29.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

एनआरसी में शामिल होने के लिए दस्तावेज जमा कर रहे हैं गोरखा

नागराकाटा : एनआरसी का मुद्दा अब देश भर में एक चर्चा का प्रमुख विषय बना गया है. इधर पश्चिम बंगाल सहित डुआर्स क्षेत्र में भी ब्रिटिश कालीन समय से बसोबास करनेवाले नेपाली भाषा गोरखा समुदाय में इस को लेकर आतंक का माहौल है. डुआर्स के विभिन्न चाय बागानों में बसोबास करनेवाले चाय श्रमिकों के नाम […]

नागराकाटा : एनआरसी का मुद्दा अब देश भर में एक चर्चा का प्रमुख विषय बना गया है. इधर पश्चिम बंगाल सहित डुआर्स क्षेत्र में भी ब्रिटिश कालीन समय से बसोबास करनेवाले नेपाली भाषा गोरखा समुदाय में इस को लेकर आतंक का माहौल है. डुआर्स के विभिन्न चाय बागानों में बसोबास करनेवाले चाय श्रमिकों के नाम पर एक इंच भी जमीन नहीं है.

चाय बागान का संपूर्ण जमीन चाय मालिक के नाम पर है. हालांकि चाय बागान में तीन चार पीढ़ियां बीत चुकी है, लेकिन श्रमिकों के पास एक इंच निजी भूमि नहीं है. इस वजह से अब पश्चिम बंगाल में लागू होनेवाले एनआरसी इनके लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है.

डुआर्स नागराकाटा प्रखंड स्थित लुकसान चाय बागान कोठी लाईन के स्थानीय निवासी 86 वर्षीय लाल बहादुर सुब्बा के पास भारत स्वतंत्रता संग्राम के समय बोण्ड अर्थात आर्थिक सहयोग पत्र है जो उनके परिवार के लिए एनआरसी में शामिल होने की उम्मीद है. लाल बहादुर सुब्बा ने बताया उनके पिता नंदलाल सुब्बा लुकसान चाय बागान में सरदार के नाम से परिचित थे. नंदलाल सुब्बा लुकसान चाय बागान के ब्रिटिश निदम चाय कम्पनी के सरदार थे. उनके नेतृत्व में 1918 साल में लुकसान में चाय का पौधा लगया गया था. नन्दलाल सरदार उस समय चाय बागान में चाय का पौधा लगाने के लिए विभिन्न स्थानों से श्रमिकों लाया करते थे, जिस के कारण उनका नाम नंदलाल सरदार पड़ा.

लाल बहादुर सुब्बा ने बताया भारत स्वतंत्रता संग्राम के समय स्वतंत्रता सेनानी के सद्स्य आर्थिक सहायता के फलस्वरुप एक हजार रुपया का बांड दिया गया था. नंदलाल सुब्बा का 1960 में निधन हो गया. द बॉन्ड ऑफ इंडियन फ्रीडम लेख से अकिंत बॉन्ड में स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गांधी, जिन्ना, जवाहरलाल नेहरू आदि के फोटो हैं. उन्होने बताया यह एक ऐतिहासिक दस्तावेज है. उन्होंने कहा कि इससे यह साबित होता है कि लुकसान क्षेत्र में गोरखा कब और कैसे आये. मेरा जन्म इसी चाय बागान में हुआ है. मेरी शिक्षा यही सेंट अल्पेंस विद्यालय में हुई. विवाह भी यही किया और इसी चाय बागान में नौकरी भी की. इसके बावजूद जमीन का एक इंच नहीं है. ऐसे में एनआरसी कई गोरखाओं के लिए गंभीर चिंता पैदा करनेवाला है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें