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Thursday, March 28, 2024

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वजन कम कर फिट रखने में मददगार पालेओ डाइट

डॉ सुमिता कुमारी कंसल्टेंट सीनियर डाइटीशियन, डायबिटीज एंड ओबेसिटी केयर सेंटर, पटना बदलते वक्त के साथ लोगों के लिए उनकी फिटनेस पहली प्राथमिकता बन गयी है, क्योंकि आज हर कोई फिट और स्लिम दिखना चाहता है. इसके लिए लोग जिम और योग जैसी एक्टिविटीज और कई तरह के डाइट प्लान फॉलो कर रहे हैं. इनमें […]

डॉ सुमिता कुमारी
कंसल्टेंट सीनियर डाइटीशियन, डायबिटीज एंड ओबेसिटी केयर सेंटर, पटना
बदलते वक्त के साथ लोगों के लिए उनकी फिटनेस पहली प्राथमिकता बन गयी है, क्योंकि आज हर कोई फिट और स्लिम दिखना चाहता है. इसके लिए लोग जिम और योग जैसी एक्टिविटीज और कई तरह के डाइट प्लान फॉलो कर रहे हैं. इनमें से एक लोकप्रिय है- पालेओ डाइट. इस डाइट से वजन को नियंत्रित करना काफी आसान हो जाता है, क्योंकि आज के भागमभाग भरी दिनचर्या में खुद को मेंटेन रखना और अपने वजन को नियंत्रित करना भी एक चुनौती है.
दरअसल, पालेओ डाइट का मतलब उन खाद्य पदार्थों के सेवन से है, जो पाषाण काल (Paleolithic Age) में उपलब्ध हुआ करते थे और जिनका सेवन उस समय के मानव किया करते थे.
यह एक ऐसी डाइट है, जिसमें प्रोसेस्ड फूड जैसे- ब्रेड, डेयरी प्रोडक्ट्स और उन्नत खेती के जरिये उगाने वाले अनाज, जैसे- लेगुम्स, बीन और शुगर नहीं खाये जाते हैं, क्योंकि इन चीजों को बनाने में बायो टेक्नोलॉजी की मदद ली जाती है. इसके जगह फल और सब्जियों का अधिकाधिक सेवन किया जाता है. यह महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए विशेष उपयोगी बताया गया है. मजेदार है कि इसमेंनियत समय से खाने के बजाय इस बात को तरजीह दी जाती है कि ‘जब भूख लगे तब खाओ और जब पेट भर जाये, तब उठ जाओ’.
जानकारों के अनुसार पालेओ डाइट के कारण ही पहले लोगों में मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग जैसी जानलेवा बीमारियां बहुत कम देखने को मिलती थीं. ये खाद्य पदार्थ हार्मोन और ब्लड में शुगर की मात्रा को संतुलित रखते हैं. पालेओ आहार शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाते हैं, वजन को नियंत्रित रखते हैं. इसके साथ ही हमारे मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार करते हैं.
पालेओ डाइट फॉलो करने की वजह : इसका मुख्य उद्देश्य है कि अपने आहार में प्राकृतिक और पौष्टिक खाद्य पदार्थों को अधिक-से-अधिक शामिल करें. यह हर मौसम के लिए उपयुक्त है. इसमें सभी खाद्य पदार्थ ऊर्जा का बेहतर स्रोत हैं.
अगर दृढ़ता से इसे फॉलो करे, तो अतिरिक्त एनर्जी ड्रिंक की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह डायबिटीज, कैंसर और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से दूर रखने या ठीक करने में मददगार है. अन्य आहार की तुलना में पालेओ डाइट ने लोगों को अच्छे परिणाम दिये हैं. यह ब्लड लिपिड प्रोफाइल, नींद के पैटर्न और शुगर लेवल में स्थिरता लाने में भी मदद करता है.
कौन-सी चीजें निषेध
चूंकि पालेओ डाइट का संबंध उन खाद्य पदार्थों के सेवन से है, जो पाषाण काल में उपलब्ध थे. तब खेती का कोई जरिया नहीं था, इसलिए इसमें कुछ आहार का सेवन वर्जित है-
फसलों की फलियां (Legume and Beans) जैसे- सभी प्रकार की दाल और बीन्स. राजमा, चना, सोयाबीन, मूंगफली और मूंगदाल आदि चीज़ें खाना वर्जित हैं.
यह ग्लूटेन फ्री है. यानी सभी प्रकार के अनाज जो खेते के माध्यम से उगाये जाते हैं, वे सब वर्जित हैं. जैसे- गेंहू, चावल, बाजरा और ओट्स आदि. सभी प्रकार के प्रोसेस्ड आइटम भी वर्जित हैं.
दूध और दूध से बनी चीज़ें. हालांकि दूध और दूध से बनी चीज़ें खायी जा सकती हैं या नहीं, इस पर अभी रिसर्च चल रहा है, क्योंकि कुछ लोगों को लैक्टोज से एलर्जी होती है, इसलिए यह अभी भी शोध का मुद्दा बना हुआ है.
कौन-सी चीजें शामिल
आमतौर पर इसके तहत सभी सब्जियां खायी जा सकती हैं, क्योंकि ये प्राकृतिक स्रोत से मिलती हैं, जैसे- चुकंदर, गाजर, शिमला मिर्च, गोभी, पालक, बैंगन, ब्रोकली, शतावरी, आलू, मीठा आलू.
हर तरह के फल खाये जा सकते हैं, जो विटामिन और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर हों, क्योंकि ये हमारे शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं. हालांकि अगर आप वजन कम करने की ओर बढ़ रहे हैं, तो ध्यान रखें कि केला न खाएं, क्योंकि इसमें शुगर और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. सेब, नारंगी, आम, अनानस, लीची, अंगूर, पपीता, अमरुद और तरबूज आदि खाएं.
पालेओ डाइट बिना मांसाहार के पूर्ण नहीं होता, क्योंकि पाषाण काल के लोग अपने पोषण के लिए मूलतः मांस पर ही निर्भर हुआ करते थे. इसमें लीन मीट अर्थात् कम वसा वाले मांस खाये जाते हैं. मांस प्रोटीन का बेहतर स्रोत माना जाता है, जो मांसपेशियों को मजबूत बनाता है. इस डाइट में लगभग 25-30% कैलोरी मीट के जरिये लेनी होती है.
आप मछली खा सकते हैं, क्योंकि मछली प्रोटीन के साथ ओमेगा 3 फैट का एक बेहतर स्त्रोत है. यह आपकी आंखों और दिल का ख्याल रखती है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि हम भारतीयों का भोजन बिना तेल और वसा के पूर्ण नहीं होता. पालेओ डाइट में खाना पकाने के लिए आप पाश्चराइज्ड बटर, एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल (जैतून का तेल) और नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं. आप अपने डाइट में ड्राइ फ्रूट्स भी ले सकते हैं.
वजन कम करने में किस प्रकार है कारगर
वजन कम करने के लिए डाइटिंग करना सबके लिए आसान नहीं होता. यदि आप वजन कम करना चाहते हैं, तो पालेओ डाइट लेना शुरू कर दें. प्रोसेस्ड फूड्स (रिफाइंड ग्रेन और शुगरी ड्रिंक्स), फास्ट फूड्स को कम लेने से कार्ब्स का इनटेक सीमित हो जाता है. इससे वजन घटाने में मदद मिलती है. कार्ब को लिमिट करने से फ्रूक्टोज और अनहेल्दी डाइट का सेवन खुद ही कम हो जाता है. इससे हमारे शरीर में गैरजरूरी फैट की मात्रा भी कम हो जाती है.
पालेओ डाइट के फायदे
अध्ययनों के अनुसार पालेओ डाइट शरीर को संतुलित वजन प्रदान करता है, क्योंकि इसमें सभी पोषक तत्व संतुलित मात्रा में पाये जाते हैं. अगर आपका वजन ज्यादा है, तो इसके जरिये उसे कम भी किया जा सकता है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है व मानसिक स्वास्थ्य भी सुधारता है.
यह आंतों को भी स्वस्थ रखता है और पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है.
इस डाइट में केवल हेल्दी फैट होते हैं, जिससे कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल में रहता है और हृदय स्वस्थ रहता है.
पालेओ डाइट के नुकसान
चूंकि इसमें दूध और दूध से बनी चीज़ें वर्जित हैं इसलिए शरीर में विटामिन-डी और कैल्शियम की कमी हो जाती है.
लगातार कम कार्बोहाइड्रेट का सेवन करने से शरीर में किटोसिस की मात्रा बढ़ जाती है. किटोसिस वह प्रक्रिया है, जिसके जरिये शरीर में मौजूद वसा को तोड़कर ग्लूकोज़ का निर्माण होता है.
इसे फॉलो करने के दौरान शरीर में ऊर्जा की कमी हो सकती है, लेकिन जब आपको इसकी आदत हो जाती है, तो आप सक्रिय महसूस करने लगते हैं.
अहम बातें :
चूंकि इसमें मांसाहार शामिल है, अत: शाकाहारी लोग पसंद नहीं करते. अन्य डाइट के मुकाबले थोड़ा महंगा भी है.
भारत में लोग मोटा अनाज ज्यादा पसंद करते हैं, इसलिए यह कम लोकप्रिय.
अगर आप पालेओ डाइट को फॉलो करना चाहते हैं, तो किसी अच्छे डाइटीशियन से संपर्क करें, जिससे अपनी शारीरिक जरूरत के अनुरूप इसकी सही-सही मात्रा जान सकें. धीरे-धीरे अपनी दिनचर्या को बदलते हुए आप खुद को इस डाइट में ढालें.
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