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नागराकाटा : चाय बागान में हाथियों का तांडव, कई घर तोड़े, हाथियों के लगातार बढ़ रहे हमलों से संकट में चाय श्रमिक

नागराकाटा : एक तो दशकों से बंद चाय बागान. उस पर हाथियों के आये दिन के हमलों से बागान के श्रमिकों का जीना मुहाल हो गया है. हाथी किसी शत्रु सेना की तरह चाय श्रमिकों के मोहल्लों को निशाना बना रहे हैं. बुधवार की सारी रात इन हाथियों ने दशकों से बंद सुरेंद्रनगर चाय बागान […]

नागराकाटा : एक तो दशकों से बंद चाय बागान. उस पर हाथियों के आये दिन के हमलों से बागान के श्रमिकों का जीना मुहाल हो गया है. हाथी किसी शत्रु सेना की तरह चाय श्रमिकों के मोहल्लों को निशाना बना रहे हैं. बुधवार की सारी रात इन हाथियों ने दशकों से बंद सुरेंद्रनगर चाय बागान के बेरोजगार श्रमिकों के तीन झोपड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया.
शाम होते ही इन हाथियों का तांडव शुरू हो जाता है जिसमें जान-माल के नुकसान की हमेशा आशंका रहती है. वहीं, वनकर्मियों के भी इन हाथियों को वश में करने में पसीने छूट रहे हैं.
वन विभाग और स्थानीय सूत्र के अनुसार फिलहाल बंद रेड बैंक चाय बागान के सालबनी डिवीजन में जंगल से छह सात हाथियों का झुंड पिछले तीन रोज से डेरा जमाये हुए है. इसी तरह बानरहाट थानांतर्गत लक्खीपाड़ा चाय बागान के पिछवाड़े के जंगल में कम से कम 10 हाथियों का एक झुंड जमा हुआ है. वहीं, अपर केलाबाड़ी बस्ती की झाड़ियों में 3-4 हाथियों का झुंड डेरा जमाये हुए है.
शाम होते ही ये हाथी आसपास के श्रमिक मोहल्लों में हमले कर रहे हैं. हमला करने के अलावा ये श्रमिकों के घरों को तोड़ने के साथ घर में रखे धान व अन्य अनाज, सब्जी वगैरह चट कर जाते हैं. इससे इन गरीब, लाचार और बेसहारा श्रमिकों की हालत सोचनीय हो गयी है.
बुधवार को सालबनी के जंगल में रह रहे हाथियों ने सुरेंद्रनगर चाय बागान में जाकर वहां के अपर लाइन के निवासी रंजीत मिंज, मंगरी मुंडा और चर्च लाइन के इलूस मिंज के घरों को ध्वस्त कर दिया.
इनमें से सबसे अधिक दयनीय अवस्था विधवा मंगरी की है जो अपने परित्यक्त तीन नाबालिग बच्चों को लेकर रहती हैं. यह तो गनीमत कहिये कि पड़ोसियों के आगाह करने पर उनकी और उनके नातियों की जान बच गयी, वरना कुछ भी हो सकता था.
स्थानीय ग्राम पंचायत सदस्य अमित सबर ने बताया कि पिछले एक माह से हाथियों के झुंड अत्याचार की सीमा लांघ चुके हैं. जबकि तीन दिनों से हालात विकट हो गये हैं. सालबनी जंगल में हाथियों का डेरा है. वहीं से शाम होते ही श्रमिक मोहल्लों में घुसकर तांडव मचा रहे हैं.
इससे बागान श्रमिकों में नाराजगी है. स्थानीय श्रमिक रीता छेत्री, मेरी बारला, झरिया उरांव ने बताया कि एक तो रोजगार नहीं है. उस पर हाथियों के झुंड ने उनकी नींद हराम कर दी है. हम लोग किसी तरह जिंदा हैं हालांकि उसकी भी कोई गारंटी नहीं है.
वन विभाग की मानद वाइल्ड लाइफ वार्डेन सीमा चौधरी ने बताया कि प्रभावितों को सरकारी नियमानुसार मुआवजा दिया जायेगा. हाथियों से उपद्रवग्रस्त इलाकों में हाथियों के नियंत्रण के लिये वनकर्मी जुटे हुए हैं. जहां से भी हाथियों के हमलों की सूचना मिलती है वनकर्मियों के स्क्वाड जाकर उन्हें नियंत्रित कर रहे हैं.

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