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मां की विरासत सहेजने में पसीना बहा रहे वरुण, पीलीभीत सीट पर सपा के हेमराज दे रहे सीधी टक्कर

पीलीभीत से राजेंद्र सिंह हिमालय की तराई में बसे और गोमती नदी के उद्गम स्थल पीलीभीत से ही वरुण ने 2009 में संसदीय राजनीति में एंट्री की थी. बिगड़े बोलों के बावजूद वह 2.81 लाख मतों से लोकसभा चुनाव जीते थे. भाजपा ने 2014 में उन्हें सुल्तानपुर से उम्मीदवार बनाया था. कांग्रेस ने समझौते में […]

पीलीभीत से राजेंद्र सिंह

हिमालय की तराई में बसे और गोमती नदी के उद्गम स्थल पीलीभीत से ही वरुण ने 2009 में संसदीय राजनीति में एंट्री की थी. बिगड़े बोलों के बावजूद वह 2.81 लाख मतों से लोकसभा चुनाव जीते थे. भाजपा ने 2014 में उन्हें सुल्तानपुर से उम्मीदवार बनाया था.

कांग्रेस ने समझौते में यह सीट अपना दल (कृष्णा पटेल) को दी थी. तकनीकी कारणों से अपना दल का प्रत्याशी नहीं उतारा जा सका. लिहाजा, वरुण का मुख्य मुकाबला बसपा-सपा-रालोद गठबंधन के सपा प्रत्याशी हेमराज वर्मा से है. हालांकि, प्रसपा (लोहिया), जनता दल (यू) व निर्दलीय सुरेन्द्र कुमार गुप्ता समेत कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं.

कभी सोशलिस्टों का रहा गढ़ : 1989 में मेनका पीलीभीत आयीं तो जनता ने उन्हें हाथों-हाथ लिया. वह 1989 व 1996 में जनता दल, 1998 व 99 में निर्दलीय और 2004 व 2014 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में विजयी रहीं. 1991 में भाजपा के परशुराम ने उन्हें पराजित कर दिया था.

पीलीभीत लोकसभा सीट पर कांग्रेस 13 चुनावों में से केवल तीन बार जीत पायी. 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस के मुकुंद लाल अग्रवाल चुनाव जीते लेकिन उसके बाद प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के मोहन स्वरूप 1957, 62 व 67 में यहां से सांसद चुने गये. 1971 में वह कांग्रेस में चले गये तो यह सीट कांग्रेस को मिल गयी. इसके बाद सिर्फ 1984 की लहर में कांग्रेस जीत सकी है.

पिछड़ों व अन्य वर्गों में सेंध लगा रही भाजपा

वरुण गांवों में नुक्कड़ सभाओं में कांग्रेस व राहुल गांधी पर हमला करने के बजाय अपनी बात रख रहे हैं. कह रहे हैं, तीन लाख से ज्यादा वोटों से जितायेंगे तो वह सुपरमैन की तरह उनका काम करेंगे. 2009 में विपरीत उनका भाषण संयत है. कई जगह उनसे नाराजगी भी है, लेकिन कई लोग ऐसे भी मिले कि नाराजगी के बावजूद मोदी को पीएम बनाने के लिए वरुण को वोट देंगे.

पहले जैसा आसान मुकाबला इस बार नहीं

कई चुनावों से एकतरफा जीत हासिल करने वाली भाजपा को गठबंधन उम्मीदवार से कड़ी चुनौती मिल रही है. आसाम चौराहे के पास फर्नीचर की दुकान चलाने वाले मनोज अग्रवाल कहते हैं कि क्षेत्र के लोगों में वरुण से नाराजगी है, लेकिन मोदी के नाम पर वोट दे रहे हैं.

मंडी समिति के बाहर दुकान करने वाले तरुण शुक्ला कहते हैं, मुकाबला कड़ा है लेकिन, भाजपा चुनाव जीत जायेगी. बरखेड़ा विधानसभा क्षेत्र के ज्योरह कल्याणपुर गांव में रामदीन, रघुनंदन व टीआर गंगवार भी कड़ी टक्कर मान रहे हैं.

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