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अरामको तेल रिफानरी पर ड्रोन हमला, गिरा उत्पादन, बढ़ सकता है भारत का आयात बिल, वैश्विक तेल कारोबार होगा प्रभावित

सऊदी अरब में हमलों के बाद तेल की आपूर्ति में कमी आयी है और दामों में भी उछाल आया है. मध्य-पूर्व में अस्थिरता और अशांति की आशंकाएं बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में कच्चे तेल के उत्पादन और बिक्री पर ग्रहण बना हुआ है. ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए तेल के आयात पर निर्भर भारत के […]

सऊदी अरब में हमलों के बाद तेल की आपूर्ति में कमी आयी है और दामों में भी उछाल आया है. मध्य-पूर्व में अस्थिरता और अशांति की आशंकाएं बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में कच्चे तेल के उत्पादन और बिक्री पर ग्रहण बना हुआ है. ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए तेल के आयात पर निर्भर भारत के लिए यह माहौल बहुत चिंताजनक है. देश और दुनिया पर इसके असर के विश्लेषण के साथ प्रस्तुत है आज का इन डेप्थ.
वैश्विक तेल कारोबार होगा प्रभावित
सऊदी अरब की तेल इंडस्ट्री पर हमले की खबर आर्थिक मोर्चे पर तमाम समस्याओं से जूझते भारत की चिंताएं बढ़ा सकती है. सऊदी की सरकारी तेल कंपनी अरामको के दो तेल उत्पादन केंद्रों पर हुए ड्रोन हमले से इसका ऑपरेशन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. दुनिया की शीर्ष तेल एवं गैस रिफाइनरी में शुमार अरामको पर हमले की इस वारदात के बाद वैश्विक तेल बाजार में उथल-पुथल की स्थिति है. वैश्विक कारोबारियों का मानना है कि अगर सऊदी अरब तेल उत्पादन की पूर्ण क्षमता को दोबारा कुछ हफ्तों में हासिल नहीं कर लेता है, तो वैश्विक तेल कीमतों में तेजी से उछाल आयेगा. इसका असर वैश्विक तेल कारोबार, विशेषकर कच्चे तेल के बड़े आयातक देशों पर पड़ेगा.
हमले के बाद रोजाना के तेलउत्पादन में आयी गिरावट
अरामको के अबकेक और खुरेस प्लांट पर यमन के हौदी विद्रोहियों ने बीते दिनों ड्रोन से हमला कर दिया था. इससे सऊदी के कुल तेल उत्पादन में 57 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) की कमी आ गयी है. यह विश्व के कुल कच्चे तेल के निर्यात का लगभग पांच प्रतिशत और सऊदी अरब के तेल उत्पादन का आधा है. इस हफ्ते की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड में 20 प्रतिशत का उछाल आ गया, जो कि बीते 30 वर्षों में सर्वाधिक उछाल है.
भारत की चिंताएं
सऊदी अरब से तेल निर्यात प्रभावित होने का असर वैश्विक तेल कीमतों पर पड़ेगा. चूंकि, भारत सऊदी अरब से भारी मात्रा में तेल आयात करता है. ऐसे में बढ़ी कीमतों का सीधा असर भारत पर भी पड़ेगा. भारत को इस चुनौती का सामना एेसे वक्त में करना है, जब देश पहले से ही आर्थिक मंदी की गिरफ्त में है.
80 प्रतिशत अपनी तेल जरूरतों को भारत आयात के जरिये पूरा करता है. भारत के लिए कच्चे तेल और रसोई गैस का सऊदी अरब दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है.
21.16 करोड़ टन हो चुकी है तेल खपत भारत की साल 2018-19 में. तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण (पीपीएसी) के आंकड़े से स्पष्ट है कि 2017 से भारत की तेल पर निर्भरता लगातार बढ़ी है.
3.69 करोड़ टन था भारत का कच्चा तेल उत्पादन 2015-16 में, 2016-17 में घटकर 3.6 करोड़ टन हो गया, वित्त वर्ष 2019 में भारत का क्रूड आउटपुट गिरकर 3.42 करोड़ टन पर पहुंच गया है.
भारतीय मुद्रा ‘रुपये’ पर भी पड़ेगा असर
वैश्विक स्तर पर तेल कीमतों में इजाफे का सीधा असर भारत के आयात पर पड़ेगा. इसका प्रभाव भारतीय मुद्रा ‘रुपये’ पर भी पड़ेगा और आयात बिल तेजी से बढ़ेगा. सिंगापुर के डीबीएस बैंकिंग ग्रुप का मानना है कि सऊदी अरामको पर ड्रोन हमले का असर भारत के आयात बिल पर स्पष्ट रूप से दिखेगा.
विशेषज्ञों के अनुसार, कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी भारत की जीडीपी के चालू खाता घाटे को 0.4 से 0.5 प्रतिशत बढ़ा सकती है.
ब्रेंट क्रूड कीमतों में प्रत्येक डॉलर की बढ़त भारत के तेल आयात बिल में दो अरब डॉलर की बढ़ोतरी कर सकती है. साल 2018-19 में भारत ने तेल आयात पर 11,190 करोड़ डॉलर खर्च किये थे.
12 से 13 दिनों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर पाने में सक्षम है भारत अपने रिजर्व के माध्यम से, जबकि सऊदी अरब, अमेरिका और चीन के पास पर्याप्त आपातकालीन भंडारण है.
भारत की तेल आपूर्ति नहीं होगी बाधित : पेट्रोलियम मंत्री
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक, इस घटनाक्रम पर भारत बारीक नजर बनाये हुए है. उन्होंने दावा किया है कि सऊदी के अरामको पर हुए ड्रोन हमले की वजह से भारत की तेल आपूर्ति पर असर नहीं पड़ेगा.
उन्होंने कहा है कि सितंबर माह के लिए अनुबंधित मात्रा से आधे से अधिक तेल का आयात किया जा चुका है. यह आपूर्ति इस हफ्ते भी जारी रहेगी. सऊदी द्वारा तेल आपूर्ति को पूर्ण रूप से बहाल किये जाने के बाद किसी समस्या की संभावना नहीं रहेगी. लंबा चलनेवाले तेल संकट ही भारत की समस्या का कारण बन सकता है.
भारत की अलग-अलग स्तरों पर आर्थिक चिंता
आर्थिक मंदी के भंवर में फंसे भारत में विभिन्न सेक्टरों में नौकरियां जा रही हैं. ऐसे में वैश्विक तेल कीमतों की बढ़ोतरी से अगर आर्थिक भार बढ़ता है, तो मुश्किलों भरे हालात हो सकते हैं. कमजोर मांग का असर निवेशकों के मनोभाव पर पड़ेगा. हफ्ते की शुरुआत में सेंसेक्स में 600 से अधिक और निफ्टी में 185 अंकों की गिरावट दर्ज की गयी थी. बजट के बाद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी हैं.
सऊदी अरब के सामने विकल्प
यमन के हौदी विद्रोहियों ने हमलों की जिम्मेदारी लेते हुए ऐसे और हमलों की धमकी दी है, जबकि अमेरिका ने ईरान को जवाबदेह ठहराया है.
आरोप को खारिज करते हुए ईरान ने कहा है कि यदि उस पर हमला हुआ, तो इस क्षेत्र की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है. हौदी विद्रोहियों को ईरान का समर्थन है तथा इनके खिलाफ सऊदी अरब और यूएई की सेनाएं हमलावर हैं. एेसे में सऊदी के सामने मौजूद विकल्प-
यमन में हौदी ठिकानों पर हमलों की संख्या और तीव्रता बढ़ाना.
ईरान और उसके सहयोगी देशों व संगठनों के खिलाफ साइबर हमले और खुफिया कार्रवाई करना. मध्य-पूर्व में विभिन्न देशों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ हिंसक गुटों को मदद देने की परिपाटी पुरानी है. इसमें हाल के सालों में साइबर हमलों की प्रवृत्ति भी बढ़ी है.
यमन में अमन के लिए बातचीत करना, हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है. पर, हौदी विद्रोहियों का पूरी तरह से ईरान के नियंत्रण में न होना, ऐसी किसी गुंजाइश से इनकार नहीं किया जा सकता है.सऊदी अरब और ईरान के बीच युद्ध की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है.

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