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जीवन में उलझने हैं, तो उनका समाधान भी है, अपनाएं ”बी पॉजिटिव” के 10 मंत्र

समाज में आत्महत्या के रोकथाम के लिए प्रयास करना हर व्यक्ति का उत्तरदायित्व है. एक आदर्श समाज वही है, जिसके सदस्यों में आपसी संवेदनशीलता और मानवता भाव जाग्रत रहे. वे जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे की मदद के लिए तत्पर रहें. लोगों में जागरूकता की कमी और इन विषयों पर खुल कर चर्चा न कर पाने […]

समाज में आत्महत्या के रोकथाम के लिए प्रयास करना हर व्यक्ति का उत्तरदायित्व है. एक आदर्श समाज वही है, जिसके सदस्यों में आपसी संवेदनशीलता और मानवता भाव जाग्रत रहे. वे जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे की मदद के लिए तत्पर रहें.
लोगों में जागरूकता की कमी और इन विषयों पर खुल कर चर्चा न कर पाने की सामाजिक वर्जनाएं, आत्महत्या की रोकथाम में प्रमुख बाधा है. इसके निवारण के प्रगति हेतु समुदाय में जागरूकता और समाज के नजरिये में बदलाव लाने के साथ-साथ बेतुकी, व्यर्थ के रुढ़िवादी विचारों को तोड़ना आवश्यक है.
माना कि आपके जीवन में कई सारी परेशानियां और चुनौतियां हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आत्महत्या कर लें. दरअसल, कोई इंसान कितना भी मजबूत क्यों न हो, वह किसी-न-किसी बिंदु पर कमजोर पड़ ही जाता है.
उन्हीं कमजोर पलों में उसके मन में आत्महत्या का ख्याल आता है, लेकिन कोई भी ऐसा कदम उठाने से पूर्व यह याद रखे कि जब कोई इंसान आत्महत्या करता है, तो अकेला सिर्फ वहीं नहीं मरता, उसके साथ एक पिता की उम्मीद, एक मां का प्यार, एक पत्नी का स्वाभिमान, एक बहन का स्नेह, एक भाई की ताकत सहित कई दोस्तों और अन्य चाहनेवालों के भरोसे की भी मौत हो जाती है.
याद रखें, सुख और दुःख जीवन की क्षणभंगुर और अस्थाई अवस्थाएं हैं. जिस तरह केवल मीठा खाने से आप हर तरह के भोजन का लुत्फ नहीं उठा सकते, उसी तरह अगर जीवन में मुश्किलें और परेशानियां न हों, तो आप जीवन का आनंद नहीं उठा सकते, इसलिए जीवन की चुनौतियों का सामना करना सीखें. जिंदगी के हर लम्हे को सकारात्मक नजरिये से देखने का अभ्यास करें. मनुष्य जीवन अत्यंत खूबसूरत, अनमोल एवं आनंददायक है. इसका उत्सव मनाएं. इसे यूं ही न गवाएं.
एक रास्ता बंद हो जाये, तो दूसरे रास्तों की तलाश करें. अगर आप अपने आस-पास नजर दौड़ाएं, तो आपको कई ऐसे लोग मिल जायेंगे, जो आपकी परेशानियों को सुनना चाहते हैं. जिनके साथ आप अपने दुख-दर्द बांट सकते हैं. उनसे अपने दिल की बात शेयर करें. आपको अपनी परेशानी को हल जरूर मिलेगा. फिर भी कभी मन में कोई उल-जुलूल ख्याल आये, तो आंखें बंद करके एक बार शिद्दत से कहें-
‘Once more Zindagi.’
गंभीर अवसाद के लक्षणों को ऐसे पहचानें
आमतौर पर किसी व्यक्ति द्वारा आत्महत्या करने के पीछे कई तरह के कारक उत्तरदायी होते हैं, जैसे- गुस्सा, तनाव, चिंता, अवसाद आदि. इन सबकी अपनी-अपनी वजहें होती हैं.
कई बार ये कारण प्रत्यक्ष रूप से नजर नहीं आते. हमें लगता है कि व्यक्ति बेहद खुश और जिंदादिल है, लेकिन अचानक से उसके द्वारा की गयी आत्महत्या की खबर हमें चौंका देती है. अब फिर से सवाल उठता है कि यदि ऐसा है, तो कैसे किसी इंसान की आत्महत्या की नीयत को पहचाना जा सकता है? कुछ प्रमुख लक्षणों पर आप गौर करें :
बहुत ज्यादा या बहुत कम सोना.
बहुत ज्यादा या बहुत कम खाना.
जिंदगी के प्रति निराशावादी रवैया जताना.
अक्सर मरने की बातें करना.
अचानक बिना किसी कारण के महत्वपूर्ण कामों को निबटाना.
मनपसंद कार्यों और चीजों के प्रति अरुचि भाव दरसाना.
लोगों से मिलना-जुलना या कहीं आना-जाना कम करना.
हमेशा बैचेन और चिंतित रहना.
नशीली दवाओं का सेवन.
त्वरित असफलता, अपमान आदि का भय सताना.
भीड़ में रहते हुए भी खुद को अकेला महसूस करना.
छोटी-छोटी बात पर रोना या उदास हो जाना इत्यादि.
अपनाएं ‘बी पॉजिटिव’ के 10 मंत्र
– सही लाइफस्टाइल अपनाएं.
– हेल्दी खान-पान, शारीरिक व्यायाम को रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनाएं.
– जिंदगी के प्रति संतुलित नजरिया रखें. अच्छा और बुरा दोनों ही जिंदगी के पहलू हैं. उन्हें स्वीकार करें.
– अपनी गलतियों से सीखें. उन्हें नकारात्मक सोच का जरिया न बनाएं.
– अपने किसी शौक को एंजॉय करें. – अपनी क्षमता के हिसाब से कैरियर और रिश्तों का चुनाव करें.
– अपने भीतर के बच्चे को हमेशा जिंदा रखें. खुल कर हंसे-मुस्कुराएं.
– जिन लोगों पर आपको भरोसा हो, उनसे अपनी बातें शेयर करें.
– अगर किसी बात को शेयर नहीं कर सकते, तो लिख कर व्यक्त करें.
– फैमिली और रियल लाइफ फ्रेंड्स के साथ हर दिन कुछ घंटे जरूर बिताएं.

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