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झरनों से पीडब्ल्यूडी को सबक लेने की जरूरत

कालिम्पोंग : कालिम्पोंग एवं सिक्किम की जीवन रेखा राष्ट्रीय राजमार्ग 10 एवं 31 के ज़्यादातर हिस्से का एक तरफ तीस्ता तो दूसरे ओर पहाड़ है. इन पहाड़ों में कई बार मानसून के समय ऊपरी इलाकों से पानी बहकर नीचे आता है. वह दृश्य काफी मनोरम होता है एवं पर्यटक ज़्यादातर ऐसे इलाके में सेल्फी एवं […]

कालिम्पोंग : कालिम्पोंग एवं सिक्किम की जीवन रेखा राष्ट्रीय राजमार्ग 10 एवं 31 के ज़्यादातर हिस्से का एक तरफ तीस्ता तो दूसरे ओर पहाड़ है. इन पहाड़ों में कई बार मानसून के समय ऊपरी इलाकों से पानी बहकर नीचे आता है. वह दृश्य काफी मनोरम होता है एवं पर्यटक ज़्यादातर ऐसे इलाके में सेल्फी एवं फोटो खींचते दिखते हैं.
परंतु जब उसी जगह से मनोरम दृश्य की तरह बहने वाला पानी जब बिकराल रूप से बहता है, तो राजमार्ग पूरी तरह बंद हो जाता है. पिछले कई वर्षों से राजमार्ग 10 या 31 ने ऐसा नज़ारा नहीं देखा था, जो 15 सितंबर को सुबह की बारिश ने उत्पात मचाया.
दरअसल पीडब्ल्यूडी विभाग राष्ट्रीय राजमार्ग 10 एवं 31 का देखरेख करते आ रहा है. सेवक स्थित रेल गेट से शुरू होकर बागपुल तक राजमार्ग 31 एवं बागपुल से सिक्किम एवं चित्रे तक राजमार्ग 10 है. सेवक से बाघपुल तक कल करीब 10 जगह झरने के बिकराल रूप से राजमार्ग 31 पूरी तरह बंद हो गया. वहीं मंगपंग में भी भूस्खलन आने से कालिम्पोंग को सिलीगुड़ी से जोड़ने वाले सीधा एवं वैकल्पिक मार्ग भी ठप्प हो गया था. ऐसा ही हालत सिक्किम का भी हो गया था. पहाड़ में नीचे से ऊपरी इलाके तक जो भी झरने के पानी के मार्ग में आया, सब कुछ उजाड़ कर सड़क पर गिरा दिया. इसके साथ कई पेड़ जड़ से ही उखड़कर राजमार्ग में गिर गये.
शनिवार सुबह से सेवक से बागपुल तक झोड़ा के उत्पात से सभी हैरान थे. खासकर यात्रियों को काफी परेशनियों का सामना करना पड़ा. झोड़ा से आये मालबा को साफ़ करने में जुटे विभाग का जेसीबी एवं अन्य मशीन कल काफी मुश्किल से रेल गेट से बागपुल तक के रास्तों को साफ कर सका. वहीं रविवार की सुबह से राजमार्ग 10 पर लगी मशीनों को राजमार्ग 31 के आवागामन को दुरूस्त करने के लिये भेजा. जिसके कारण कालिम्पोंग की ओर गई मशीनों ने सेवक काली मंदिर के बाद अन्य झरनों के मलबों को हटाकर किसी तरह वन वे आवागमन शुरू किया.
पहली बार झरनों के विकराल रूप से ठप रहा आवागमन
ज़्यादातर पहाड़ों से भूस्खलन या फिर तीस्ता की तरफ से रास्ता टूटने के कार्यों तक ही विभाग सीमित था, परंतु झरने का विकराल रूप से विभाग को रूबरू होना पड़ा. राजमार्ग 10 का देखरेख करने वाले पीडब्लूडी के पास पर्याप्त मशीन नहीं है. ग्रेफ के रहने से डोज़र, जेसीबी एवं एक्सकैवेटर समेत कई अत्याधुनिक मशीनें सड़कों के मालबों को साफ़ कर देते थे.
साफ़ करने में पीडब्लूबी की मशीनों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ा. राजमार्ग 10 एवं 31 में सड़कों के पास बनी नालियां कल मूकदर्शक बनी रही. कम पानी बहने लायक की नालियों पर जब झरनों के तेज बहाव ने नदी का रूप ले लिया. नाली भरने के बाद पानी सड़कों पर गिर रहा था. विभागीय अधिकारी अनुप मैती ने कहा कि झोड़ा के पानी को सडकों पर आने नहीं देने के लिए अब दीवार बनाया जायेगा. वहीं भविष्य में झोड़ा ऐसी तबाही न करे, इसके लिए जिला प्रशासन को भी ध्यान देकर विभाग को चेक एंड बैलेंस करने की ज़रूरत दिखती है.
दो दशक बाद 36 घंटे तक बंद रहा आवागमन
विभाग का सबसे पहले सड़क किनारे नाली बनाना या फिर दूसरी ओर स्टील की सुरक्षा दीवार लगाना एवं रास्ता पर अलकतरा बिछाने पर ज़्यादा फोकस रहता है. लेकिन कल सुबह को करीब दो दशक बाद राजमार्ग के पास से बहने वाला झरना ने ऐसा रूप लिया कि राजमार्ग करीब 36 घंटे तक बंद हो गया. कालिम्पोंग के 29 माइल, हनुमान झोड़ा में भी झरना के पानी का उत्पात हुआ.
हालांकि सबसे ज़्यादा उत्पात बागपुल के पास से सेवक के रेल गेट तक बहाने वाले सभी 8-10 झरनों ने मचाया. मुश्किल से दो गाड़ी पास होने वाले बागपुल से सेवक तक के रास्ते में पड़ने वाले सेवक काली मंदिर के झरना ने पास के दो दुकानों को लील लिया. इतना ही नहीं ऊपर से तेज झरने के ज़्यादा बहाव के बीच हजारो टन मिट्टी एवं बड़े-बड़े बोल्डर भी नहीं रूके.

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