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राधेश्याम अग्रवाल से प्रभात खबर की विशेष बातचीत: उधार के 20 हजार रुपये से शुरू हुआ इमामी का कारोबार आज एक लाख करोड़ रुपये का

राजा से रंक और रंक से राजा बनने की कहानी है इमामी समूह के संस्थापक अध्यक्ष एवं संयुक्त चेयरमैन राधेश्याम अग्रवाल की. पिता के कारोबार में आयी सुनामी एवं अपने शुरुआती कारोबार की विफलता को उन्होंने चैलेंज के रूप में लिया. उन्होंने अपनी सूझबूझ, ज्ञान और अनुभव के बल पर इमामी समूह को विस्तार एवं […]

राजा से रंक और रंक से राजा बनने की कहानी है इमामी समूह के संस्थापक अध्यक्ष एवं संयुक्त चेयरमैन राधेश्याम अग्रवाल की. पिता के कारोबार में आयी सुनामी एवं अपने शुरुआती कारोबार की विफलता को उन्होंने चैलेंज के रूप में लिया. उन्होंने अपनी सूझबूझ, ज्ञान और अनुभव के बल पर इमामी समूह को विस्तार एवं नया आयाम दिया है.
उनका मानना है कि इस सफलता में उनके पार्टनर, बाल सखा और सहपाठी राधेश्याम गोयनका की भी बड़ी भूमिका है. दोनों ने इमामी को मात्र 20 हजार रुपये उधार लेकर शुरू किया था, जो आज एक लाख करोड़ रुपये का कारोबार बन गया है. सक्सेस जर्नी के लिए कवि हृदय राधेश्याम अग्रवाल से पुरुषोत्तम तिवारी ने खास बातचीत की. प्रस्तुत है प्रमुख अंश:
एक नजर
राधेश्याम अग्रवाल
जन्म स्थान : बीकानेर (राजस्थान)
कर्मभूमि : कोलकाता
शिक्षा : एम कॉम, एलएलबी
एफसीए, एफसीएस
बालपन से ही अपनी प्रतिभा और योग्यता के अनुसार कुछ खास करने का सपना देखा, जिसे अपने सखा राधेश्याम गोयनका के साथ मिलकर साकार किया. लघु स्तर पर व्यवसाय आरंभ किया. आज दोनों की गणना देश के अग्रणी उद्योगपतियों में की जाती है. पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं, संगीत, नृत्य तथा दुर्लभ पेंटिंग्स व मूर्तियों के संग्रह में छात्र जीवन से ही रुचि. विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैं. कई ट्रस्टों के मानद ट्रस्टी हैं. संतों, महात्माओं और ज्ञानियोंं से सत्संग के प्रति आत्मीय झुकाव के लिए जाने जाते हैं.
Qआपने कभी कल्पना की थी कि इमामी कंपनी इतनी बड़ी हो जायेगी ?
सच कहूं तो इसकी कल्पना नहीं की था. वर्ष 1974 में इमामी कंपनी मात्र बीस हजार से शुरू हुई थी, जो आज एक लाख करोड़ के मूल्य की बन गयी है. यह मेरे लिए सुखद है. बीज से वटवृक्ष बनी कंपनी के विकास में मेरे पार्टनर एवं मित्र राधेश्याम गोयनका की बड़ी भूमिका है. बचपन से ही हम सहपाठी थे और आज भी हमारा पार्टनशिप चल रहा है. हमारी दूसरी व तीसरी पीढ़ियों में भी पार्टनरशिप की यह परंपरा चल रही है, यह शायद विश्व रिकाॅर्ड है. इसका मूल आधार है देने ही चाह, लेने की नहीं. आपस में हम लोगों का किसी भी स्तर पर टकराव नहीं होता. प्रेम व सकारात्मक भाव सदा बना रहा.
Qइमामी का क्या अर्थ है ?
इमामी का अर्थ है- लव मी अर्थात मुझे प्यार करो. संदेश भी यही है. जीवन का मतलब भी यही है- एक-दूसरे से प्रेम करो. प्रेम के आधार पर इमामी विकास पथ पर सतत अग्रसर है.
Qआप व्यावसायिक और साहित्यिक किताबों में भी रुचि रखते हैं. कारोबार के लिहाज से यह कितना फायदेमंद है?
भगवान ने मुझे सृजनात्मक शक्ति दी है. मैं पांच मिनट में कविता लिख सकता हूं. अक्सर ऐसा होता है कि मैं अपने भावों को इस रूप में अभिव्यक्त करता हूं. साहित्य मुझे सकारात्मक दृष्टि और मानसिक शांति प्रदान करता है.
मुझे ‘याद मां के हाथों की’ कविता अक्सर याद आती है – ‘..हर फटे पुराने हाल को/तुमने संवारा था मां / तुम्हारे वे दुलारे निर्बल हाथ / कितने सबल थे/ न जाने क्यों/ तुम्हारे हाथों की याद/ बार-बार आती है/ मां.’ मेरी कविताओं में मेरा जीवन दर्शन है. व्यावसायिक किताबें मुझे बहुत सहयोग करती हैं. मैंने बहुत सारी किताबें पढ़ी हैं.
डेल कार्निगे की पुस्तक ‘नेपोलियन हिल’ को मैंने बारीकी से पढ़ा है और इसके संदेश को अपने जीवन में उतारा भी है. इन किताबों में लिखा है कि सफल होने के लिए एक उद्देश्य होना चाहिए यानी जीवन का लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए. मास्टर माइंड बनना चाहिए.
Qएक उद्योगपति का सामाजिक दायित्व क्या होना चाहिए ?
उद्योगपति ही क्यों, हर व्यक्ति का सामाजिक दायित्व होना चाहिए. समय के साथ समाज की जो आवश्यकताएं हैं, उनके अनुरूप सभी को सकारात्मक सहयोग करना चाहिए.
Qआपके व्यवसाय में ब्रांड और विज्ञापन की कितनी बड़ी भूमिका है?
निश्चित तौर पर कंपनी के विकास में ब्रांड और विज्ञापन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. ब्रांड अच्छा बनेगा, तो उत्पाद अच्छे बनेंगे. कंपनी को अपने ब्रांड व प्रोडक्ट की सत्यता व गुणवत्ता के प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिए, मगर ब्रांड केवल उत्पाद का नहीं होता, ब्रांड आदमी एवं उसके व्यापार का भी होता है. ब्रांड से समाज में प्रतिष्ठा मिलती है.
ब्रांड एक दिन में नहीं बनता. इसके लिए सतत प्रयत्नशील रहना पड़ता है. ब्रांड हमेशा समय और अपने अच्छे काम के प्रभाव से बनता है. ब्रांड को बढ़ावा देने में विज्ञापन की बड़ी भूमिका है. फिल्म ‘अगर तुम न होते’ में राजेश खन्ना को इमामी कंपनी का डायरेक्टर दिखाया गया था. इससे कंपनी की लोकप्रियता काफी बढ़‍ गयी. अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, शाहरूख खान आदि हमारी कंपनी के समय-समय पर ब्रांड एंबेसडर रहे हैं. मैं अमिताभ बच्चन नहीं बन सकता, क्योंकि उसमें (अभिनय में) मेरी रुचि नहीं है.
Q क्या ईश्वर में आपका विश्वास है ?
जी हां. ईश्वर की सत्ता का हर समय अनुभव करता हूं. ईश्वर की सत्ता के आगे हम कुछ भी नहीं हैं. ईश्वर की सत्ता से व्यक्ति की सत्ता है. जैसे पांच मिनट में मैं ऊपर चला जाऊं, तो इस देह की क्या सत्ता रह जायेगी?
Qइतनी बड़ी कामयाबी हासिल करने के बाद अब अपने विषय क्या सोचते हैं?
यही सोचता हूं कि कुछ अच्छा करके जाऊं. ऐसा करूं कि आने वाली पीढ़ियों के लिए वह आदर्श हो. उन्हें लगे कि मेरे जीवन में कभी निशा बेला नहीं आयी, हमेशा सांध्य बेला ही रही.
Qआपके जीवन पर सबसे ज्यादा किस व्यक्ति का प्रभाव है ?
मेरे जीवन पर बाल सखा और पार्टनर राधेश्याम गोयनका का प्रभाव पड़ा है. मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि उस पर भी मेरा प्रभाव पड़ा है. हम दो शरीर भले ही हैं, पर हमारी आत्मा एक ही है.
Qआपकी कंपनी किस-किस व्यवसाय से जुड़ी हुई है ?
कंपनी कागज उद्योग, रियल एस्टेट, प्लास्टिक, सीमेंट, ब्यूटी प्रोडक्ट आदि विभिन्न व्यवसायों से जुड़ी है. न्यूज प्रिंट उत्पादन में कंपनी देश की नंबर वन कंपनी है.
Qकंपनी की भविष्य की योजनाएं क्या-क्या हैं ?
सीमेंट व कागज यूनिट के कारोबार को बढ़ाना है. फिलवक्त उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने की योजना है. कंपनी नये सेक्टर में जाने के लिए अभी नहीं सोच रही है.
Qआपकी सफलता का मूल मंत्र क्या है ?
सफलता का मूल मंत्र है सच्चाई और ईमानदारी. अपने पार्टनर के प्रति देने की चाह एवं परिवार व कंपनी के कर्मचारियों के प्रति सद्भाव. मेरी धर्मपत्नी उषा का मेरी सफलता में बहुत बड़ा योगदान रहा है.
Qकंपनी की विकास यात्रा को आप कैसे देखते हैं ?
मेरे जन्म के पांच साल बाद हमारा परिवार बीकानेर से कोलकाता चला आया था. पिता जी का रंग का अच्छा कारोबार था. मैं एक राजा के बेटे की तरह माहेश्वरी विद्यालय में भर्ती हुआ था. स्कूल के बाद सीधा रंग की दुकान पर पहुंच जाता. वहां तरह-तरह के रंग और नोट को देख कर प्रफुल्लित हो जाता, पर तीन महीने में ही पिताजी का व्यवसाय अचानक धराशायी हो गया. घर के लोग मेरी शरारत के कारण मुझे गुंडा कहते थे, पर मेरी मां जानकी कहती थीं- राधे ही इस घर को फिर से ऊपर उठायेगा.
बचपन से ही मैं पढ़ने में तेज था. सेंट जेवियर्स, कोलकाता से पढ़ाई करने के बाद मैंने सीए, एमकॉम और एलएलबी की पढ़ाई की. कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही मनिहारी (प्रसाधन) के पैतृक व्यवसाय को देखता, पर मन में कुछ नया करने का चल रहा था.
हमने बाल सखा राधेश्याम गोयनका के पिता केशवदेव जी से 20 हजार रुपये लेकर व्यवसाय शुरू किया, पर कुछ कारणों से यह पैसा भी डूब गया. कारोबार करने की हिम्मत एक तरह से टूट गयी, पर राधेश्याम गोयनका जी के पिताजी ने एक लाख रुपये देते हुए कहा कि तुम लोग हिम्मत हार गये? कारोबार शिव जी की गद्दी है.
फिर हम दोनों ने व्यवसाय शुरू किया. 1967 में केमको केमिकल्स के नाम से सौंदर्य प्रसाधन क्षेत्र में उतरा. इमामी ब्रांड से तीन चीजों इमामी टेलकॉम पाउडर, वैनिसिंग क्रीम, परफ्यूम सेशे का उत्पादन शुरू किया. साथ ही बिरला ब्रदर्स में नौकरी शुरू की.
बाद में स्वयं उद्योग के क्षेत्र में हम उतरे. धीरे-धीरे हिमानी, गुलमोहर पेपर मिल, सीआरआइ लिमिटेड (बॉल पेन कंपनी), झंडू, फ्रैंकरोस लिमिटेड एवं होमियोपैथी दवा बनाने वाली कंपनी किंग एंड किंग का अभिग्रहण किया. समय के साथ कागज उद्योग, सीमेंट, रियल इस्टेट आदि के क्षेत्र में भी कदम रखा है तथा कंपनी लगातार विकास करती गयी.
आज नवरत्न तेल, सोना-चांदी च्वनप्राश, फास्ट रिलीफ, बोरोप्लस जैसे उत्पाद आम लोगों के उत्पाद बन गये हैं. हम लोगों ने नयी तकनीकी के इस्तेमाल तथा डिजाइनिंग पर विशेष ध्यान दिया है. इसके साथ ही कारखाने में काम करने वाले कर्मचारियों के हितों पर पूरा ध्यान रखा जाता है. कर्मचारियों के बच्चों के शादी-विवाह में मैं खुद शामिल होता हूं, क्योंकि मैं मानता हूं कि वे हमारे परिवार के सदस्य हैं.

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