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प्राकृतिक सौंदर्य व आस्था का संगम है दंतेवाड़ा

रविरंजन,स्टूडेंट, एनआइटीछत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा एक छोटा सा शहर है. दक्षिणी बस्तर क्षेत्र के दंतेवाड़ा जिले में स्थित इस शहर का नाम सुन नजरों के सामने सहसा किसी नक्सली इलाके की तस्वीर घूम जायेंगी. हालांकि बनी बनायी छवि से इतर दंतेवाड़ा एक ऐसा सुंदर स्थान है जहां प्रकृति का मनोरम दृश्य और पहाड़ियों की शृंखलाएं हैं. […]

रविरंजन,स्टूडेंट, एनआइटी
छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा एक छोटा सा शहर है. दक्षिणी बस्तर क्षेत्र के दंतेवाड़ा जिले में स्थित इस शहर का नाम सुन नजरों के सामने सहसा किसी नक्सली इलाके की तस्वीर घूम जायेंगी. हालांकि बनी बनायी छवि से इतर दंतेवाड़ा एक ऐसा सुंदर स्थान है जहां प्रकृति का मनोरम दृश्य और पहाड़ियों की शृंखलाएं हैं. दंतेवाड़ा अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है जहां कई मंदिर हैं. मसलन इस शहर का नाम ही माता दंतेश्वरी देवी के नाम पर पड़ा है जो मां आदिशक्ति का प्रतिरूप हैं. मान्यता है कि शिव के तांडव के बाद माता पार्वती के शरीर में से दांत यहीं पर आ गिरा था.

इसके अलावा इस स्थान के अन्य प्रमुख आकर्षण बैलाडीला, बारसुर, बीजापुर, गमवाडा के स्मारक स्तंभ, बीजापुर और बोधघाट साथ धार हैं. जब हम यहां गये तो हमें दंतेवाड़ा की संस्कृति के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि यहां मुख्य रूप से मुरिया और दंदामी मरिया जनजाति के लोग रहते हैं. हालांकि यह शहर उस जिले में है जो आंध्र प्रदेश और ओडिसा से घिरा हुआ है लेकिन दंतेवाड़ा के निवासियों ने अपनी संस्कृति और विरासत को जीवंत रखा है. दंतेवाड़ा प्राकृति सौंदर्य और आस्था का संगम है.

52 शक्तिपीठों में एक है मां दंतेश्वरी मंदिर
मां दंतेश्वरी का मंदिर को देश का 52वां शक्तिपीठ माना जाता है. मान्यताओं के मुताबिक माता सती का दांत यहां गिरा था, इसलिए यह स्थल पहले दंतेवला और अब दंतेवाड़ा के नाम से चर्चित है. डंकिनी और शंखिनी नदी के संगम पर स्थित इस मंदिर का जीर्णोद्धार पहली बार वारंगल से आये पांडव अर्जुन कुल के राजाओं ने करीब 700 साल पहले करवाया था. 1883 तक यहां नर बलि होती रही है. 1932-33 में दंतेश्वरी मंदिर का दूसरी बार जीर्णोद्धार तत्कालीन बस्तर की महारानी प्रफुल्ल कुमारी देवी ने कराया था. नदी किनारे आठ भैरव भाइयों का आवास माना जाता है, इसलिए यह स्थल तांत्रिकों की भी साधना स्थली है.

यहां नलयुग से लेकर छिंदक नाग वंशीय काल की दर्जनों मूर्तियां बिखरी पड़ी हैं. मां दंतेश्वरी को बस्तर राज परिवार की कुल देवी माना जाता है, परंतु अब यह समूचे बस्तर वासियों की अधिष्ठात्री हैं. शारदीय व चैत्र नवरात्रि पर हर साल यहां हजारों मनोकामनाएं ज्योति कलश प्रज्वलित किए जाते हैं. हजारों भक्त पदयात्रा कर शक्तिपीठ पहुंचते हैं. दंतेश्वरी मंदिर प्रदेश का एकमात्र ऐसा स्थल है जहां फागुन माह में 10 दिवसीय आखेट नवरात्रि भी मनाई जाती है, जिसमें हजारों आदिवासी भी शामिल होते हैं.

इस प्रकार पहुंच सकते हैं दंतेवाड़ा

दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. यह जगदलपुर शहर के पास स्थित है और राजमार्ग नंबर 16 से जुड़ा हुआ है. छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख शहरों जैसे रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग से इस शहर के लिए निजी बसें उपलब्ध हैं. ट्रेन द्वारा दंतेवाड़ा का निकटतम रेलवे स्टेशन जगदलपुर में है जो यहां से लगभग 87 किमी की दूरी पर है. निकटतम हवाई अड्डा राजधानी रायपुर हवाई अड्डा है.

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