28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

1952 से 1969 तक रहा रामगढ़ राज परिवार का वर्चस्व, कामाख्या नारायण सिंह कभी नहीं जीत सके हजारीबाग

सलाउद्दीन/नीरज अमिताभ राज परिवार के विरोध के बाद कामाख्या नारायण सिंह कभी नहीं जीत सके हजारीबाग हजारीबाग/रामगढ़ : हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र पर लंबे समय तक रामगढ़ राजघराना का प्रभाव रहा है. रामगढ़ राजघराना से जुड़े लोगों ने पांच बार हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता है. हालांकि, दो बार राजघराना के प्रतिनिधियों को चुनाव में […]

सलाउद्दीन/नीरज अमिताभ
राज परिवार के विरोध के बाद कामाख्या नारायण सिंह कभी नहीं जीत सके हजारीबाग
हजारीबाग/रामगढ़ : हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र पर लंबे समय तक रामगढ़ राजघराना का प्रभाव रहा है. रामगढ़ राजघराना से जुड़े लोगों ने पांच बार हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता है. हालांकि, दो बार राजघराना के प्रतिनिधियों को चुनाव में हार का सामना भी करना पड़ा है. वर्ष 2009 व 2014 के चुनाव में राज परिवार के सौरभ नारायण सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा. लेकिन, वह दोनों ही बार हार गये.
रामगढ़ राज परिवार का वर्चस्व 1952 से 1969 तक रहा. बिहार सरकार में कांग्रेस के तत्कालीन भू-राजस्व मंत्री कृष्णबल्लभ सहाय ने जमींदारी उन्मूलन का प्रस्ताव पारित किया. पूरे प्रदेश में इस कानून को शक्ति से लागू किया गया. जमींदार राज परिवार ने, जो इससे प्रभावित थे, छोटानागपुर से राजनीति में उतर कर कांग्रेस और श्री सहाय का विरोध किया. राज परिवार के कामाख्या नारायण सिंह ने इसका नेतृत्व किया.
इस वजह से श्री सहाय हजारीबाग से कभी चुनाव नहीं जीत सके. बाद में वह गिरिडीह से विधायक बने और 1963 में बिहार के मुख्यमंत्री चुने गये. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने हजारीबाग विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन वह फिर हार गये. 1969 में कामख्या नारायण सिंह के देहांत के बाद राजनीति में राज परिवार का दखल कमजोर होता चला गया.
हजारीबाग लोकसभा सीट से सबसे अधिक जीत डॉ बसंत नारायण सिंह ने दर्ज करायी है. जनता पार्टी उम्मीदवार के रूप में वह 1962, 1967, 1977 और 1980 में कुल चार बार सांसद बने. भाजपा को पहली बार वर्ष 1989 में हजारीबाग लोकसभा सीट पर विजय मिली थी. भाजपा प्रत्याशी के रूप में यदुनाथ पांडेय ने पहली बार भाजपा को जीत दिलायी थी.
उसके बाद यशवंत सिन्हा और उनके पुत्र जयंत सिन्हा के अलावा महावीर विश्वकर्मा भी यहां से सांसद बने. यशवंत सिन्हा तीन बार चुनाव जीतने में कामयाब हुए. लेकिन, उनको इस सीट से हार का सामना भी करना पड़ा है.
हजारीबाग सीट पर भाकपा का भी खासा प्रभाव रहा है. भाकपा के भुवनेश्वर प्रसाद मेहता दो बार यहां से सांसद रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों ने तीन बार हजारीबाग से सांसद चुनाव जीता है. 1968 में हुए उपचुनाव में मोहन सिंह ओबराय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे. भूटान में जन्म लेनेवाले मोहन सिंह ओबराय मशहूर ग्रुप ओबराय होटल्स के संस्थापक थे.
ओबराय ग्रुप ने ही भारत का पहला माडर्न फाइव स्टार होटल खोला था. 1971 और 1984 में भी कांग्रेस यह सीट जीतने में कामयाब रही थी. दोनों ही बार मजदूर नेता दामोदर पांडेय ने यह सीट जीती थी. 1971 में राजमाता ललिता राजलक्ष्मी के हारने पर महल में अंधेरा कर दिया गया था.
हजारीबाग से अब तक के सांसद
वर्ष 1957 ललिता राज लक्ष्मी छोटानागपुर संतालपरगना जनता पार्टी (सीएसपीजेपी)
वर्ष 1962 बसंत नारायण सिंह स्वतंत्र पार्टी
वर्ष 1967 बसंत नारायण सिंह निर्दलीय
वर्ष 1968 मोहन सिंह ओबराय कांग्रेस
वर्ष 1971 दामोदर पांडेय कांग्रेस
वर्ष 1977 बसंत नारायण सिंह जनता पार्टी
वर्ष 1980 बसंत नारायण सिंह जनता पार्टी
वर्ष 1984 दामोदर पांडेय कांग्रेस
वर्ष 1989 यदुनाथ पांडेय भाजपा
वर्ष 1991 भुवनेश्वर प्रसाद मेहता भाकपा
वर्ष 1996 महावीर लाल विश्वकर्मा भाजपा
वर्ष 1998 यशवंत सिन्हा भाजपा
वर्ष 1999 यशवंत सिन्हा भाजपा
वर्ष 2004 भुवनेश्वर प्रसाद मेहता भाकपा
वर्ष 2009 यशवंत सिन्हा भाजपा
वर्ष 2014 जयंत सिन्हा भाजपा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें