआ जा सकता है.
कार्यप्रणाली
आज कृषि क्षेत्र में भी उन्नत उपग्रह इमेजिंग और छवि प्रसंस्करण का उपयोग करके रिमोट सेंसिंग द्वारा फसल स्वास्थ्य की निगरानी रखने की व्यापक और बड़ी क्षमता का निर्माण किया जा रहा है. स्वास्थ्य क्षेत्र में सेल-फ्री निदान और टीकाकरण के लिए इंजेस्टिबल बैक्टीरिया जैसी तकनीकें हैं, जो अनुसंधान के भीतर पहचानी गयी हैं और महामारियों की रोकथाम की दिशा में उपयोगी हैं.
रोबोटिक्स और टेलीहेल्थ पोर्टेबल भी हैं, उपयोग में आसान है‍ं, वेंटिलेटर उपकरण की तरह काम करती हैं, दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता की कमी का तार्किक निवारण कर सकते हैं, जिससे हाल के दशकों में हुए इबोला प्रकोप, एसएआरएस-सीओवी, एमईआरएस-सीओवी जैसी स्थितियों से बचा सकता है. अकेले टेलीहेल्थ में शीर्ष प्रदाताओं को प्रकोप की दवाएं लेकर आगे लाने की क्षमता है, बिना किसी जोखिम के.
रिपोर्ट तैयार करते समय, प्रभाव और मौजूदा विकास के स्तर के संबंध में पहचान की गयी तकनीक के प्लेसमेंट को प्रकट करने के लिए एक ग्राफ प्रदान किया गया है, जिसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या यह विकास के प्रारब्ध में है या कार्य के लिए तैयार है. डिलीवरी के लिए ड्रोन जैसी तकनीकें हैं और उनका मध्यम प्रभाव भी है. हालांकि, उनका उपयोग महंगा है.
मानव टीकाएं विकास के शुरुआती चरणों में हैं और बहुत महंगी भी नहीं हैं, जिससे इनका अच्छा प्रभाव भी है. मौजूदा टीकों की तुलना में इनके पास व्यापक और अधिक प्रभावी त्रिदोष संबंधी और सेल्युलर प्रतिरक्षा की क्षमता होती है. इसके अलावा, टीकों और अन्य चिकित्सकीय प्रत्युपायों के दूरदराज के स्थानों में डिलीवरी के लिए ड्रोन की क्षमता को भी स्वीकार करना चाहिए और अध्ययन करना चाहिए, जो इन तकनीकों के अंतर्गत ही आती है.
भविष्य में रहेगी बड़ी भूमिका
इस काम से जो महत्वपूर्ण बात निकलकर आ रही है, वह यह है कि शोधकर्ताओं और तकनीशियनों ने महामारी की स्थिति से रोकथाम की तैयारी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका की पहचान कर ली है.
मानवता के पास बेहद ज्यादा प्रभाव डालने वाले रोगजनकों के लिए मजबूत, लेकिन असमान रूप से वितरित क्षमताएं हैं. हालांकि, अब इन उन्नत तकनीकों के माध्यम से इस क्षमता को बढ़ाया जा सकता है और शक्तिशाली भी बनाया जा सकता है. जब आप इतिहास में घटे प्रकोपों की स्थिति में रोकथाम की तैयारी और चिकित्सकीय से‍‍वाओं की कमियों को देखते हैं, तो इस अध्ययन में शामिल तकनीकों के भीतर बहुत असाधारण संभावनाएं दिखायी देती हैं. इसे समझने के लिए दिल्ली में डेंगू व गोरखपुर के इंसेफेलाइटिस की हालिया घटनाओं पर नजर डाली जा सकती है.
इसलिए, ऐसी प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करना और निवेश करना महत्वपूर्ण है, जिनके पास जैविक घटनाओं को रोकने और प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने की क्षमता है, चाहें वह तेजी से और अधिक सटीक तरीके से निगरानी करने वाला उपकरण हो, नैदानिकी हो या रसायनों और जैविक विज्ञान के 3डी प्रिंटिंग जैसे चिकित्सकीय प्रत्युपायों (काउंटरमेजर्स) वितरण की तकनीक हो. ऐसी कई तकनीकें अब उपलब्ध हैं, जो संक्रामक प्रकोपों​ से रोकथाम, प्रतिरोधकता में बढ़ोतरी और विनाशकारी वैश्विक जैविक घटनाओं का खतरा टाल सकती हैं.

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