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अपना घर लेने का है सही वक्त, विरासत में मिली संपत्ति पर कोई टैक्स नहीं लगता

हर किसी का सपना होता है कि वह अपने लिए एक घर बनाये या खरीदे. इधर सरकार ने भी हर भारतीय के अपने घर के सपने को पूरा करने के लिए विशेष प्रयास किये हैं. आज हम बता रहे हैं कि किन सरकारी प्रावधानों का लाभ उठाकर आप अपने घर का सपना पूरा कर सकते […]

हर किसी का सपना होता है कि वह अपने लिए एक घर बनाये या खरीदे. इधर सरकार ने भी हर भारतीय के अपने घर के सपने को पूरा करने के लिए विशेष प्रयास किये हैं. आज हम बता रहे हैं कि किन सरकारी प्रावधानों का लाभ उठाकर आप अपने घर का सपना पूरा कर सकते हैं.सस्ती ब्याज दरों और टैक्स छूट का लाभ उठाने का है बेहतरीन अवसर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2020 में होम लोन पर अतिरिक्त टैक्स छूट को और एक साल बढ़ाने का प्रस्ताव किया है.
वहीं, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी ब्याज दरों को न्यूनतम बनाये रखने की बात कही है. देश की आर्थिक वृद्धि दर में तेजी लाने के लिए रिजर्व बैंक ने पिछले साल पांच बार रेपो रेट में कटौती की है और बैंकों के लिए भी निर्देश जारी किये हैं कि वे अपने लोन की दरों को तय बाहरी बेंचमार्क से जोड़े. इसके बाद से बैंकों ने भी अपने होम लोन की ब्याज दरों को कम कर दिया है. नये घर खरीदनेवालों के लिए यह समय सबसे अच्छा है जब सरकार अधिक्तम टैक्स छूट दे रही है वहीं, होम लोन पर ब्याज दरें भी न्यूनतम स्तर पर आ गयी है.
5 लाख तक पा सकते हैं टैक्स-छूट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पहले बजट (2019-20) में एक नये छूट की घोषणा की थी. जिसे इस बजट में एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है. अब 31 मार्च 2021 तक इसका फायदा उठाया जा सकता है.
आयकर अधिनियम 24बी के तहत भुगतान किये गये ब्याज पर दो लाख रुपये की छूट मिलती है और पिछले वर्ष से जोड़े गये नये सेक्शन 80इइए के तहत होम लोन के ब्याज के भुगतान पर 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन ले सकते हैं. होम लोन के ब्याज पर 3.5 लाख रुपये तक टैक्स छूट मिलती है. वैसे सेक्शन 80सी के तहत भुगतान की गयी प्रिंसिपल राशि पर 1.5 लाख तक की टैक्स डिडक्शन मिलती है. इस तरह देखें तो अभी मौका है कि आप आयकर विभाग से अपने लिए घर की खरीदारी पर 5 लाख रुपये तक की छूट प्राप्त कर सकते हैं.
बजट होम पर है सबसे अधिक फायदा
सरकार के इस कदम का पहली बार घर खरीद रहे लोगों को फायदा होगा. बजट होम का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति पहला घर खरीद रहा हो और उसकी स्टैंप ड्यूटी का मूल्य 45 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो. इसके अलावा व्यक्ति ने होम लोन वित्तीय वर्ष 2019-20 या 2020-21 में लिया हो. उस घर का कार्पेट एरिया मेट्रो शहरों के लिए 645 स्क्वायर फीट और दूसरे जगहों के लिए 968 स्क्वायर फीट से ज्यादा नहीं होना चाहिए. ऐसे में 30 फीसदी की स्लैब में आने वाला व्यक्ति 1.53 लाख रुपये तक की बचत कर सकता है.
सर्किल रेट डिस्काउंट में बढ़ोतरी
कई बार, प्रॉपर्टी का कमर्शियल रेट उसके उपयुक्त सर्किल रेट से अलग हो सकता है. पहले, अगर यह अंतर 5 फीसदी से ज्यादा होता था, तो अंतर को खरीदार और विक्रेता दोनों की आय के तौर पर माना जाता था और नियमों के मुताबिक उस पर टैक्स लगता था. लेकिन बजट में वित्त मंत्री मे इस अंतर की सीमा को बढ़ाकर 10 फीसदी करने का प्रस्ताव किया है. इससे रियल एस्टेट ट्रांजैक्शन पर टैक्स का भार कम होगा जिससे खरीदारों को प्रोत्साहन मिलेगा.
छोटे लोन पर कम ब्याज दर का फायदा
आपका होम लोन छोटा होने पर वह सस्ता भी होगा. ज्यादातर बैंकों और होम फाइनेंसिंग कंपनियों में होम लोन की राशि के बढ़ने पर ब्याज में भी इजाफा होता है. उदाहरण के लिए, बड़े सरकारी बैंकों में सबसे कम रेट 7.9 फीसदी का महिलाओं द्वारा 30 लाख रुपये से कम के लोन के लिए है.
यह रेट 30 लाख से 75 लाख रुपये के बीच लोन के लिए बढ़ कर 8.15 फीसदी या उससे ज्यादा हो जाता है. 75 लाख रुपये से ज्यादा की राशि के लिए यह 8.25 फीसदी या ज्यादा है. इस तरह, लोन पर ब्याज दर काफी नीचे बनी हुई है. इनके इस तरह बने रहने की उम्मीद है क्योंकि बैंकों ने नये रिटेल लोन पर ब्याज दरों को रेपो रेट से जोड़ कर दिया है. इससे यह आश्वासन मिला है कि आरबीआइ से ग्राहकों को रेट में कमी का फायदा मिलेगा.
बेहतर डील डेवलपरों से करने का है अवसर
देशभर में बहुत से डेवलपर सरकार की सभी लोगों को 2022 तक घर खरीदने के विजन को देखते हुए किफायती घरों का निर्माण किया है. हालांकि, हाल ही में नकदी की कमी के कारण डिमांड में बड़ी कमी आयी थी जिससे डेवलपर अपनी प्रॉपर्टी को जल्द बेचना चाहते हैं. इन सब वजहों से इस समय खरीदारों के पास घर खरीदने के लिए अच्छा मौका है जिसमें वे डेवलपर के साथ दाम को लेकर बातचीत कर सकते हैं और बेहतर डील ले सकते हैं.
कुछ बैंकों व वित्तीय संस्थाओं के होम लोन पर ब्याज दरें
बैंक/संस्था ब्याज दर (% में) प्रोसेसिंग चार्ज
एसबीआइ 7.90-8.55 ‍‍Rs 2000-Rs 10000
एचडीएफसी 8.00-8.30 0.50% तक
आइसीआइसीआइ बैंक 8.60-9.40 0.50%-1.0%
एक्सिस बैंक 8.55-9.40 0.1% तक
बैंक ऑफ बड़ौदा 8.15-9.15 0.25-0.50% तक
पीएनबी हाउसिंग फिनांस 7.95-8.70 0.1% तक
एलआइसी हाउसिंग फिनांस 8.40-8.50 10000-15000+सर्विस टैक्स
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया 8.00-8.15 Rs 1000 या उससे अधिक
यूको बैंक 8.05-8.60 0.50% तक
ओरियंटल बैंक 8.25-8.80 0.05% तक
केनरा बैंक 8.05-10.05 0.50% अधिक्तम Rs 10000
बैंक ऑफ इंडिया 8.10-8.40 0.25% अधिक्तम Rs 20000
आइओबी 8.20-10.95 0.50%
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 8.00-8.55 1% या न्यूनतम Rs 10000
(साभार: बैंकबाजार डॉट कॉम)
विरासत में मिली संपत्ति पर कोई टैक्स नहीं लगता
भारत में उत्तराधिकार टैक्स लागू नहीं है. इस हिसाब से करदाता को वसीयत या विरासत में मिला पैसा, जेवर और प्रॉपर्टी कर के दायरे से बाहर हैं. पैतृक संपत्ति में आयकर कानून केवल बाप, दादा और परदादा से विरासत में मिले पैसे, जेवर और अचल संपत्ति को ही शामिल करता है. मां से मिली रकम या संपत्ति को भी टैक्स से छूट प्राप्त है. हां, इसके लिए आपको आयकर विभाग को यह बताना होगा कि रकम या प्रॉपर्टी आदि माता-​पिता से या वसीयत से या खानदानी विरासत के तौर पर मिले हैं.
अगर बनाया कमाई का जरिया तो देना होगा टैक्स
अगर आप विरासत/वसीयत में मिली हुई राशि को निवेश कर उससे आमदनी करते हैं या संपत्ति को बेच कर या आगे चलकर कमाई या ब्याज हासिल करने का जरिया बनाते हैं, तो फिर उससे होने वाली आमदनी पर टैक्स देना होगा.
प्रॉपर्टी बेचने से हुई कमाई आती है कैपिटल गेन में
प्रॉपर्टी पर कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी इसके करदाता के पास रहने की अवधि पर निर्भर करती है. लेकिन याद रहे कि विरासत में मिली प्रॉपर्टी के मामले में इसका होल्डिंग पीरियड वास्तविक मालिक द्वारा प्रॉपर्टी खरीदे जाने की तारीख से काउंट होता है, न कि इसे विरासत में किसी अन्य को दिए जाने की तारीख से. अगर प्रॉपर्टी दो साल से ज्यादा वक्त के होल्डिंग पीरियड के बाद बेची जा रही है, तो इसकी बिक्री से हासिल कमाई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन मानी जायेगी. अगर प्रॉपर्टी पास रहने की अवधि 2 साल से कम है तो इसकी बिक्री से कमाई शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन में आयेगी. इसी के हिसाब से आयकर की देनदारी तय होती है.
ऐसे पा सकते हैं टैक्स छूट
अंतरिम बजट 2019 के पेश होने से पहले एक आवासीय घर बेचकर दूसरा घर खरीदने पर कैपिटल गेन्स पर टैक्स डिडक्शन तभी मिलता था, जब उस पैसे से केवल एक आवासीय घर खरीदा गया हो. लेकिन अंतरिम बजट 2019 में यह प्रावधान किया गया कि घर की बिक्री से प्राप्त रकम से दो आवासीय घरों को खरीदकर कैपिटल गेन्स पर टैक्स डिडक्शन का लाभ लिया जा सकता है. लेकिन शर्त यह है कि कैपिटल गेन्स की रकम 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए. अगर रकम 2 करोड़ रुपये से ज्यादा हुई तो यह लाभ केवल एक आवसीय घर की खरीद पर ही मिलेगा.
इसके अलावा एक शर्त यह भी है कि प्रॉपर्टी से बिक्री से प्राप्त पैसे पर टैक्स डिडक्शन का लाभ लेने के लिए इससे एक निश्चित समयावधि के अंदर दूसरा घर खरीदना जरूरी है. उदाहरण के तौर पर बिक्री की तारीख से दो साल के अंदर, दूसरे घर के कंस्ट्रक्शन के मामले में प्रॉपर्टी बिक्री की तारीख से तीन साल के अंदर.
आप चाहें तो कैपिटल गेन्स को आयकर कानून के सेक्शन 54इसी के तहत कैपिटल गेन्स बॉन्ड में निवेश करके भी टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. इन बॉन्ड में निवेश की सीमा प्रति वित्त वर्ष 50 लाख रुपये तक है.

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