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स्मार्टफोन से मस्तिष्क हो रहा बुरी तरह प्रभावित, इन तरीकों से कम कर सकते हैं आदत

इंसान की जिंदगी में तकनीक का दायरा बढ़ता जा रहा है. हालांकि, इससे जहां एक ओर हमें सूचना तक पहुंचने में आसानी हो रही है और मनोरंजन के साथ सदैव संपर्क में बने रहना मुमकिन हो रहा है, वहीं इससे हमारा मस्तिष्क बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और मानसिक सेहत के लिए यह बड़ी […]

इंसान की जिंदगी में तकनीक का दायरा बढ़ता जा रहा है. हालांकि, इससे जहां एक ओर हमें सूचना तक पहुंचने में आसानी हो रही है और मनोरंजन के साथ सदैव संपर्क में बने रहना मुमकिन हो रहा है, वहीं इससे हमारा मस्तिष्क बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और मानसिक सेहत के लिए यह बड़ी चुनौती बन रहा है. इन्हीं समस्याओं और उनके बेहतर समाधान के साथ प्रस्तुत है आज का इन्फो टेक …
मौजूदा समय में हम तकनीकी जुनून के ऐसे युग में जी रहे हैं, जिसमें स्मार्टफोन लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है. लोग अक्सर यह कहते पाये जाते हैं कि फाेन के बिना वे कहीं नहीं जाते हैं. शायद यह आदत आपको भी लग चुकी होगी. अपना ईमेल समेत सोशल मीडिया साइट अधिक देर तक चेक नहीं कर पाने वाले लोग व्यथित रहते हैं.
कई बार तो ऐसे लोगों में बेचैनी भी छाने लगती है. हालिया शोधकार्यों में दर्शाया गया है कि तकनीक के अधिक इस्तेमाल से हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत कमजोर हो रही है. इसका असर हमारे रिश्तों और जीवन के अन्य आयामों पर भी दिखने लगा है. तकनीक के सहारे बढ़ती हमारी जिंदगी में हम अपने भीतर बेहतर आदतें कैसे पैदा कर सकते हैं और इनके नकारात्मक प्रभावों को कैसे कम कर सकते हैं, एक व्यापक शोध के जरिये इसे दर्शाया गया है. इनमें से कुछ प्रमुख तथ्य इस प्रकार हैं :
ईमेल के जवाब में बरतें सावधानी
संगठन में टीम को एकजुट बनाये रखने के लिए ग्रुप ईमेल सहायक होती है, लेकिन इससे कई अन्य मुश्किलें भी पैदा हो रही हैं. ‘रिप्लाई ऑल’ के तहत दो या तीन ट्रांजेक्शन के बाद संदेशों का संदर्भ दो या तीन लोगों से ही जुड़ा हो सकता है, इसलिए बेहतर यही होगा कि संबंधित व्यक्ति के इनबॉक्स में जाकर संदेशों का आदान-प्रदान किया जाये. इसके अलावा, सभी लोगों को ‘सीसी’ करने के पहले यह जान लेना जरूरी है कि क्या इन्हें जोड़ना प्रासंगिक है?
इसलिए ‘रिप्लाई ऑल’ से जहां तक हो सके, बचने की जरूरत है, अन्यथा आपकी टिप्पणी पूरे ग्रुप के लोग पढ़ सकते हैं. जितना ज्यादा ईमेल आप भेजेंगे, उतना ही अधिक जवाब आपको मिलेगा.
नियमित अंतराल पर ब्रेक जरूरी
लगातार काम से दिमाग थक जाता है. उसे ब्रेक देना जरूरी है. ब्रेक के बाद उसकी कार्यक्षमता बढ़ जाती है. हाल ही में 12,000 कर्मचारियों पर किये गये एक शोध अध्ययन में पाया गया है कि जिन लोगों ने काम के दौरान प्रत्येक 90 मिनट के बाद ब्रेक लिया, वे 30 फीसदी अधिक दक्षता से अपने काम पर फोकस कर पाये.
साथ ही, उनमें क्रिएटिविटी के बारे में सोचने की क्षमता भी 50 फीसदी तक बढ़ गयी और उनकी सेहत भी 46 फीसदी तक बेहतर रही, उन लोगों के मुकाबले जो लगातार काम करते रहे. ब्रेक के समय यदि आप इंटरनेट या फोन से जुड़े हैं, तो उसे वास्तविक ब्रेक नहीं माना जा सकता है. इस दौरान टहलना या बातचीत या एक्सरसाइज को प्राथमिकता देनी चाहिए. इससे शरीर के भीतर शुद्ध हवा जाती है, जिससे दिमाग को नयी ऊर्जा हासिल होती है. करीब 10 मिनट का यह ब्रेक फायदेमंद हो सकता है.
परिवार और दोस्तों के साथ बिताएं समय
परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना जरूरी है. इस दौरान आप किसी भी तरह की तकनीक से दूर रहें. हालांकि, कोई नया अलर्ट या मैसेज आने की दशा में फोन की अनदेखी करना कई लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है, लेकिन यहां आपको सलाह यही दी जायेगी कि जब आप अपने परिवार के सदस्यों के साथ या मित्रों के साथ हों, तो फोन को वहां से दूर ही रखें. इसमें कौन-कौन सी जगहें हो सकती हैं, इसे आपको खुद तय करना होगा.
प्रतिक्रिया समय को सही तरीके से सेट करना
अधिकतर कार्यालयों में अब भी काम पारंपरिक रूप से सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक होता है, लेकिन अन्य डिवाइसों के जरिये कर्मचारी उसके बाद भी कार्य से जुड़े रहते हैं. कई संगठनों के कर्मचारी तो सुबह नींद खुलते ही कार्यरत हो जाते हैं, और ईमेल, टेक्स्ट या मैसेज के जरिये सभी से जुड़ जाते हैं. दरअसल, जब किसी वरिष्ठ अधिकारी या सहयोगी कर्मचारी का संदेश आता है, जो उसका जवाब उसी वक्त देना होता है. ऐसे मामलों में कई बार समयसीमा का ख्याल नहीं रखा जाता है. इसे देखते हुए अनेक कंपनियों ने नियम बनाया है और इसके लिए एक समयसीमा तय की है, जैसे- शाम सात बजे से सुबह सात बजे तक किसी संदेश का जवाब नहीं दिया जायेगा.
तकनीकी डिवाइस को बेडरूम से रखें दूर
जैसे-जैसे दिन खत्म होता है, आपका मस्तिष्क ‘मेलाटोनिन’ का स्राव करने लगता है, जो खासतौर पर इनसान को नींद लाने के लिए मददगार साबित होता है. लेकिन ‘नेशनल स्लीप फाउंडेशन’ और ‘मेयो क्लिनीक’ ने एक शोध के जरिये दर्शाया है कि स्मार्टफोन, टैबलेट या लैपटॉप से निकलने वाली ब्लू लाइट इस प्रक्रिया को धीमा कर देती है और साथ ही ‘कार्टिसोल’ का स्राव करती है, जो मस्तिष्क को ज्यादा सचेत रहने का संकेत भेजता है. नतीजन, सही तरीके से नींद नहीं आती है और आराम नहीं मिल पाता है. इस कारण दिमाग की क्षमता प्रभावित होती है.
इसका समाधान बेहद आसान है- अपने डिवाइस को सोने के कमरे में न ले जायें.
(स्रोत : हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू)
10 श्रेष्ठ इंजीनियरिंग यूट्यूब चैनल
अधिकतर लोग यूट्यूब पर मजेदार वीडियाे देखते हैं. इस पर आप शिक्षाप्रद चैनलों के जरिये बहुत कुछ सीख भी सकते हैं. जानते हैं 10 श्रेष्ठ इंजीनियरिंग यूट्यूब चैनलों के बारे में :
1. स्मार्टर एवरीडे : जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह बहुत स्मार्ट है और इसके जरिये आप विज्ञान, चिकित्सा समेत जानवरों व बीमारियों आदि के बारे में बेहतर चीजों को जान सकते हैं.
2. वेरिटेसियम : विज्ञान कहानियों, साक्षात्कारों के बेहतर फीचर आप इस यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं. फिजिक्स के अनेक एक्सपेरिमेंट
को इसमें मजेदार तरीके से दिखाया जाता है.
3. वीसौस : यह चैनल भी विज्ञान सी जुड़ी चीजों के बारे में बेहतर रूप से दिखाता है.
4. मिनट फिजिक्स : यहां आप फिजिक्स और विज्ञान की अन्य विधाओं के जानकारीप्रद विषयों के बारे में आप जान पायेंगे. बच्चों के लिए यह बेहतर है, जिनकी अनेक जिज्ञासा को ख्याल रखा गया है.
5. इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग : इस यूट्यूब चैनल पर नियमित रूप से नयी-नयी चीजें पोस्ट की जाती हैं, जिन्हें आप जरूर देखना चाहेंगे.
6. क्रेशकोर्स : हालांकि, यह स्कूल क्लास की तरह लगता है, लेकिन यह उससे भी बेहतर है. इसमें फिजियोलॉजी, एस्ट्रोनाेमी, पॉलिटिक्स अौर इकोनोमिक्स जैसे विषयों पर मजेदार जानकारियों वाले वीडियोज देख सकते हैं.
7. इंजीनियरिंग डॉट कॉम : इस नाम से एक ब्लॉग के साथ ही यूट्यूब चैनल भी है. इंजीनियरिंग विधा से संबंधित विविध चीजों को इसमें दर्शाया गया है.
8. द ब्रेनस्कूप : यह एक अलग तरीके का है, जो आपको एक अलग किस्म का अनुभव प्रदान करता है.
9. सीजीपी ग्रे : इसमें विज्ञान, भूगोल, राजनीतिशास्त्र और अन्य कई विषयों पर जानकारीप्रद वीडियोज हैं, जिनके जरिये ज्ञानवर्धन किया जा सकता है.
10. खान एकेडमी : यह केवल यूट्यूब चैनल नहीं, बल्कि अपनेआप में एक पूरा स्कूल है. इसके वीडियोज उच्च रूप से शिक्षाप्रद होते हैं और कॉलेज के छात्रों के लिए गणित व विज्ञान से जुड़े विविध समस्याओं का समाधान मुहैया कराया जाता है.
(स्रोत : इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग डॉट कॉम)
प्रस्तुति : कन्हैया झा

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