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रिटायरमेंट प्लानिंग पहले वेतन के साथ शुरू करें

प्रवीण मुरारका निदेशक, पूनम सिक्युरिटीज समय के साथ परिस्थितियां बदलती है. आज आपके पास बेहतर आय के साधन हैं और आप अच्छा खासा कमाई कर रहे हैं, लेकिन अधिक उम्र हो जाने पर आपकी कार्य करने का क्षमता कम हो जाती है. धीरे-धीरे आय कम होने लगती है. लेकिन उसी लाइफस्टाइल को बनाये रखने के […]

प्रवीण मुरारका
निदेशक, पूनम सिक्युरिटीज
समय के साथ परिस्थितियां बदलती है. आज आपके पास बेहतर आय के साधन हैं और आप अच्छा खासा कमाई कर रहे हैं, लेकिन अधिक उम्र हो जाने पर आपकी कार्य करने का क्षमता कम हो जाती है.
धीरे-धीरे आय कम होने लगती है. लेकिन उसी लाइफस्टाइल को बनाये रखने के लिए पैसों की न्यूनतम जरूरत तो बनी रहती है. उस पर महंगाई को जोड़ दिया जाये तो एक अच्छी खासी रकम की जरूरत तैयार हो जाती है.
इसके अलावा बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों का आना भी शुरू हो जाता है. इसलिए दवाइयों का खर्च भी इसमें जुट जाता है. हर दिन की भागदौड़ भरी जिंदगी में यह गणना करना मुश्किल हो जाता है कि जब आप रिटायर करेंगे, तो उस समय आपको कितने पैसों की जरूरत होगी. एडलवाइज एसेट मैनेजमेंट के एक सर्वे के मुताबिक 65 फीसदी लोगों को यहां तक पता नहीं होता कि उन्हें रिटायरमेंट के लिए कितने पैसे की जरूरत होगी.
61 फीसदी इस लक्ष्य के लिए एसेट एलोकेशन की आवश्यकता को महसूस नहीं करते, जबकि 48 फीसदी लोग मानते हैं कि रिटायरमेंट के बाद वे आज की लाइफस्टाइल को नहीं बनाये रख सकते. इस सर्वे में यह भी सामने आया कि 52 फीसदी लोग पारंपरिक तरीके से निवेश करते हैं जिससे वे मुद्रास्फीति को मात नहीं दे पाते. रिटायरमेंट के बाद भी आपको नियमित आय होती रहे, इसके लिए रिटायरमेंट प्लानिंग बहुत जरूरी है. अलग-अलग जगह निवेश कर आप आज से ही अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं.
पहले तय करें वित्तीय लक्ष्य : यह बहुत जरूरी है कि आप जान लें कि जब आप रिटायर करेंगे तो उस समय आपको कितनी धनराशि की जरूरत होगी या कहें कि आपको प्रतिमाह या हर साल कितनी राशि की जरूरत होगी. मत भूलें कि इसमें आपको महंगाई दर को भी लेना होगा. अगर आपको परेशानी आ रही है, तो किसी वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें.
कब शुरू करें रिटायरमेंट प्लानिंग : अपने पहले वेतन या आय से ही रिटायरमेंट की प्लानिंग शुरू कर देनी चाहिए. आजकल बाजार में कई निवेश विकल्प मौजूद हैं जिनमें लंबे समय तक छोटे निवेश करते हुए एक बड़ी पूंजी विकसित की जा सकती है. इसमें कंपाउंडिंग की ताकत रहती है.
जितना देर से बचत शुरू करेंगे आपको अपने लक्ष्य को पाने के लिए उतनी ही अधिक रकम निवेश करनी होगी. यदि कोई युवा 25 साल की उम्र से नौकरी शुरू करता है और वह 60 वर्ष की उम्र तक पांच करोड़ रुपये जोड़ने की प्लानिंग करता है, और मान लें कि निवेश पर 12 फीसदी का रिटर्न मिल रहा है, तो उसे प्रतिमाह 7700 का निवेश एसआइपी के माध्यम से इक्विटी म्यूचुअल फंड में करना होगा. वहीं अगर आपने 40 की उम्र में पांच करोड़ पाने के लिए निवेश करने का मन बनाया तो आपको 50050 रुपये प्रति माह का निवेश करना होगा, जो एक बड़ी राशि है.
डाइवर्सिफिकेशन का रखें ध्यान : कम उम्र में जोखिम लेने की क्षमता अधिक होती है. इसलिए अगर लंबी अवधि के निवेश से रिटायरमेंट प्लानिंग कर रहे हैं तो बड़ा निवेश इक्विटी में किया जा सकता है.
लेकिन जब आप अधिक उम्र में रिटायरमेंट की प्लानिंग करते हैं तो आपको बड़ा निवेश डेब्ट फंड में करना चाहिए क्योंकि इसमें जोखिम कम होता है. उम्र बढ़ने के साथ आपको अपने पोर्टफोलियो में एसेट एलोकेशन में परिवर्तन करते हुए इक्विटी से डेब्ट की ओर शिफ्ट करना चाहिए.
पीएफ पर्याप्त नहीं होगा
कई लोग एक ऑटो पायलट माइंडसेट के साथ रिटायरमेंट की प्लानिंग करते हैं. वे पीपीएफ (सार्वजनिक भविष्य निधि) या इपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) जैसे विकल्पों की ओर अपना पैसा लगाते हैं और मानते हैं कि वे आराम से रिटायर होने के लिए तैयार हैं. लेकिन यह सपना सच से बहुत दूर है. सिर्फ मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए पीपीएफ या इपीएफ भी पर्याप्त नहीं होगा.
उदाहरण के तौर पर- यदि लंबी अवधि की मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत है और पीपीएफ दर 8.5 प्रतिशत है, तो यह मुद्रास्फीति का केवल 2.5 प्रतिशत (8.5 प्रतिशत-6.0 प्रतिशत ) शुद्ध है. कल्पना कीजिए कि आप पीपीएफ को चुनते हैं और सोचते है कि आप 1000 रुपये पर 85 रुपये कमाएंगे, लेकिन अंत में आप 1,000 रुपये पर सिर्फ 25 रुपये कमाएंगे क्योंकि मुद्रास्फीति ने आपके बाकी पैसे चुरा लिया है.
पेंशन प्लान के रूप में भी हैं विकल्प
पेंशन प्लान के रूप में बहुत सारे विकल्प है बाजार में. लगभग सारी इंश्योरेंश कंपनियां अपने-अपने पेंशन प्लान के साथ बाजार में हैं. आप चाहें तो उनमें भी निवेश कर सकते हैं. लेकिन निवेश करने से पहले यह जरूर जान लें कि क्या यह आपके लक्ष्य को और आपकी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है? भारतीय जीवन बीमा निगम की ओर से भी पेंशन प्लान पेश किया गया है.
इन सभी पेंशन प्लान में दो तरह से निवेश किया जा सकता है. एक है कम उम्र में छोटे निवेश करना और दूसरा रिटायरमेंट के समय जब एक मोटी राशि मिलती है तो उसका एकमुश्त निवेश करना. आपने जो रिटायरमेंट की उम्र बतायी है उसके बाद से आपको एक निश्चित राशि आपके खाते में पेंशन के रूप में आना शुरू हो जायेगा. और जब आपकी मृत्यु हो जाने पर आपके नॉमिनी को वह पेंशन की राशि मिल सकती है.
नेशनल पेंशन स्कीम
सरकार की ओर से भी पेंशन प्लान दिया जा रहा है, जिसे एनपीएस यानी नेशनल पेंशन स्कीम के नाम से जानते हैं. इस स्कीम में कोई भी व्यक्ति नियमित रूप से निवेश कर सकता है. जमा हुई धनराशि के एक हिस्से को वह एक बार में निकाल भी सकता है और बची हुई राशि का इस्तेमाल रिटायरमेंट के बाद नियमित आय प्राप्त करने के लिए कर सकता है. इस योजना में निवेश पर टैक्स में छूट का भी प्रावधान किया गया है. सेक्शन 80सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस में निवेश के 50,000 रुपये पर अतिरिक्त कर छूट का लाभ मिलता है.
जरूर लें वित्तीय सलाहकार की मदद
वित्तीय सलाहकार की मदद लाभदायक होती है. जब आप खुद गणना नहीं कर पा रहें कि रिटायमेंट के समय आपको कितने पैसों की जरूरत होगी, या यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि आपकी जोखिम क्षमता कितनी है और कितना किस विकल्प में निवेश कर अपने रिटायरमेंट के बाद के जीवन को बेहतर बना सकते हैं, तो उसके लिए अपने शहर के किसी स्थापित वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें.

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