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इमरान को ट्रंप की नसीहत- भारत के साथ तनाव को द्विपक्षीय तरीके से कम करें

वॉशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ शुक्रवार को फोन पर हुई बातचीत में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव द्विपक्षीय वार्ता के जरिये कम करने के महत्व पर बल दिया. ट्रंप और इमरान के बीच फोन पर बातचीत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों […]

वॉशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ शुक्रवार को फोन पर हुई बातचीत में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव द्विपक्षीय वार्ता के जरिये कम करने के महत्व पर बल दिया. ट्रंप और इमरान के बीच फोन पर बातचीत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों के बीच बंद दरवाजे में चर्चा से पहले हुई.

व्हाइट हाउस की ओर से फोन कॉल के बारे में बयान न्यू याॅर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में बैठक समाप्त होने के बाद जारी किया गया. व्हाइट हाउस के उप प्रेस सचिव होगान गिडले ने एक बयान में कहा, राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर में स्थिति के संबंध में भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता के जरिये तनाव कम करने का महत्व बताया. व्हाइट हाउस ने कहा कि ट्रंप ने क्षेत्रीय घटनाक्रम पर चर्चा करने और पिछले महीने खान की वाशिंगटन की यात्रा के बारे में चर्चा करने के लिए बातचीत की. गिडले ने कहा कि दोनों नेताओं ने अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बढ़ते संबंधों को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की. दोनों नेताओं ने इसके साथ ही व्हाइट हाउस में हाल में हुई बैठक के दौरान संबंधों को मिली गति के बारे में भी चर्चा की.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस्लामाबाद में कहा कि खान ने भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किये जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सुरक्षा परिषद की बैठक के संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति को विश्वास में लिया. रेडियो पाकिस्तान ने कुरैशी के हवाले से कहा, प्रधानमंत्री खान ने कश्मीर के ताजा घटनाक्रम और क्षेत्रीय शांति पर इसके खतरे के संबंध में पाकिस्तान की चिंता से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि कहा कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई. दोनों नेता कश्मीर मुद्दे पर संपर्क में रहने पर सहमत हुए. कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी देशों में से चार से संपर्क किया था और फ्रांसीसी राष्ट्रपति से भी संपर्क करने का प्रयास कर रहा है ताकि उनका देश हमारी स्थिति समझे.

कश्मीर को लेकर सुरक्षा परिषद की बंद दरवाजे में दुर्लभ चर्चा बिना किसी नतीजे या 15 देशों वाले संयुक्त राष्ट्र इकाई की ओर से बिना किसी बयान के समाप्त हुई. इससे पाकिस्तान के साथ ही उसके सहयोगी चीन के मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के प्रयास को झटका लगा. भारी बहुमत इसके पक्ष में था कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है. चर्चा के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि चीन चर्चा के नतीजे पर जोर दे रहा था. वह चाहता था कि चर्चा के बाद अगस्त महीने के सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष पोलैंड की ओर से एक प्रेस बयान जारी किया जाये. बहरहाल, 15 सदस्यीय देशों में से बहुमत ने कहा कि चर्चा के बाद कोई बयान या नतीजा जारी नहीं किया जाना चाहिए और ऐसा ही हुआ.

इसके बाद चीन सामने आया और अपना बयान अपनी राष्ट्रीय क्षमता के आधार पर जारी किया. इसके बाद पाकिस्तान ने भी बयान जारी किया. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के समापन के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी दूत सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत का यह रुख पहले भी था और अब भी यही है कि संविधान के अनुच्छेद 370 से जुड़ा मामला पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है और इसके कोई बाहरी निहितार्थ नहीं हैं. पांच अगस्त को भारत ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर खंडों को समाप्त कर दिया जो जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करते थे. इसके साथ ही जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया.

भारत के कदम पर प्रतिक्रिया जताते हुए पाकिस्तान ने भारत के साथ द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों को कमतर करने का निर्णय करने के बाद भारतीय उच्चायुक्त को देश से निष्कासित कर दिया था. भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से स्पष्ट तौर पर कह दिया कि संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर खंडों को समाप्त करने का उसका कदम एक आंतरिक मामला है. भारत ने साथ ही पाकिस्तान को वास्तविकता स्वीकार करने की भी सलाह दी.

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