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झारखंड में तेजी से बढ़ रहे हैं साइबर अपराध, आपकी छोटी-सी गलती या लापरवाही….खाली हो सकता है एकाउंट

इन दिनों हर रोज कोई न कोई शख्स साइबर अपराध का शिकार हो रहा है. झारखंड में भी साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है. लेकिन जिस दर से अपराध बढ़ रहे हैं उसके अनुरूप अनुसंधान में तेजी नहीं आ पा रही है. इस वजह से अदालतों में साइबर मामलों की सुनवाई की गति धीमी […]

इन दिनों हर रोज कोई न कोई शख्स साइबर अपराध का शिकार हो रहा है. झारखंड में भी साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है. लेकिन जिस दर से अपराध बढ़ रहे हैं उसके अनुरूप अनुसंधान में तेजी नहीं आ पा रही है. इस वजह से अदालतों में साइबर मामलों की सुनवाई की गति धीमी है. ऐसा माना जाता है कि झारखंड में साइबर अपराध की शुरुआत जामताड़ा जिले के करमाटांड़ गांव से हुई है. साइबर अपराध के मामले में जामताड़ा जिला पूरे देश में कुख्यात हो गया है. साइबर अपराध जामताड़ा से निकल कर झारखंड के अन्य जिलों में भी अपना पांव पसार रहा है.
यह पुलिस के लिए भी सिरदर्द बन गया है. आज साइबर अपराध के शिकार सिर्फ भोले-भाले लोग ही नहीं हो रहे हैं, बल्कि हाइकोर्ट के जज, अधिकारी, बुद्धिजीवी भी हो रहे हैं. अकेले झारखंड में वर्ष 2018 में साइबर अपराध के 2865 मामले सामने आये थे. रांची जिला में 243, जमशेदपुर में 246, जामताड़ा में 233 मामले सामने आये. अन्य जिलों में साइबर क्राइम के 100 से कम मामले दर्ज हुए. इसमें से सिर्फ 1,012 मामलों में पुलिस ने रिपोर्ट प्रस्तुत की है.
एक ओर जहां सूचना प्राैद्योगिकी के अभाव में पुलिस को वांछित सफलता नहीं मिल पा रही है. वहीं, प्रशिक्षित अधिकारियों की कमी के कारण मामलों का अनुसंधान प्रभावित होता है. अदालतों में अब तक साइबर अपराध से संबंधित 22 मामलों में दोष सिद्ध हुए हैं. इनमें से 25 मामलों में आरोपी बरी हुए हैं. पुलिस ने 66 मामलों में अंतिम प्रपत्र प्रस्तुत किया है. वैसे भी साइबर का क्षेत्र नया विषय है. और फिर साइबर कानून वर्ष 2000 में आया. आज के दाैर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) एक नया आयाम है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मुद्दे पर कानून में प्रावधान तथा साइबर क्राइम रोकने में नयी चुनाैतियां आयी हैं. रिपोर्ट राणा प्रताप व प्रणव सिंह
सावधानी ही साइबर अपराध से बचाव का बेहतर उपाय
भारत इंटरनेट का इस्तेमाल करनेवाला विश्व का तीसरा देश है. आज हम अपने मोबाइल फोन व कंप्यूटर के माध्यम से बैंकिंग के काम, खरीदारी व अन्य दैनिक कार्य करते हैं. इंटरनेट, मोबाइल फोन व कंप्यूटर के अधिक इस्तेमाल के कारण आज साइबर अपराध में वृद्धि होती जा रही है. साइबर अपराध से बचने के लिए आप हम सभी को आवश्यक सावधानियां बरतनी चाहिए. लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज अॉथोरिटी व झारखंड ज्यूडिशियल एकेडमी ने संयुक्त रूप से जानकारीवर्द्धक बुकलेट जारी किया है. उस बुकलेट के प्रमुख अंश हम आपकी जानकारी के लिए दे रहे हैं.
एटीएम हैक
हैकर एटीएम में डिवाइस लगा कर मशीन को हैक कर लेता है. एटीएम मशीन को स्लीपिंग मोड में करके क्यूआर-कोड हैकर हासिल कर पैसा निकालता है.
बैंकिंग धोखाधड़ी
साइबर अपराधी इंश्योरेंस कंपनी का कर्मचारी या बैंककर्मी बन कर एटीएम ब्लॉक होने, आधार कार्ड अपडेट करने आदि का झांसा देकर ठगी करते हैं. फोन कॉल, ई-मेल के जरिये, एसएमएस आदि से ठगी करने का प्रयास होता है. जो लोग झांसे में आ जाते हैं, उनके खाते से साइबर अपराधी राशि निकाल लेते हैं. ऐसे साइबर अपराधी लॉटरी लगने का मैसेज देकर आपके खाते की जानकारी भी मांगते हैं. डेबिट, क्रेडिट कार्ड एटीएम में लगाने, पीओएस मशीन से भुगतान के दौरान भी कार्ड क्लोनिंग कर ली जाती है.
सुरक्षित इंटरनेट बैंकिंग प्रणाली
यह नहीं करें
अज्ञात स्रोत से फाइल का डाउन लोड.
पॉप-अप विंडो द्वारा ड्राइवर आदि का डाउनलोड करना.
किसी भी वेबसाइट को बिना पूर्ण जानकारी के अपने कंप्यूटर पर सॉफ्टवेयर इनस्टॉल करने की अनुमति देना.
किसी भी अनजान फेसबुक लिंक/संदेश लिंक पर क्लिक करना.
यह करें
अपनी निजी जानकारी व पासवर्ड को सुरक्षित रखें. डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड का नंबर किसी को नहीं बतायें.
फायरवॉल तकनीक, प्रोक्सी सर्वर व सुरक्षित राउटर कांफिग्रेशन करें.
सुरक्षित ई-मेल कार्यप्रणाली
यह नहीं करें
ई-मेल पर आये संलग्न वस्तु को खोलने के समय सावधानी बरतें. अज्ञात ई-मेल बिना पुष्टि के नहीं खोले आैर न ही जवाब दें.
किसी भी ई-मेल में दिये गये अज्ञात लिंक जैसे जोक्स, वीडियो पर क्लिक नहीं करें. अपना पिन, अोटीपी या पासवर्ड किसी को भी नहीं बतायें.
यह करें
पासवर्ड मजबूत बनायें. पासवर्ड में कैरेक्टर, न्यूमेरिक व विशेष कैरेक्टर का समावेश करें. पासवर्ड किसी से भी शेयर नहीं करें. पासवर्ड आठ से 10 अंकों का मजबूत होता है.
पासवर्ड के कुछ अक्षर छोटे व कुछ अक्षर बड़े होने चाहिए.
प्रत्येक यूजर का अलग कंप्यूटर होना चाहिए.
यूजर्स को स्क्रीन लॉक विकल्प हमेशा प्रयोग करना चाहिए.
लॉग अॉन, लॉग अॉफ दिये गये मेनू से करना चाहिए.
कार्य/दिन की समाप्ति पर कंप्यूटर सिस्टम को शट डाउन करें.
एटीएम का सुरक्षित प्रयोग
यह नहीं करें
कभी भी अपना एटीएम कार्ड व पिन किसी को भी नहीं दें. कभी भी अपना पिन पर्स या बटुआ में नहीं रखें. यदि बैंक के अधिकारी भी आपसे कार्ड नंबर या पिन मांगें, तब भी उन्हें नहीं दें.
कार्ड या कार्ड के पीछे गोपनीय पिन नंबर नहीं लिखें.
किसी को भी अपना कार्ड, पासवर्ड या पिन नहीं देखने दें.
जन्मदिन या मोबाइल नंबर आदि को पासवर्ड या पिन के रूप में नहीं बनायें.
अपने कार्ड को हमेशा अपने पास सुरक्षित रखें.
मोबाइल फोन या टेलीफोन पर एटीएम कार्ड या पिन या अोटीपी/सीवीवी की जानकारी किसी को भी नहीं दें.
एटीएम का उपयोग करते समय किसी अनजान व्यक्ति या सुरक्षा गार्ड की सहायता नहीं लें, बैंक को तुरंत फोन करें.
यह करें
जहां पर गार्ड की तैनाती हो, उस एटीएम का उपयोग हमेशा सुरक्षित होता है.
आप जिस एटीएम का उपयोग करते आ रहे हों, कोशिश करें कि उसी एटीएम का इस्तेमाल किया जाये.
अपने गोपनीय पिन को याद रखें आैर अन्य सभी भाैतिक प्रमाणों को नष्ट कर दें.
जिस एटीएम क्षेत्र में संदिग्ध व्यक्ति दिखाई दे, तो वैसे एटीएम से कोई लेन-देन नहीं करें.
गोपनीय पिन दर्ज करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें, ताकि कोई पिन नहीं देख सके.
लेन-देन के बाद कैंसिल बटन जरूर दबा कर निरस्त कर दें.
एटीएम कार्ड खो गया हो या चोरी हो गया हो, तो उसे तुरंत ब्लॉक करा दें. इसके लिए आप टोल फ्री नंबर पर कॉल करें या फिर बैंक की शाखा को सूचित करें.
मोबाइल बैंकिंग
डिजिटल इंडिया अभियान से प्रभावित होकर आम आदमी नकद रहित अर्थव्यवस्था की तरफ अग्रसर है. एेसे में मोबाइल बैंकिंग एक बेहतर व सुरक्षित विकल्प के रूप में उभरा है. मोबाइल बैंकिंग सुविधा 24 घंटे माैजूद रहती है.
यह नहीं करें
-अपना यूजर आइडी, बैंक खाता की जानकारी व पासवर्ड से संबंधित जानकारी अपने मोबाइल फोन में नहीं रखें.
-आपके मोबाइल में नेटवर्क नहीं मिल रहा है, तो लालच में फ्री वाई-फाई या हॉट स्पॉट से मोबाइल बैंकिंग का उपयोग नहीं करें. ऐसा करने से डाटा चोरी की संभावना रहती है.
-साइबर अपराधी फोन पर बात करने के दाैरान भी आपके फोन से डाटा ट्रांसफर कर सकते हैं. इसलिए अनजान कॉल आने पर बातचीत में सावधानी बरतें.
यह करें
-बैंक की प्रमाणिक वेबसाइट अथवा गूगल प्ले स्टोर से मोबाइल बैंकिंग से संबंधित एप को डाउनलोड करना चाहिए.
-सुरक्षित मोबाइल बैंकिंग के इस्तेमाल के लिए स्क्रीन लॉक का इस्तेमाल करें.अपने पिन की जानकारी गोपनीय रखें.
-एंटी वायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें तथा उसे अपडेट रखें.
खरीदारी करते समय कार्ड से भुगतान
यह नहीं करें
प्वाइंट अॉफ सेल राशि इंटर करने के लिए दुकानदार को नहीं कहें. राशि स्वयं इंटर करें.
पिन नंबर दुकानदार को नहीं बतायें.
यह करें
कार्ड से भुगतान करते समय कार्ड को आपके सामने स्वाइप किया जाये. पिन दर्ज करते समय पूर्ण सावधानी बरतें, ताकि आपका गोपनीय पिन कोई देख नहीं सके.
ई-व्यवसाय
ई-व्यवसाय इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है. इसमें खरीद-बिक्री के अलावा आैर भी सेवाएं विद्यमान रहती है. जैसे एटीएम कार्ड का उपयोग आइआरसीटीसी टिकट्स की बुकिंग, मोबाइल रिचार्ज, बिजली बिल का भुगतान, वस्तु की अॉनलाइन खरीदारी आदि के समय कर सकते हैं.
यह नहीं करें
कार्ड नंबर व इसके पीछे अंकित सीवीवी किसी भी व्यक्ति से शेयर नहीं करें.
किसी वेबसाइट की सुरक्षा की जांच किये बगैर इंटरनेट पर कोई संवेदनशील सूचना नहीं दें.
यदि ई-मेल की वैद्यानिकता पर अविश्वास हो, तो सीधे कंपनी से संपर्क कर पुष्टि करने का प्रयास करें.
यह करें
ई-वॉलेट या प्लास्टिक मनी का प्रयोग करें.
अपने बैंक खाते का स्टेटमेंट की नियमित रूप से जांच करें. बैंक खाता नंबर, कार्ड, पिन की डिटेल गोपनीय रखें.
पासवर्ड का नियमित अंतराल पर परिवर्तित करते रहें.
अपने कंप्यूटर या मोबाइल में एंटी वायरस आैर एंटी मालवेयर का प्रयोग करें.
अॉनलाइन शॉपिंग पर फाइनल प्रिंट को सावधानी से पढ़ें.

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