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अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में घिरा पाकिस्तान, कुलभूषण को मिलेगा न्याय!

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगाने का फैसला भारत की बड़ी कानूनी जीत है. दुनिया की शीर्ष अदालत ने पाकिस्तान की दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया है. भारत के पक्ष का संज्ञान लेते हुए अदालत ने जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस देेने के लिए पाकिस्तान को […]

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगाने का फैसला भारत की बड़ी कानूनी जीत है. दुनिया की शीर्ष अदालत ने पाकिस्तान की दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया है.
भारत के पक्ष का संज्ञान लेते हुए अदालत ने जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस देेने के लिए पाकिस्तान को फरमान सुनाया है. पाकिस्तान ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया है. हालांकि, पाकिस्तान की गतिविधियां संदिग्ध रही हैं, लिहाजा भविष्य में उसकी हरकतों को ध्यान में रखते हुए भारत दोबारा शीर्ष अदालत का रुख कर सकता है. कुलभूषण जाधव से जुड़े घटनाक्रम, भारत-पाकिस्तान के पक्ष और विशेषज्ञ के मतों के साथ प्रस्तुत है इस बार का इन दिनों…
कुलभूषण जाधव के मामले में हेग की अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने 17 जुलाई, 2019 को अपना फैसला सुनाया. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के 16 न्यायाधीशों की खंडपीठ द्वारा दिया गया यह फैसला भारत के पक्ष में है. पीठ में शामिल पाकिस्तानी न्यायाधीश को छोड़कर सभी 15 न्यायाधीशों ने भारत के पक्ष मेंफैसला दिया.
फैसले की बड़ी बातें
न्यायालय ने कहा कि पाकिस्तान ने वियना समझौते का पालन नहीं किया है. उसने कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस नहीं दिया. जाधव भारत के नागरिक हैं, इसलिए उन्हें कॉन्सुलर एक्सेस दिया जाना चाहिए था. न्यायालय ने कहा कि तमाम सबूतों से इस बातकी पुष्टि होती है कि कुलभूषण जाधव भारतीय नागरिक हैं.
न्यायालय ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी है. उसने पाकिस्तान को निर्देश दिया है कि वह इस सजा पर पुनर्विचार करे और जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस दे. न्यायालय ने पाकिस्तान द्वारा वियना संधि का उल्लंघन माना.
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत द्वारा कुलभूषण जाधव की रिहाई की मांग की गयी थी, जिसे उसने ठुकरा दिया. भारत ने मांग की थी कि पाकिस्तान की सैन्य अदालत के फैसले को रद्द कर जाधव की सुरक्षित वापसी की जाये.
पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कहा था कि भारत का आवेदन स्वीकार करने योग्य नहीं है. लेकिन, पाकिस्तान की इस दलील को न्यायालय ने खारिज कर दिया.
अंतिम बहस
18 से 21 फरवरी, 2019 के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच अंतिम तौर पर मौखिक बहस हुई. भारत की तरफ से हरीश साल्वे और पाकिस्तान की तरफ से ख्वाजा कुरैशी ने अपना-अपना पक्ष रखा. 4 जुलाई, 2019 को न्यायालय ने कहा कि 17 जुलाई, 2019 को न्यायाधीश अब्दुलकावि अहमद युसूफ इस मामले में फैसला सुनायेंगे.
जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस के लिए माना पाक
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस दिये जाने के निर्देश देने के बाद पाकिस्तान राजी हो गया है. फैसला आने के 24 घंटे बाद ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि कानून के अनुसार, कुलभूषण जाधव को शीघ्र ही कॉन्सुलर एक्सेस उपलब्ध कराया जायेगा.
मंत्रालय ने यह भी कहा कि कमांडर कुलभूषण जाधव को राजनयिक संबंधों पर वियना संधि के अनुच्छेद-36 के पैराग्राफ 1(बी) के तहत उनके अधिकारों के बारे में सूचित कर दिया गया है. इससे पहले पाकिस्तान ने जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस के भारत के आग्रह को लगातार 16 बार अस्वीकार कर दिया था. इसके बाद भारत इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले गया था.
हेग में भारत-पाक दलील
हेग में अपना पक्ष रखते हुए भारत ने बताया कि पाकिस्तान द्वारा वर्ष 2016 में गिरफ्तार कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस से इनकार किया गया है. इस प्रकार पाकिस्तान ने वियना संधि के अनुच्छेद 36(1)(बी) का उल्लंघन किया है. जाधव को कथित तौर पर 3 मार्च, 2016 को गिरफ्तार किया गया था और 25 मार्च, 2016 को पाकिस्तान के विदेश सचिव ने इसके बारे में इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायुक्त को सूचित किया था.
पाकिस्तान ने इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया कि भारतीय उच्चायुक्त को सूचना देने में तीन सप्ताह का समय क्यों लगा. भारत ने कहा कि जाधव को अपनी पसंद के कानूनी वकील द्वारा बचाव के अधिकार से वंचित किया गया था. उनकी सजा और मौत की सजा कैद में लिये गये कबूलनामे पर आधारित है. पाकिस्तान ने भारत के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि जाधव ने एक भारतीय जासूस के रूप में अवैध रूप से पाकिस्तान में प्रवेश किया, इसलिए वह कॉन्सुलर एक्सेस का हकदार नहीं था.
भारत ने कहा- सिविल कोर्ट में चले ट्रायल
भारत चाहता है कि कुलभूषण जाधव का केस सिविल कोर्ट में चले. ऐसा होने पर भारत की तरफ से जाधव को न्यायिक सेवा मिल सकेगी और उन्हें काबिल वकील की मदद दी जा सकती है. पाकिस्तान के सिविल कोर्ट में दूसरे देश के वकील भी केस लड़ सकते हैं. लेकिन अगर पाकिस्तान इस केस को सैन्य अदालत में ही चलाने की अनुमति देता है, तो ऐसे में विकल्प बहुत सीमित रह जायेंगे.
आइसीजे के उल्लंघन पर पाकिस्तान पर प्रतिबंध की मांग करेगा भारत : हरीश साल्वे
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कुलभूषण मामले की भारत की तरफ से पैरवी कर रहे हरीश साल्वे ने कहा है कि अगर पाकिस्तान आइसीजे फैसले के खिलाफ जाता है, तो भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाने की मांग करेगा. जाधव पर पाकिस्तान की कार्रवाई पर रोकने लगाने के फैसले पर साल्वे ने आइसीजे के फैसला का स्वागत किया है. साल्वे ने कहा है कि अगर पाकिस्तान इस मामले में नियम विरुद्ध कार्रवाई करता है, तो भारत दोबारा आइसीजे का रुख करेगा.
कुलभूषण पर पाकिस्तान के आरोप
25 मार्च, 2016 को पाकिस्तान ने भारत को बताया कि भारतीय नौसेना के अधिकारी कुलभूषण जाधव को 3 मार्च, 2016 को बलूचिस्तान के चमन सीमा के पास मशकेल इलाके से गिरफ्तार किया गया है. उनके पास से भारतीय पासपोर्ट मिला है जिस पर उनका नाम हुसैन मुबारक पटेल लिखा हुआ है. वे पाकिस्तान में आर एंड ए डब्ल्यू (रॉ) के लिए काम कर रहे थे. उनके ऊपर पाकिस्तान को अस्थिर करने की साजिश में शामिल होने का आरोप है.
भारत का दावा
कुलभूषण जाधव को जासूस मानने से इनकार करते हुए भारत ने दावा किया कि वे वर्ष 2001 में भारतीय नौसेना से रिटायर हो चुके हैं और ईरान में अपना व्यापार कर रहे थे. पाकिस्तानी एजेंसियों द्वारा ईरान से उनका अपहरण कर पाकिस्तान लाया गया. वहीं उनकी गलत पहचान तैयार की गयी. भारतीय नौसेना या रॉ से उनका कोई संबंध नहीं है. 25 मार्च, 2016 और उसके बाद वियना समझौते के आधार पर भारत ने जाधव से बात करने के लिए लगातार कॉन्सुलर एक्सेस की मांग की.
क्या है कॉन्सुलर एक्सेस
कॉन्सुलर एक्सेस का अर्थ है- जरूरत के वक्त किसी दूसरे देश में अपने नागरिकों के साथ संपर्क. दो देशों के बीच सामान्यतः दूतावासों के मार्फत संपर्क होता है. इन दूतावासों के अधीन कॉन्सुल होते हैं, जो दोनों देशों के कारोबारी रिश्तों को बेहतर बनाने के अलावा अपने देश के नागरिकों के हितों की रक्षा करते हैं. राजनयिक संपर्कों के नियमन के लिए वर्ष 1963 में वियना में अंतरराष्ट्रीय संधि हुई थी.
इस संधि में दूसरे देश में रह रहे नागरिकों को कॉन्सुल की मदद की जरूरत पड़ने पर उसका निर्वहन किस प्रकार होगा, इस बारे में बताया गया है. इस संधि में 79 अनुच्छेद हैं, जिसमें अनुच्छेद 36 के तहत किसी विदेशी नागरिक की गिरफ्तारी होने पर उसके दूतावास या कॉन्सुलेट को सूचना दिये जाने का प्रावधान है, इस सूचना में गिरफ्तारी के कारणों को बताया जाना चाहिए.
कैसे काम करता है आइसीजे
आइसीजे की स्थापना 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के द्वारा की गयी थी. आइसीजे के संवैधानिक अधिकार इसे निर्देशित करते हैं. संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य इसके पक्षकार हैं, हालांकि, इस आशय की घोषणा करनी होती है कि वे अदालत के अधिकारों को स्वीकार करते हैं. इस अदालत में 15 न्यायाधीश हैं, जिनका चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा किया जाता है. प्रत्येक न्यायाधीश की कार्य अवधि नौ वर्ष की होती है.
दो तरह के मामलों की होती है सुनवाई
आइसीजे में दो तरह के मामले की सुनवाई होती है- राज्यों के बीच होनेवाले कानूनी विवाद और संयुक्त राष्ट्र के अंगों तथा विशेष एजेंसियों द्वारा किसी कानूनी मसले पर सलाह देने का आग्रह करना.
जाधव की गिरफ्तारी से जुड़े घटनाक्रम
मार्च, 2016 में पाकिस्तान ने कुलभूषण को भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ का अधिकारी बता कर बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार कर लिया था.
पाकिस्तान के विदेश सचिव ने पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त गौतम बाम्बवाले को तलब किया और कुलभूषण पर जासूसी में लिप्त होने का आरोप लगाया.
भारत ने जासूसी के आरोपों को खारिज कर दिया. भारत सरकार ने कहा कि कुलभूषण ईरान में अपना कारोबार चला रहे थे और उनके अपहरण की आशंका जतायी.
गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तानी सेना ने अपने आरोप को सही साबित करने के लिए एक वीडियो जारी किया, जिसमें कुलभूषण को यह स्वीकार करते हुए दिखाया गया कि वह पाकिस्तान में जासूसी कर रहे थे. हालांकि, तकनीकी जानकारों के अनुसार इस वीडियो की सत्यतता संदिग्ध है.
पाकिस्तान ने दावा किया कि कुलभूषण बलूच अलगाववादियों के संपर्क में थे. इसी समय इस्लामाबाद के एक बयान में कहा गया कि कुलभूषण को बलूचिस्तान के अफगानिस्तान से लगते इलाके चमन से पकड़ा गया था.
7 दिसंबर, 2016 तो पाकिस्तानी विदेश मंत्री सरताज अजीज ने कहा कि जाधव के खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं.
पाकिस्तान द्वारा आरोप लगाने के एक दिन बाद से ही भारत ने कुलभूषण के लिए कॉन्सुलर एक्सेस की बात उठायी.
बाद में पाकिस्तान ने कहा कि कुलभूषण के पास ईरान में रहने का परमिट और हुसैन मुबारक पटेल नाम से पासपोर्ट था. पाकिस्तान ने कहा कि पासपोर्ट में कुलभूषण का जन्म स्थान सांगली, महाराष्ट्र लिखा है.
बाद में यह पता चला कि कुलभूषण मुंबई पुलिस के अवकाश प्राप्त असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर सुधीर जाधव के पुत्र हैं.
10 अप्रैल, 2017 को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने कुलभूषण को पाकिस्तान में जासूसी करने के आरोप में मौत की सजा सुनायी. सजा के एक दिन के बाद पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि कुलभूषण को यह अधिकार है कि वह अपनी सजा के विरुद्ध 60 दिनों के भीतर अपील कर सकते हैं.
26 अप्रैल, 2017 को पाकिस्तान ने जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस का भारत का निवेदन 16वीं बार खारिज कर दिया.
9 मई, 2017 को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आइसीजे) ने मौत की सजा पर सुनवाई पूरी होने तक रोक लगा दी.
25 दिसंबर, 2017 को भारतीय वाणिज्य दूतावास के उपायुक्त की मौजूदगी में कुलभूषण जाधव को उनकी पत्नी और मां से मुलाकात करायी गयी. इस दौरान पाकिस्तान में जाधव की पत्नी और मां से बदसलूकी की गयी. उनकी मुलाकात एक शीशे की दीवार के बीच में होने के चलते इंटरकॉम से हुई.
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