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फिर उठेगा गोरखाओं की पहचान का मुद्दा

सिलीगुड़ी : करीब दो साल पहले दार्जिलिंग पहाड़ गोरखालैंड आंदोलन के बाद बिमल गुरुंग ने एक बार फिर से गोर्खाओं की पहचान का मुद्दा उठाया है. गोर्खालैंड आंदोलन के समय देशद्रोह तथा विस्फोटक कानून सहित कई मामलों में एक दर्जन से मुकदमे दर्ज होने के बाद बिमल गुरूंग तथा उनके सहयोगी रोशन गिरी भूमिगत हो […]

सिलीगुड़ी : करीब दो साल पहले दार्जिलिंग पहाड़ गोरखालैंड आंदोलन के बाद बिमल गुरुंग ने एक बार फिर से गोर्खाओं की पहचान का मुद्दा उठाया है. गोर्खालैंड आंदोलन के समय देशद्रोह तथा विस्फोटक कानून सहित कई मामलों में एक दर्जन से मुकदमे दर्ज होने के बाद बिमल गुरूंग तथा उनके सहयोगी रोशन गिरी भूमिगत हो गये हैं, जबकि राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मदद से कभी बिमल गुरूंग के सहयोगी रहे विनय तमांग ने एक तरफ से गोजमुमो पर कब्जा कर लिया है.

वह जीटीए के कार्यवाहक अध्यक्ष भी हैं. अब एक बार फिर से दार्जिलिंग विधानसभा का उप-चुनाव होने वाला है. विनय तमांग यहां से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि बिमल गुट भी अपने सहयोगी दलों के साथ विनय तमांग को चुनौती देने में लगा हुआ है.
दार्जिलिंग विधानसभा उप-चुनाव के दौरान गोर्खाओं की पहचान का मुद्दा एक बार फिर से जोर-शोर से उठाने की तैयारी बिमल गुट ने कर ली है. यहां उल्लेखनीय है कि गोर्खाओं की पहचान के नाम पर ही पहाड़ पर अलग से गोर्खालैंड बनाने की मांग की जा चुकी है. इसके लिए कई बार हिंसक आंदोलन हो चुके हैं. अभी पूरे देश में लोकसभा का चुनाव चल रहा है.
दूसरे चरण में दार्जिलिंग संसदीय सीट पर मतदान संपन्न हो चुका है. इस सीट से गोजमुमो बिमल गुट ने भाजपा उम्मीदवार राजू सिंह बिष्ट का समर्थन किया है. लोकसभा चुनाव के समय इस बार पहाड़ पर गोर्खाओं की अलग पहचान का मुद्दा नहीं उठा. लेकिन अब विधानसभा उप-चुनाव में इस मुद्दे को उठाने की तैयारी बिमल गुट ने कर ली है. इस संबंध में गोजमुमो बिमल गुट के प्रवक्ता बीपी बचगाईं कहना है कि गोर्खाओं की पहचान का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा है. लोकसभा के मुद्दे अलग थे.
लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव में काफी फर्क है. लोकसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा गया. इसीलिए गोजमुमो बिमल गुट ने भाजपा का समर्थन किया. विधानसभा चुनाव में विकास के मुद्दे पर चुनाव नहीं लड़ सकते. जब तक राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं तब तक गोजमुमो सत्ता में आकर भी पहाड़ पर विकास नहीं कर सकती, क्योंकि मुख्यमंत्री काम ही नहीं करने देंगी. श्री बचगाईं उदाहरण देते हुए कहा कि सिलीगुड़ी नगर निगम पर विरोधी वाममोर्चा का कब्जा है, जबकि तृणमूल की राज्य सरकार वाममोर्चा बोर्ड को कोई सहयोग नहीं कर रही है.
जीटीए चुनाव के संबंध में उन्होंने कहा कि यदि आज चुनाव होता है, तो बिमल गुट की जीत होगी, लेकिन इससे लाभ क्या होगा. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काम नहीं करने देंगी, इसलिए वह पहाड़ पर विकास को कोई मुद्दा ही नहीं बनाना चाहते. उनका मुख्य मुद्दा गोर्खाओं की पहचान है. इसी मुद्दे पर दार्जिलिंग विधानसभा उप-चुनाव में उनकी पार्टी प्रचार करेगी. पहाड़ पर विकास के बारे में 2021 के बाद सोचा जायेगा.
श्री बचगाईं दावा करते हुए कहा कि वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की करारी हार होगी. फिर ममता बनर्जी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगी. राज्य में भाजपा की सरकार बनेगी और पहाड़ पर फिर से विकास का काम होगा. श्री बचगाई ने दावा करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में दार्जिलिंग सीट से भाजपा उम्मीदवार की ही जीत होगी. सिर्फ दार्जिलिंग ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य में तृणमूल कांग्रेस विरोधी लहर है. इसलिए आने वाले विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की हार तय है.

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