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सिलीगुड़ी के बाजार में मिलावटी घी की भरमार

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी शहर में मिलावटी घी का व्यापार फल-फूल रहा है. देसी घी के नाम पर सोयाबीन के तेल, डालडा, उबले आलू, पके केले आदि के मिश्रण की बिक्री हो रही है, जो मानव शरीर के लिए काफी हानिकारक है. देर से ही सही, सिलीगुड़ी नगर निगम ने अब मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ […]

सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी शहर में मिलावटी घी का व्यापार फल-फूल रहा है. देसी घी के नाम पर सोयाबीन के तेल, डालडा, उबले आलू, पके केले आदि के मिश्रण की बिक्री हो रही है, जो मानव शरीर के लिए काफी हानिकारक है. देर से ही सही, सिलीगुड़ी नगर निगम ने अब मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है. फास्ट फूड के ठेलों, रेस्टोरेंट व होटलों में इस्तेमाल की जानेवाली सामग्री की जांच की जा रही है.

बाजार में देसी घी के ऐसे कई ब्रांड हैं, जो घटिया या मिलावटी हैं. मिलावटी घी तैयार करने में छेना निकालने के बाद बचे फटे दूध के पानी, घटिया दूध पाउडर, सोयाबीन के तेल, उबले आलू व पके हुए केले के पेस्ट, हाइड्रोजन गैस, नमक, चीनी व फार्मेलिन का उपयोग किया जाता है. शहर के बीच कई गुप्त स्थानों पर इस तरह का मिलावटी घी तैयार कर उसकी पैकिंग होती है.
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, शहर से सटे माटीगाड़, ईस्टर्न बाईपास आदि इलाकों में मिलावटी घी बनाया जाता है. इसके अलावा, मिलावटी घी की बड़ी खेप बंगाल के मालदा, दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, नदिया, और पड़ोसी राज्य बिहार से लायी जाती है.
सिलीगुड़ी नगर निगम के फूड इंस्पेक्टर गणेश भट्टाचार्य ने बताया कि मिलावटी खाद्य पदार्थ को लेकर लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है. इसके अलावा खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच के लिए अभियान चलाया जा रहा है.
5 किलो असली घी से बनता है 22 किलो मिलावटी घी
मिलावटी घी के कारोबारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पांच किलो असली देसी घी में 15 किलो सोयाबीन तेल और एक किलो उबला आलू, पका केला आदि मिलाकर 22 किलो मिलावटी घी तैयार किया जाता है.
देखने व खुशबू से यह बिल्कुल असली घी जैसा लगता है. इस प्रकार का मिलावटी घी होटलों, ढाबों, फास्ट फूड के ठेलों, समारोहों आदि में धड़ल्ले से उपयोग किया जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो मिलावटी घी का सेवन शरीर को काफी नुकसान पहुंचाता है. इससे कैंसर, हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियां तक संभव हैं.

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