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Thursday, March 28, 2024

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विद्यालय प्रबंधन ने लीज पर दे दी किसानों को जमीन

किसान को लीज तोड़ने के लिए दिया जा रहा 30 हजार राशि का प्रलोभन सुपौल : जिले का पहला व इकलौता डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूशन एजुकेशन ट्रेनिंग सेंटर (डाइट) के निर्माण पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है. मालूम हो कि वर्ष 2014 में ही डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूशन एजुकेशन ट्रेनिंग सेंटर के लिये सरकार द्वारा सर्वे कराया गया. […]

किसान को लीज तोड़ने के लिए दिया जा रहा 30 हजार राशि का प्रलोभन

सुपौल : जिले का पहला व इकलौता डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूशन एजुकेशन ट्रेनिंग सेंटर (डाइट) के निर्माण पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है. मालूम हो कि वर्ष 2014 में ही डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूशन एजुकेशन ट्रेनिंग सेंटर के लिये सरकार द्वारा सर्वे कराया गया. सर्वे के बाद पिपरा प्रखंड के बसहा स्थित बुनियादी विद्यालय की जमीन पर करोड़ों की लागत से विद्यालय की जमीन पर उक्त सेंटर के निर्माण की दिशा में पहल प्रारंभ किया गया. लेकिन स्थानीय कारणों से सरकार के इस बहुउद्देशीय योजना डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूशन एजुकेशन ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण फिलहाल अधर में लटक गया है. सरकार द्वारा सेंटर के निर्माण के लिये चिह्नित की गयी जमीन वर्तमान में विद्यालय प्रबंधन ने लीज पर स्थानीय किसान को दे रखा है. मालूम हो कि विभाग द्वारा उक्त सेंटर के निर्माण का टेंडर किया गया.
जहां बीते दिनों निविदा प्राप्त संवेदक उक्त विद्यालय की जमीन को अधिग्रहण किये जाने व निर्माण कार्य को अमलीजामा पहनाने के लिए विद्यालय प्रबंधन से संपर्क किया. जहां विद्यालय प्रबंधन द्वारा संवेदक को स्थिति से अवगत कराये जाने काफी समय बाद प्रशासन गंभीर हुआ. इस बीच निर्माण कार्य में हो रही देरी एवं जमीन लीज लिये किसान द्वारा जमीन को खाली नहीं किये जाने पर जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया. वहीं बीईओ पिपरा व थानाध्यक्ष को उक्त भूमि को खाली कराने का सख्त निर्देश दिया है.
सूत्र बताते हैं कि सेंटर निर्माण को लेकर इससे पूर्व निविदा भी निकाली गई थी. जिसकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद संवेदक द्वारा चयनित एवं स्वीकृत जमीन पर कार्य शुरू करने के लिये जब स्थल का दौरा किया. जहां उक्त जमीन पर फसल लगा पाया. संवेदक ने जब चयनित भूमि की जानकारी ली तो पता चला कि विद्यालय शिक्षा समिति द्वारा उक्त जमीन को निविदा के जरिये स्थानीय किसान को बंदोबस्त कर दिया गया है. स्वाभाविक है कि एक तरफ संवेदक को निविदा मिलने के बाद ससमय काम शुरू करने की चिंता सता रही है.
वहीं दूसरी ओर वे किसान जिन्हें वैध तरीके से विद्यालय द्वारा लीज पर जमीन दिया गया है, उक्त जमीन को खाली करने के मूड में नहीं है. मामले में जो तथ्य सामने आया उसके मुताबिक वर्ष 2014 में विद्यालय की खाली पड़ी जमीन का सर्वे किये जाने के बाद विद्यालय प्रबंध समिति ने भवन निर्माण के लिये अपनी सहमति जताते हुए प्रखंड शिक्षा कार्यालय व जिला शिक्षा कार्यालय को इसकी जानकारी दी थी. साथ ही जमीन से जुड़े कागजात भी सौंप दिये थे.
अब मैनेज करने की कोशिश में जुटे अधिकारी
गौरतलब हो कि अब शिक्षा प्रशिक्षण भवन निर्माण हेतु विभागीय अहर्ता पूरी कर ली गई है. ऐसी स्थिति में भवन निर्माण के लिये भू दाता जमीन लौटाने को तैयार नहीं है. ऐसे में विद्यालय द्वारा दी गई जमीन वापस लिये जाने की प्रक्रिया में प्रशासन के भी तोते उड़ रहे हैं. मामले की गंभीरता के बाद हरकत में आये शिक्षा विभाग के अधिकारियों की भी नींद हराम है. वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए आनन फानन में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और पिपरा अंचलाधिकारी द्वारा हस्तक्षेप कर संबंधित भूमि को वर्तमान में उपयोगकर्ता से बातचीत कर मामले का हल ढूंढने का हरसंभव प्रयास किया गया. लेकिन मामला हल नहीं हो पाया.
सूत्र बतातें हैं कि भूमि उपयोग कर्ता के समक्ष कई प्रस्ताव दिये गये. डाक द्वारा करीब 45 हजार में जमीन प्राप्त किये किसानों को 30 हजार की राशि वापस दिये जाने का प्रलोभन दिया जा रहा है. इधर लीज प्राप्त किसानों का कहना है कि वे तीन साल के लिए जमीन लीज पर लिया है. लीज की अवधि एक वर्ष का शेष बचा हुआ है. वे लीज अवधि पूर्ण होने के उपरांत ही उक्त जमीन संबंधितों को सौंपेंगे.
जिला प्रशासन ने जारी किया आदेश
मामले संज्ञान में आने के बाद ज़िला पदाधिकारी बैद्यनाथ यादव के कार्यालय पत्रांक 264-1 के माध्यम से अंचलाधिकारी पिपरा को निर्देश दिया गया है कि वे संबंधित भूमि पर मौजूद व्यवधान को अविलंब दूर कराये. साथ ही व्यवधान उत्पन्न करने वाले संबंधितों पर विधिसम्मत कार्रवाई करते हुए अद्योहस्ताक्षरी को इसकी प्रतिलिपि उपलब्ध करावें. साथ ही पत्र की प्रतिलिपि पिपरा थानाध्यक्ष व राजकीय बुनियादी विद्यालय बसहा के प्रधानाध्यापक को देते हुए सहयोग किये जाने का भी निर्देश दिया गया है.
कागजों पर चलता रहा काम
ज्ञात हो कि वर्ष 2014 से विभाग द्वारा उक्त जमीन के मामले में किसी तरह की खोज खबर नहीं ली गयी. लेकिन जानकार बताते हैं कि विभाग द्वारा सेंटर के निर्माण की प्रक्रिया का प्रथम चरण कागजों पर चलता रहा. जिसकी जानकारी ना तो विद्यालय को हुई और ना ही स्थानीय शिक्षा विभाग को. लिहाजा विद्यालय शिक्षा समिति ने हर वर्ष की भांति उक्त जमीन को लीज पर दे दिया. बताया जाता है कि जमीन की खोजखबर नहीं लिये जाने एवं जमीन का अधिग्रहण नहीं होता देख विद्यालय शिक्षा समिति की सहमति के बाद स्थानीय किसान को छह बीघा जमीन कृषि कार्य किये जाने हेतु निविदा के जरिये लीज पर दे दिया गया. निविदा प्रक्रिया अंचलाधिकारी पिपरा की उपस्थिति में पूरी की गई. लेकिन विद्यालय प्रबंधन की आंख उस समय खुली जब उक्त स्थल पर संवेदक निर्माण कार्य शुरू करने के लिये पहुंचा. अब सवाल ये भी उठाया जा रहा है कि किसान राशि देकर वैध तरीके से जमीन लीज पर लिया है और उस पर अपने फसल की बुआई किया है. जिस कारण वे समयावधि से पूर्व खाली करने के लिये तैयार नहीं है. इधर मामला जिला प्रशासन तक पहुंच गयी और जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हु ए तत्काल पिपरा अंचलाधिकारी और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को इस मसले पर अविलंब पहल करने का निर्देश दिया. लेकिन इस बात को भी महीनों गुजर चुके हैं. लेकिन अब तक इस दिशा में ठोस पहल नहीं की जा सकी.
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