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दिनहाटा पहुंचे बंगाल मानवाधिकार सुरक्षा मंच के प्रतिनिधि

अभिनेत्री अपर्णा सेन ने सुनी सीमांत पर बसे लोगों का दर्द समस्या समाधान के लिए केंद्र व राज्य सरकार से की अपील दिनहाटा : कांटा तार के उस पार करला सीमांत पर बसने वाले लोगों के दुख दर्द की कहानी बंगाल मानवाधिकार सुरक्षा मंच की नेता तथा अभिनेत्री अपर्णा सेन ने सुनी. शनिवार को उनके […]

अभिनेत्री अपर्णा सेन ने सुनी सीमांत पर बसे लोगों का दर्द

समस्या समाधान के लिए केंद्र व राज्य सरकार से की अपील
दिनहाटा : कांटा तार के उस पार करला सीमांत पर बसने वाले लोगों के दुख दर्द की कहानी बंगाल मानवाधिकार सुरक्षा मंच की नेता तथा अभिनेत्री अपर्णा सेन ने सुनी. शनिवार को उनके साथ संगठन के सचिव कृति राय, बोलान गांगुली, मुंडा पाठेरिया उपस्थित थे. मानवाधिकार सुरक्षा मंच के सदस्य कांटा तार के उसपार भारतीय भूखंड के निवासियों से बात करना चाहा.
लेकिन बीएसएफ ने अनुमती नहीं दी. आखिरकार बीएसएफ की ओर से उसपार के निवासियों को काटातार के इसपार बुलाया. फिर अपर्णा सेन सहित संगठन के नेताओं ने उनसे बातचीत की व उनकी समस्यायें सुनी.
शनिवार को दिनहाटा के छींटमहल इलाके में अभिनेत्री तथा मानवाधिकार सुरक्षा मंच की नेता अपर्णा सेन पहुंची. उन्होंने उसपार भारतीय भूभाग करला पर बसे लोगों की विभिन्न समस्यायें सुनी. करला गांव की मुनमुन बीबी, मुफज्जल हुसैन खंदकार, हासिम अब्दुल हालिम ने अपर्णा सेने से कहा कि वह भारतीय होने के बावजूद कैदी की तरह जिंदगी बिता रहे हैं. उनलोगों ने बताया कि दिन में तीन बार एक एक घंटे के लिए बीएसएफ की ओर से गेट खोला जाता है.
स्कूल 2 बजे तक छुट्टी हो जाने के बाद स्कूली बच्चों को 4 बजे दोबारा गेट खुलने तक कैंप में बैठा रहना पड़ता है. असमय अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे अस्पताल ले जाना नामुमकिन हो जाता है. यहां तक की प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को अस्पताल ले जाने के लिए बीएसएफ से अनुमति लेनी पड़ती है. काटातार के उसपार गांव में आज भी बिजली नहीं पहुंची है, ना ही पेयजल की व्यवस्था है. उनलोगों का इलाका जीरो प्वाइंट से 600 गज भीतर है. इससे उन्हें भारतीय होने के बावजूद कैदी की जिंदगी गुजारनी पड़ती है.
अपर्णा सेन ने पत्रकारों को बताया कि इससे पहले लैंड बाउंडरी एग्रीमेंट हुआ था. जिसमें स्टैंडिंग कमेटी ने अच्छे सुझाव दिये थे. यह संसद में पास होने के बाद कारगर नहीं किया गया. अपर्णा सेन ने पत्रकारों के जरीए राज्य व केंद्र सरकारों से आवेदन किया कि इन लोगों के लिए व्यवस्था ली जाये. इलाकों में आवाजाही के लिए सड़क नहीं है. हालांकि इनलोगों के पास वोटर कार्ड, आधार कार्ड है. ये भारतीय हैं लेकिन भारतीय सुविधाओं के उपभोक्ता नहीं है. इसे लेकर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने शनिवार को दिनहाटा कृषि मेले के सेटेलमेंट कैंप में रह रहे निवासियों से भी बातचीत की.

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