मनोज लाल/राजेश तिवारी, रांची : हरमू नदी का उद्गम स्थल सिमलिया में है. यहां से लेकर बजरा तक (करीब दो किमी) लोग इसे ‘बजरा नदी’ के नाम से जानते हैं. यह नदी बजरा और आसपास के 15 गांवों के लगभग 1000 परिवारों के लिए जीवनदायिनी का काम करती है. दरअसल, खेती-बारी से लेकर नहाने-धोने और रोजमर्रा की अन्य जरूरतों के लिए इन लोगों को पानी इसी नदी से मिलता है.
मौजूदा स्थिति यह है कि रांची-बेड़ो हाइवे पर बजरा में बन रहे पुल के कारण इस नदी पर डायवर्सन बना दिया गया है, जिससे बारिश में नदी का पानी डायवर्सन के आगे नहीं जा पायेगा. ऐसी स्थिति में न तो किसानों को खेती के लिए पानी नसीब होगा और न ही राजधानी से गुजर रही हरमू नदी में पर्याप्त पानी आ पायेगा.
हरमू नदी का जलस्तर नीचे जाने से राजधानी का बहुत बड़ा इलाका भी प्रभावित होगा, क्योंकि पर्याप्त पानी नहीं होने की वजह से नदी के आसपास का भूजल स्तर भी रिचार्ज नहीं हो पायेगा. हाइवे का काम कर रही कंपनी ने डायवर्सन के नीचे ह्यूम पाइप लगाया है, लेकिन इसका आकार बहुत छोटा है, जिससे पानी का बहाव ठीक ढंग से नहीं हो पायेगा. यानी उद्गम स्थल से आ रहा सारा पानी पुल से पहले ही जमा हो जायेगा और पुल के बाद के इलाके की नदी सूखी ही रहेगी.
ये गांव होंगे प्रभावित
बजरा, हेहल, करमकोचा, खकसी टोला, हुडुकटोला, नदी टोली, जिटंगी टोला, बजरा बड़काटोली, पाहनटोली, मुंडा टोली, बजरा टंगराटोली, सतघरवा सहित बड़े इलाके के लोग बजरा नदी पर निर्भर हैं. बजरा नदी के पानी से ही राधा रानी अस्पताल की बड़ी जरूरत पूरी होती है. इन बस्ती के लोग नहाने-धोने से से लेकर सारा काम नदी के पानी से ही करते हैं.
बड़काटोली में चेक डैम का निर्माण कराया गया है. यहां हर दिन रोजमर्रा के काम के लिए बस्तीवासियों की भीड़ लगी रहती है. फिलहाल गर्मी के कारण चेक डैम में पानी नहीं है, लेकिन साल के 10 महीने तो इसमें पानी भरा ही रहता है. लोगों की चिंता है कि बरसात में पानी का बहाव रुका, तो चेक डैम से लेकर पूरी नदी प्रभावित हो जायेगी.
धान की खेती के लिए वरदान है बजरा नदी
इस इलाके के लोग धान की खेती पर निर्भर हैं. कई परिवारों को साल भर का धान यहां से मिलता है. उन्हें बाजार से चावल नहीं खरीदना पड़ता है. धान की खेती के लिए बजरा नदी वरदान साबित हो रही है. बजरा नदी के पानी से ही धान की खेती होती है. बरसात में पानी का स्तर काफी बढ़ा हुआ रहता है. ऐसे में धान की खेती के साथ ही सब्जी उत्पादन में भी लगते हैं. अगर नदी में पानी न हो, तो पूरा खेत सूखा रह जायेगा, क्योंकि खेती के लिए और दूसरा साधन नहीं हैं.
लोगों का कहना है कि अगर समय रहते डायवर्सन नहीं हटा, तो पूरा इलाका प्रभावित हो जायेगा. हमलोगों के घरों के कुएं व अन्य जल स्रोत का भी जल स्तर नीचे चला जायेगा. बरसात में पानी भरने की वजह से पूरा साल उन्हें संकट नहीं होता है. यहां तक कि अप्रैल व मई माह में भी काम लायक थोड़ा बहुत पानी मिल जाता है, लेकिन इस बार पूरी तरह नदी सूख गयी है.
नदी में बन गयी है सड़क
सबसे दिलचस्प बात है कि नदी टोला के पास नदी में संकरी सड़क निकल गयी है. यहां हेहल सीअो अॉफिस का निर्माण कराया गया है. ठीक इसके बाद बड़ा पुल बनाया गया है. पुल के एक अोर हमेशा पानी रहता है. इसका इस्तेमाल बस्तीवासी करते हैं. वहीं, दूसरी ओर से होते हुए पानी बह कर हरमू नदी में चला जाता है, लेकिन अभी दूसरी ओर संकरा रास्ता नजर आ रहा है. इससे होकर मोटर साइकिल, साइकिल व अन्य वाहन एक ओर से दूसरी ओर निकल रहे हैं. लोगों का कहना है कि पिछले साल इस समय भी यहां से होकर पानी बह रहा था, हालांकि पानी कम था. पर इस बार तो नदी में साइकिल-मोटर साइकिल चल रहे हैं. 15 गांवों के 1000 परिवार निर्भर हैं
- इस नदी के पानी परहोती है धान औरसब्जी की खेती
- साफ-स्वच्छ नदी की जगह दिख रहा गंदगी और कीचड़ से भरा नाला
नगर विकास विभाग का दावा है कि हरमू नदी के सौंदर्यीकरण पर अब तक 84 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. लेकिन इस नदी की मौजूदा स्थिति देख किसी बड़े नाले से ज्यादा अच्छी नहीं है. यानी सरकार के पैसे पानी में डूब गये हैं. हरमू नदी का सौंदर्यीकरण जुडको की देखरेख में ईगल इंफ्रा द्वारा किया जा रहा है.