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मिशन 2019 : रामविलास पासवान के हाथ से हाजीपुर छीनने को बेताब है महागठबंधन

एनडीए को चुनौती देने के लिए महागठबंधन कर रहा बेहतर उम्मीदवार की तलाश पटना : लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान का राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन, लाख टके का यह सवाल सिर्फ हाजीपुर में ही नहीं देश भर में उठ रहा है. पासवान अब शायद ही कभी हाजीपुर से लोकसभा के प्रत्याशी होंगे. पासवान को भाजपा […]

एनडीए को चुनौती देने के लिए महागठबंधन कर रहा बेहतर उम्मीदवार की तलाश

पटना : लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान का राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन, लाख टके का यह सवाल सिर्फ हाजीपुर में ही नहीं देश भर में उठ रहा है. पासवान अब शायद ही कभी हाजीपुर से लोकसभा के प्रत्याशी होंगे. पासवान को भाजपा अपने कोटे से मार्च में होने वाले राज्यसभा चुनाव में असम सीट से उम्मीदवार बनायेगी. एनडीए ने हाजीपुर की सीट उनकी पार्टी के लिए छोड़ तो दी है, मगर उनका दल अब तक उम्मीदवार के नाम पर एकमत नहीं हो पाया है.

सूत्र बताते हैं कि पासवान के छोटे भाई, राज्य सरकार में मंत्री व लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को उम्मीदवार बनाया जा सकता है.

पार्टी के भीतर कुछ लोग पासवान की पत्नी रीना पासवान के भी आखिरी क्षणों में दावेदारी की संभावना जता रहे हैं. पासवान की इस सीट पर काबिज होने के लिए महागठबंधन भी बेताब है. महागठबंधन के सबसे बड़े दल राजद में टिकट के कई दावेदार हैं. इनमें पूर्व विधायक शिवचंद्र राम के नाम सबसे ऊपर हैं. रालोसपा की नजर भी इस सीट पर है.

वहीं, पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ती आयी कांग्रेस भी अपने उम्मीदवार उतारने की कोशिश में है. हालांकि, हाजीपुर की सीट पर कब्जा के लिए महागठबंधन के दलों में साझा उम्मीदवार उतारे जाने को लेकर सहमति बनी है. फिर भी दमखम वाले प्रत्याशी ही पासवान की सीट पर जीत का सेहरा बांध सकते हैं.

1977 से ही पासवान बनाम अन्य की लड़ाई

हाजीपुर सुरक्षित सीट पर 1977 से ही रामविलास पासवान बनाम अन्य की लड़ाई होती आयी है. इस बार भले ही पासवान उम्मीदवार नहीं हों, लेकिन लोजपा उनके नाम पर ही चुनाव में वोट मांगेगी. पासवान के लिए हाजीपुर खास रहा है. 1977 के आम चुनाव में उन्हें यहां से रिकाॅर्ड मतों से जीत हासिल हुई थी.

कुल पड़े मतों में 85 प्रतिशत से अधिक वोट उन्हें मिले थे. पर, बाद के दिनों में पासवान को दो बार हाजीपुर सीट से पराजय का सामना भी करना पडा था. 2009 के चुनाव में पासवान जदयू उम्मीदवार राम सुंदर दास से और इसके पहले 1984 में कांग्रेस के राम रतन राम से परास्त हो गये थे. इसके अलावा सभी चुनाव में पासवान को हाजीपुर सुरक्षित सीट से जीत मिलती रही.

2014 के चुनाव में पासवान के खिलाफ एक बार फिर बुजुर्ग उम्मीदवार रामसुंदर दास को जदयू ने उम्मीदवार बनाया था. इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री संजीव प्रसाद टोनी भी उम्मीदवार थे. लेकिन, जीत पासवान को ही मिली. इसके पहले 2009 के चुनाव में राजद के साथ तालमेल के बावजूद उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था.

पिछले चुनाव में रामविलास को मिले थे चार लाख से ज्यादा वोट

2014 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान को 4,54,874 वोट मिले थे. दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के संजीव प्रसाद टोनी को 2,29816 और तीसरे नंबर पर रहे जदयू के रामसुंदर दास को 95701 वोट मिले थे.

इस सीट में ये विधानसभा क्षेत्र हैं शामिल

हाजीपुर सुरक्षित लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की छह सीटें आती हैं, इनमें हाजीपुर, लालगंज, महुआ, राजापाकड़, राघोपुर और महनार हैं.

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