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विभाग बात बना रहा शिक्षक काट रहे चक्कर

लापरवाही. निश्चित समयावधि के बाद भी नहीं मिल रहा प्रमोशन सुपौल : विद्यालयों में व्याप्त कुव्यवस्था को लेकर आमतौर पर लोग शिक्षक को ही जिम्मेदार मानते हैं. वहीं दूसरी तरफ शिक्षक अपने ही पदाधिकारियों की प्रताड़ना से तंग हैं. इस मसले पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा. सरकारी सेवा में एक निश्चित अवधि के […]

लापरवाही. निश्चित समयावधि के बाद भी नहीं मिल रहा प्रमोशन

सुपौल : विद्यालयों में व्याप्त कुव्यवस्था को लेकर आमतौर पर लोग शिक्षक को ही जिम्मेदार मानते हैं. वहीं दूसरी तरफ शिक्षक अपने ही पदाधिकारियों की प्रताड़ना से तंग हैं. इस मसले पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा. सरकारी सेवा में एक निश्चित अवधि के बाद कर्मियों को प्रोन्नति देने का नियम है. साथ ही किन कर्मियों को प्रोन्नति दी जाये. इसके लिए नियमावली भी तैयार है. शिक्षकों के मामले में इसकी जिम्मेदारी शिक्षा विभाग के स्थापना शाखा को दी गयी है. वहीं संबंधित पदाधिकारी की उदासीनता के कारण प्रोन्नति पाने वाले शिक्षक वर्ष 2016 के दिसंबर से ही शिक्षा विभाग के कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं. ऐसे शिक्षकों को पदाधिकारी हर दिन नयी-नयी समस्या बताकर प्रताड़ित करते हैं.
अधिकार तो दूर समय पर वेतन भी नहीं मिलता : प्राथमिक स्कूलों में शिक्षण का कार्य करने वाले व्यक्तियों के परिवार को समाज में मध्यम वर्गीय श्रेणी में समझा जाता है. समर्पित भाव से काम करने वाले शिक्षकों को उनका अधिकार मिलना तो दूर, राशि आवंटन के बाद ससमय वेतन भी भुगतान नहीं होता. हालांकि उक्त मामले में शिथिलता बरतने वाले तत्कालीन डीपीओ व डीइओ का भी निलंबन किया गया है. बावजूद इसके शिक्षा विभाग ससमय कार्यों के निष्पादन में सजग नहीं दिख रहा. वहीं अपने हक के लिए जब शिक्षकों को विद्यालय की क्रियाकलापों से अलग हटकर आक्रोश व आंदोलन अख्तियार तैयार करना पड़े, तो ऐसे में शांतचित तरीके से शिक्षकों द्वारा बच्चों को किस प्रकार से शैक्षणिक कार्य कराया जाता होगा. सहज ही अंदाजा लगाया जा
सकता है.
प्रोन्नति मामले में पदाधिकारी कर रहे अनसुनी
मालूम हो कि स्थापना शाखा द्वारा शिक्षकों को मिलने वाले स्नातक वेतनमान व प्रोन्नति को लेकर अनसुना किया जा रहा है. हालांकि इस मामले को लेकर कई बार बैठकें भी हुई. पदाधिकारियों द्वारा हरेक बैठक में शिक्षकों के समक्ष नये- नये सुझाव दिये गये. इस टाल-मटोल की स्थिति से शिक्षकों के समक्ष नया मामला उभरने लगा है. हालात ऐसी है कि इस माह के अंत तक शिक्षकों का प्रोन्नति कार्य पूर्ण नहीं कराया गया तो आगामी माह में प्रोन्नति के निमित्त तैयार किये गये सूची स्वत: निरस्त हो जायेगा. साथ ही विभाग को नये सिरे से पुन: सूची बनाये जाने पर विचार विमर्श प्रारंभ कराना होगा. ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग के कर्मियों द्वारा इस दिशा में खपाये गये एक वर्ष की समयावधि यूं ही बेकार साबित होगा. वहीं प्रोन्नति का सपना संजोये शिक्षकों की आशा निराशा में परिणत हो जायेगा.
स्थापना शाखा की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
गौरतलब हो कि बीते दिसंबर 2016 को प्रोन्नति पाने वाले शिक्षकों की सूची तैयार किये जाने के लिए पहल की गयी. शिक्षा विभाग के स्थापना शाखा की उदासीनता के कारण प्रोन्नति का औपबंधिक सूची अब तक तैयार नहीं कराया जा सका है. जानकारों की माने तो शिक्षा कार्यालय के पदाधिकारियों द्वारा पूर्व में कर्मियों की कमी व जानकारी का अभाव रहने से औपबंधिक सूची बनाने के लिए कुछ शिक्षकों का सहारा लिया गया. जहां उक्त शिक्षकों द्वारा विभागीय नियम को ताक पर रख कार्य को अंजाम दिया गया. यहां तक कि प्रोन्नति पाने वाले कुछ शिक्षकों ने नियम के विरुद्ध स्थापना शाखा से लाभ प्राप्त कर रहे हैं. ऐसे शिक्षकों को भी औपबंधिक सूची में शामिल कर दिया गया. मामला जब सार्वजनिक हुआ तब अधिकारी इस दिशा में तोड़-जोड़ करने लगे. लेकिन इस समस्या को सुलझाने के बजाय पदाधिकारी मामले को उलझाते चले गये.
पढ़ाई पर नहीं ध्यान दे रहे पदाधिकारी
समाज के बुद्धिजीवियों का मानना है कि सरकार द्वारा समुचित तरीके से व्यवस्था को संचालित किये जाने के लिए पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. कई बुद्धिजीवियों व समाजसेवियों ने यह भी बताया कि हाल के कुछ वर्षों से अधिकांश पदाधिकारियों द्वारा विद्यालय निरीक्षण के दौरान पठन- पाठन व्यवस्था को छोड़ अतिरिक्त गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है. साथ ही विद्यालयों में गठन शिक्षा समिति की टीम में ऐसे सदस्यों को शामिल किया जा रहा है, जिनका पठन पाठन से कोई वास्ता नहीं है. वहीं पठन- पाठन से इतर छात्र व अभिभावक आये दिन आंदोलन पर उतारू हो रहे हैं.
हाल के कुछ वर्षों से जिले की शिक्षा व्यवस्था बेपटरी होती जा रही है. इसका एक महत्वपूर्ण कारण पदाधिकारी व शिक्षकों के रिश्ते में खटास की स्थिति भी मानी जा रही है. समाज सेवकों का कहना है कि कई पदाधिकारी विद्यालय का निरीक्षण कर रहे हैं. जो व्यवस्था को सुधारने की दिशा में एक अच्छा संकेत है, लेकिन पदाधिकारियों द्वारा बच्चों से शैक्षणिक गतिविधि को छोड़ योजना से संबंधित जानकारी प्राप्त करना सही नहीं है.
प्रोन्नति मामले को सुलझाये जाने के लिए आगामी 15 दिसंबर को कमेटी के सदस्यों के साथ बैठक होगी. जहां इस मसले के हरेक पहलुओं पर चर्चा करते हुए शिक्षकों के प्रोन्नति कार्य का निष्पादन किया जायेगा.
गोपीकांत मिश्र, जिला शिक्षा पदाधिकारी, सुपौल

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