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अधिक नमक के सेवन से महिलाएं हो सकती हैं वाटर रिटेंशन का शिकार, बचाव के लिए करें ये उपाय

डॉ रितेश गुप्ता हेड क्लीनिकल ऑपरेशंस और सीनियर कंसल्टेंट र्फोटिस सी-डॉक हॉस्पिटल, नयी दिल्ली यदि आपका वजन सुबह को कम और शाम को ज्यादा हो जाता है, तो यह वाटर रिटेंशन का लक्षण हो सकता है. इस कारण पैरों, हाथों, चेहरे और पेट की मांसपेशियां सूज जाती हैं. वाटर रिटेंशन, फ्लूइड रिटेंशन, एडिमा और सरल […]

डॉ रितेश गुप्ता
हेड क्लीनिकल ऑपरेशंस और सीनियर कंसल्टेंट
र्फोटिस सी-डॉक हॉस्पिटल, नयी दिल्ली
यदि आपका वजन सुबह को कम और शाम को ज्यादा हो जाता है, तो यह वाटर रिटेंशन का लक्षण हो सकता है. इस कारण पैरों, हाथों, चेहरे और पेट की मांसपेशियां सूज जाती हैं. वाटर रिटेंशन, फ्लूइड रिटेंशन, एडिमा और सरल भाषा में कहें, तो अंगों में पानी का जमा हो जाना.
इसके कारण कुछ अंगों में सूजन आ जाती है. ऐसा तब होता है जब हमारा शरीर मिनरल के स्तर को संतुलित नहीं कर पाता. ऐसे में पानी का जमाव शरीर के टिशुओं में होने लगता है और सूजन की समस्या हो जाती है.
वाटर रिटेंशन के लक्षण : वाटर रिटेंशन को मेडिकल टर्म में एडिमा भी कहते हैं. यह वह स्थिति है, जिसमें शरीर में पानी कायम रहता है. इस कारण रक्त से पानी का स्राव शरीर के टिश्यु और कोशिकाओं में होता है, जिससे सूजन आ जाती है, खासकर पेट पर. कई बार इसकी वजह से पैरों, पांव, बांहों और आंखों के नीचे भी सूजन आ जाती है.
इस समस्या में पैरों, एड़ियों व टांगों में दर्द होता है और सूजन भी होती है. सामान्य तौर पर फ्लूइड रिटेंशन पेट, चेहरे, हाथ, बांहों और फेफड़ों में हो सकता है. इसके अलावा वजन का अचानक कम या ज्यादा होना, त्वचा पर निशान बनना तथा हायपोथायरॉयड इसके कुछ मुख्य लक्षण होते हैं.
वाटर रिटेंशन के कारण : महिलाओं में वाटर रिटेंशन होने की कई वजहें हैं, जैसे- नम मौसम के कारण शरीर पर रिएक्शन होना, मासिक चक्र के कारण होनेवाले हार्मोनल बदलाव, प्रेग्नेंसी, मेनोपॉज और ओरल कंट्रासेप्टिव पिल्स के साइड इफेक्ट. पोषक तत्वों की कमी, अत्यधिक नमक का सेवन, हाइपोथायरॉयड, हार्ट या लिवर में गड़बड़ी भी इसकी वजह हो सकती है.
वाटर रिटेंशन है या नहीं, इसका पता मरीज की मेडिकल हिस्ट्री, ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, लिवर व किडनी फंक्शन टेस्ट, छाती के एक्स-रे या इलेक्ट्रो कार्डियोग्राम आदि से पता लगाया जा सकता है ताकि पता चल सके कि हार्ट, लिवर या किडनी में कोई विकार तो नहीं है. अधिक नमक का सेवन, अधिक शर्करा का सेवन, एनिमिया के रोगियों में हीमोग्लोबिन की कम मात्रा के कारण नमक व पानी का देर तक शरीर में रुकना, कुछ एलर्जियों के कारण तथा कभी-कभी हृदय, गुर्दे, लिवर या लसिका ग्रंथि की गंभीर बीमारियों के कारण भी वाटर रिटेंशन हो सकता है.
अत्यधिक नमक का सेवन : वाटर रिटेंशन का एक मुख्य कारण अत्यधिक नमक का सेवन है. नमक में मुख्य तत्व सोडियम होता है, जिसके बहुत अधिक होने पर उसे शरीर पानी के साथ मिला देता है. प्यास अधिक लगती है और शरीर इस पानी को अपने अंदर ही रख लेता है. अपनी डायट में से नमक की मात्रा कम करने से पानी की कुछ मात्रा कम हो जाती है. अचार, मसालेदार नमकीन न खाएं. चूंकि वाटर रिटेंशन की वजह से वजन बढ़ जाता है, इसलिए महिलाएं लो-कैलोरी डायट लेने लगती हैं.
लेकिन इससे वाटर रिटेंशन से छुटकारा नहीं पाया जा सकता है, बल्कि इससे स्थिति और गंभीर हो सकती है. खासकर अगर आप महीनों तक 1200 कैलोरी से कम खाती हैं तो. ऐसा इसलिए, क्योंकि आपके रक्त में आपके टिश्यु से अतिरिक्त पानी खींचने के लिए पर्याप्त प्रोटीन नहीं होता. इस तरह की वाटर रिटेंशन से चेहरे, पैरों व शरीर पर सूजन आ जाती है और पेट भी फूल जाता है.
डॉ रितेश गुप्ता के अनुसार, नमक का सेवन कम करके, कोला जैसे पेय पदार्थ व अत्यधिक नमक वाले फास्ट फूड से दूर रहकर तथा लंबे समय तक न खड़े रहने के बजाय पैरों को थोड़ा उठाकर बैठने से सूजन से बचा जा सकता है.
थायरॉयड की वजह से भी होती है यह समस्या
र्फोटिस सी-डॉक, नयी दिल्ली अस्पताल के हेड क्लीनिकल ऑपरेशंस और सीनियर कंसल्टेंट डॉ रितेश गुप्ता के अनुसार, महिलाओं में वाटर रिटेंशन एक बहुत ही आम समस्या है और उसकी वजह से उन्हें बहुत दिक्कतें उठानी पड़ती हैं. हालांकि इसके बहुत सारे कारण हैं, पर सबसे आम वजह है प्री-मेन्सट्रुयल पीरियड के दौरान होनेवाले हार्मोनल बदलाव. पीरियड शुरू होने के 5-10 दिन पहले हर महिला इस परेशानी से गुजरती है.
उनका पेट फूल जाता है, चेहरे व पांवों में सूजन व भारीपन आ जाता है. कई महिलाओं का वजन भी इस दौरान बढ़ जाता है. इसके अतिरिक्त थायरॉयड की वजह से भी यह होता है, जिसके कारण पैरों व चेहरे पर सूजन आ जाती है. किडनी के कार्य में कोई परेशानी व यूरिन से अत्यधिक मात्रा के प्रोटीन के निकलने की वजह से भी यह हो जाता है. ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को ठीक करने के लिए दी गयी कुछ दवाइयों की वजह से भी यह परेशानी पैदा हो सकती है.
बचाव के लिए क्या करें
संतुलित भोजन लें : दूध, दही आदि प्रचुर कैल्शियम युक्त पदार्थ के सेवन से शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ निकल जाता है. ऐसे फल लें, जिनमें पोटेशियम व विटामिन बी कॉम्प्लेक्स भरपूर हो, जैसे केला, पपीता और नाशपाती. खट्टे फल, जैसे- संतरा और अन्नानास भी फायदेमंद हैं. बादाम व अखरोट जैसे सूखे मेवे भी वाटर रिटेंशन को कम करते हैं. हरी, पत्तेदार सब्जियों को आहार में जरूर शामिल करें और बिना नमक डाले सलाद खाएं.
पानी अधिक पीएं : शरीर तब पानी संचित करने लगता है, जब उसे पर्याप्त पानी नहीं मिलता. यदि अधिक मात्रा में पानी पीते हैं, तो वाटर रिटेंशन को कम कर सकते हैं. इससे शरीर को विषाक्त पदार्थ बाहर निकालने में मदद मिलती है. नीबू-पानी और संतरे के जूस से पोटेशियम की मात्रा बढ़ेगी और सूजन कम होगी. रोज 2-3 लीटर पानी पीना चाहिए. एनर्जी ड्रिंक्स, चाय, काफी आदि से बचें.
एक्सरसाइज करें : रोज 30 मिनट वर्कआउट करें. इससे डिटॉक्सीफाई होने में मदद मिलेगी और रक्त का बहाव सही रहेगा. व्यायाम करने से रक्त वा‍हिनियों का आकार बड़ा हो जाता है और किडनी द्वारा उत्सर्जित तत्वों की मात्रा रक्त में बढ़ जाती है. शारीरिक गतिविधियां समस्या कम करती हैं. वाकिंग, स्वीमिंग, साइकिलिंग आदि जरूर करें.
तनाव से बचें : तनाव शरीर के विषैले पदार्थों (टॉक्सिक) व अन्य व्यर्थ पदार्थों को शरीर से बाहर नहीं निकलने देता. वाटर रिटेंशन से बचने के लिए तनाव पर काबू पाना बेहद जरूरी है. लगातार लंबे समय तक एक अवस्था में बैठे या खड़े रहने से भी समस्या हो सकती है. इसलिए ब्रेक लेती रहें. काम के दौरान क्रॉस लेग करके न बैठें. इससे रक्त का बहाव अवरुद्ध होता है.

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