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स्मार्टफोन के बढ़ते दायरे के बीच मोबाइल मार्केटिंग सीखने का संकल्प

नये साल के मौके पर ज्यादातर लोग कुछ नया सीखने का संकल्प तो लेते हैं, लेकिन कुछ ही लोग ऐसे होते हैं, जो इन संकल्पों के जरिये बड़ा बदलाव लाने में सक्षम होते हैं. जब बात टेक्नोलॉजी की आती है, और वह भी खास तौर पर मोबाइल टेक्नोलॉजी की, तो यदि आप रोजाना कुछ-न-कुछ नया […]

नये साल के मौके पर ज्यादातर लोग कुछ नया सीखने का संकल्प तो लेते हैं, लेकिन कुछ ही लोग ऐसे होते हैं, जो इन संकल्पों के जरिये बड़ा बदलाव लाने में सक्षम होते हैं. जब बात टेक्नोलॉजी की आती है, और वह भी खास तौर पर मोबाइल टेक्नोलॉजी की, तो यदि आप रोजाना कुछ-न-कुछ नया सीखेंगे, तभी इसे व्यापक तौर पर समझ पायेंगे. कैसे बदल रहा है मोबाइल टेक्नोलॉजी ट्रेंड, बता रहा है आज का इन्फो टेक पेज …
मोबाइल टेक्नोलॉजी ट्रेंड्स आज ऐसी चीज बन चुकी है, जिसके प्रति सभी लोगों को, खास तौर से युवाओं को निश्चित रूप से जागरूक रहना चाहिए. यदि आप छोटे उद्यमी हैं, तो आपके लिए यह बेहतर आइडिया है कि नये साल के मौके पर न केवल आपको कुछ नया सीखने का संकल्प लेना चाहिए, बल्कि यह समझना चाहिए कि आपके प्रतिस्पर्धी किस तरह की उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस लिहाज से इस साल मोबाइल आपके जेहन में होना चाहिए. आपको खुद से यह पूछना चाहिए कि मोबाइल एप्स के जरिये आप अपने छोटे-से उद्यम को कैसे फैला सकते हैं? न केवल नयी और आकर्षक तकनीक मोबाइल डेवलपमेंट सेक्टर में घुसपैठ कर चुकी है, बल्कि छोटे कारोबारियों के लिए मोबाइल एप्स को अपनाना वाकई में सस्ता हो जायेगा. इस कारण से भी नये साल में मोबाइल मार्केटिंग को सीखना आपका संकल्प होना चाहिए.
जानते हैं मोबाइल टेक्नोलॉजी के नये ट्रेंड्स के बारे में
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
ज्यादा-से-ज्यादा डेवलपर्स ने अपने एप्स को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये जोड़ना शुरू कर दिया है. शिक्षा जगत से जुड़े उद्यमों के लिए यह तकनीक अपनेआप में एक बड़ी चीज हो सकती है. दुनियाभर में बच्चे पहले के मुकाबले अब चीजों को ज्यादा आसानी से सीखने में सक्षम हो सकते हैं. यही बात मोबाइल कॉमर्स के क्षेत्र में भी लागू हो सकती है. खासकर, वे उद्यम, जो एप्स पर ज्यादा निर्भर हैं. कल्पना करिये कि इसके जरिये कैसे आपके ट्यूटर और शॉपर आपके फोन में हमेशा आपकी जद में होंगे.
ऑगमेंटेड रियलिटी व यूटिलिटी एप्स
ज्यादातर लोगों का मानना है कि ऑगमेंटेड रियलिटी एप्स एक बनावटी चीज है, लेकिन जैसे वे इसके साथ खुद को जोड़ते हैं, तो उन्हें यह महसूस होता है कि जैसा वे सोचते थे, वैसा नहीं है यह. आज यह तेजी से फैल रहे एप्स में शामिल हो चुका है. इसके जरिये ग्राहकों की जरूरतों को सरलता से समझा जा सकता है.
एंड्रॉयड इंस्टेंट एप्स में तेजी से उभार
गूगल की नयी तकनीक से एप्स तेजी से ग्राहकों के अनुकूल रन कर पा रहे हैं और अब उन्हें ज्यादा चीजें डाउनलोड या इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं होती है. जॉब हो या उनकी कुछ और जरूरत, तेजी से वे इसके जरिये सर्च कर सकते हैं. इसका प्रसार दुनियाभर में तेजी से उभरता जा रहा है.
एप्प राजस्व में व्यापक बढ़ोतरी
मोबाइल के बढ़ते दायरे के बीच अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2017 में 268 मिलियन मोबाइल एप्स डाउनलोड किये जायेंगे, और इन डाउनलोड से करीब 77 अरब डॉलर का कारोबार पैदा होगा. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि केवल एप्प डाउनलोड से ही राजस्व अर्जित नहीं होता है. एप्स मार्केटिंग टूल्स हैं, जो उद्यमिता को बढ़ावा देते हैं.
छोटे कारोबार के लिए उपयोगी एप्स
बड़े ब्रांड्स के मोबाइल एप्स की कामयाबी को देखते हुए नये साल में अब छोटे कारोबारी भी मोबाइल एप्स के निर्माण की ओर रुख करेंगे.
सभी उद्योगों में फैल रहा आइओटी एप्स
घरेलू जरूरतों के लिए जैसे-जैसे अधिक से अधिक गैजेट्स बनते जा रहे हैं, उन सभी चीजों को इंटरनेट के जरिये नियमित रूप से जोड़े रखने के लिए ज्यादा-से-ज्यादा एप्स की जरूरत महसूस हो रही है.
मोबाइल सुरक्षा सबसे प्राथमिक
जैसे-जैसे मोबाइल फोन पर्स और वॉलेट का रूप धरते जा रहे हैं, निश्चित रूप से सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है. अब डेवलपर्स भी इस ओर ज्यादा सचेत हो रहे हैं और इसे अपनी प्राथमिकता सूची में ऊपर रख रहे हैं.
रीयल-टाइम डील्स होगा आसान
लोकेशन आधारित सेवाओं के जरिये ग्राहकों को रीयल-टाइम डील्स को अंजाम देने की प्रक्रिया आसान बनायी जा सकेगी.
टेक्स्ट मैसेजिंग के 25 साल
स्मार्टफोन के व्यापक इस्तेमाल के बाद से भले ही एसएमएस यानी टेक्स्ट मैसेज की लोकप्रियता कम हो गयी हो, लेकिन एक समय इसका प्रयोग तकरीबन सभी मोबाइल यूजर्स करते रहे हैं. टेक्स्ट मैसेजिंग के अब 25 साल हो चुके हैं. हालांकि, यह सेवा अब भी जारी है, स्मार्टफोन में इसके बेहतर विकल्प मुहैया होने से इसका प्रचलन कम होता जा रहा है.
‘डिजिटी डॉट इन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 1992 में नील पैपवर्थ ने पहली बार अपने मित्र रिचर्ड जार्विस को कंप्यूटर के जरिये टेक्स्ट मैसेज भेजा था. तीन दिसंबर, 1992 को नील ने अपने मित्र को ‘मैरी क्रिसमस’ लिख कर भेजा था. उस समय पैपवर्थ बतौर डेवलपर और टेस्ट डिजाइनर काम रहे थे और संचार सेवाएं मुहैया कराने वाले अपने एक क्लाइंट के लिए एसएमएस यानी शॉर्ट मैसेज सर्विस का सृजन किया था. इसके करीब एक साल बाद नोकिया ने अपने मोबाइल फोन में यह सुविधा शुरू की थी. वर्ष 1999 में इसे विविध नेटवर्क पर आपस में भेजना मुमकिन बनाया गया.
नील पैपवर्थ कहते हैं, ‘वर्ष 1992 में मुझे इस बारे में कोई आइडिया नहीं था. जिस दिन मैंने यह कारनामा किया, मुझे ऐसा नहीं लगा कि यह इतना बड़ा बदलाव लाने में सक्षम होगा.
उस समय मैंने केवल अपने बच्चों के साथ इस जानकारी को साझा करते हुए उन्हें वह मैसेज दिखाया था.’ फिलहाल बाजार में इसके अनेक विकल्प उपलब्ध हो गये हों, लेकिन अनेक प्रकार के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के दौरान ओटीपी यानी वन टाइम पासवर्ड भेजने के लिए मौजूदा समय में यह सर्वाधित आसान, सुरक्षित और प्रचलित जरिया बन गया है. इसे बनाने वाले को शायद उस समय यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि आगे चल कर यह कितना उपयोगी साबित हो सकता है.
प्रस्तुति
कन्हैया झा
आज, एप्स कहीं पर भी केवल स्मार्टफोन के इस्तेमाल के लिए नहीं बनाये जाते हैं, इनकी जरूरत अब वियरेबल्स, कनेक्टेड घरों, स्मार्ट कारों, आईओटी-आधारित डिवाइसों के अलावा अन्य बहुत-सी चीजों में होने लगी है.
लोकेशन-आधारित सेवाओं में बढ़ोतरी
मोबाइल पर जीपीएस के इस्तेमाल की सुविधा मौजूद होने के कारण आज रीयल-टाइम सूचना हासिल करने के मकसद से लोकेशन-आधारित सेवाओं में नियमित रूप से बढ़ोतरी हो रही है.
एप्लीकेशन सिक्योरिटी
पहले के मुकाबले स्मार्टफोन की सुरक्षा कहीं अधिक अहम हो गयी है, क्योंकि आपके स्मार्टफोन तक दूसरों की पहुंच आसान होने के कारण यूजर डाटा की संवेदनशीलता और उसके सृजित होने की मात्रा पर इसका व्यापक असर देखा गया है. इसलिए ज्यादातर डेवलपर्स अब यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वे लोगों को ज्यादा-से-ज्यादा सुरक्षा मुहैया कराने में सक्षम हैं.

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