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खुशनुमा जीवन के लिए स्ट्रेस प्रबंधन को समझना जरूरी है : डॉ पी साहनी

कोलकाता : ग्लोबलाइजेशन के इस दाैर में बच्चों पर पढ़ाई का व प्रतिस्पर्धा में आगे रहने का दबाव है. यह दबाव ही उनके अंदर स्ट्रेस पैदा करता है. बच्चे के लिए जब पैरेंट्स कोई भी टारगेट सेट कर देते हैं, अगर वह पूरा नहीं हो पाता है तो बच्चे की चिंता बढ़ जाती है. इसी […]

कोलकाता : ग्लोबलाइजेशन के इस दाैर में बच्चों पर पढ़ाई का व प्रतिस्पर्धा में आगे रहने का दबाव है. यह दबाव ही उनके अंदर स्ट्रेस पैदा करता है. बच्चे के लिए जब पैरेंट्स कोई भी टारगेट सेट कर देते हैं, अगर वह पूरा नहीं हो पाता है तो बच्चे की चिंता बढ़ जाती है.

इसी चिंता से उसका तनाव व स्ट्रेस बड़ जाता है, जो उसकी ग्रोथ के लिए अच्छा नहीं होता है. बच्चों को इस तनाव से बाहर निकालने के लिए गार्जियन व शिक्षिका की महत्वपूर्ण भूमिका है.
उक्त बातें ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के तत्वावधान में चल रहे जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेस (जेआइबीएस) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जेआइबीएस के मुख्य निदेशक प्रो. डॉ संजीव पी साहनी ने कहीं.
‘स्ट्रेस मैनेजमेंट व परफोरमेंस एनहैंसमेंट’ विषय पर आयोजित सेमिनार में उन्होंने स्कूल की प्रिंसिपलों व शिक्षिकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस दाैर में बच्चों के स्ट्रेस को कंट्रोल किया जा सकता है. उनके संस्थान जेआइबीएस में मानव मस्तष्कि की क्रियाओं व मानव व्यवहार के कई पहलुओं पर अनुसंधान किया जा रहा है.
उनका कहना है कि न केवल बच्चे बल्कि युवाओं व परिपक्व उम्र के लोगों में भी स्ट्रेस बढ़ रहा है. स्ट्रेस, एनजाइटी व डिप्रेशन तीनों अलग-अलग स्थिति है लेकिन लोगों को इसका पता ही नहीं चलता है कि वे किस अवस्था में हैं. मानव मस्तिष्क की इस अवस्था या साइकोलोजी को समझना बहुत जरूरी है.
स्ट्रेस कहां से आ रहा है, इसको अगर जान लिया जाये तो स्ट्रेस को मैनेज भी किया जा सकता है. इसके लिए कई थेरेपी का प्रयोग किया जाता है. उन्होंने जानकारी दी कि जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेस (जेआइबीएस) मानव व्यवहार को समझने के लिए फंडामेंटल रिसर्च व इनोवेशन पर काम कर रहा है.
देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ काम करते हुए जेआइबीएस मानव व्यवहार के पेचीदा मसलों के निपटारे हेतु लीडरशिप ट्रेनिंग देता है. मनुष्य के भीतर व बाहर कई तरह के बदलाव व क्रियाएं चलती है.
मानव व्यवहार व्यक्तिगत कारणों से, प्रोत्साहन से साइको-फिजियोलोजीकल प्रक्रिया से प्रभावित होता है. हमारे संस्थान में किये जा रहे अध्ययन व अनुसंधान में बिहेवियरल, न्यूरोसाइंस, जेनेटिक व साइकोमेट्रिक असेस्मेंट जैसे विषय शामिल हैं.
कार्यक्रम में जेआइबीएस की असिस्टेंट प्रोफेसर व डिप्टी डायरेक्टर डॉ तिथि भटनागर ने कहा कि खुशनुमा जीवन का मंत्र है कि व्यक्ति सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़े, हालांकि मन में नकारात्मक विचार व स्ट्रेस भी रहता है.
इसी के प्रबंधन के लिए व व्यक्ति की साइकोलॉजी के ऊपर कई अनुसंधान व कोर्स जेआइबीएस में चलाये जा रहे हैं. इसमें स्कूलों व कॉर्पोरेट के लिए पीयर एजुकेशन प्रोग्राम, नशा-मुक्ति अनुसंधान व मेंटल हेल्थ जागरुकता कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती है.

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