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रेड पांडा से पर्यटकों को लुभाने की तैयारी

संरक्षण पर भी दिया जायेगा विशेष जोर देश-विदेश के प्रतिनिधि होंगे शामिल सिलीगुड़ी : पर्यटकों को लुभाने के लिए एक बार फिर से दार्जिलिंग की घाटियों में रेड पांडा को छोड़ने पर विचार-विमर्श शुरू हुआ है. वर्ष 2020 तक 8 रेड पांडा को छोड़ने का निर्णय लिया गया है. विलुप्तप्राय जानवरों की श्रेणी में शामिल […]

संरक्षण पर भी दिया जायेगा विशेष जोर

देश-विदेश के प्रतिनिधि होंगे शामिल

सिलीगुड़ी : पर्यटकों को लुभाने के लिए एक बार फिर से दार्जिलिंग की घाटियों में रेड पांडा को छोड़ने पर विचार-विमर्श शुरू हुआ है. वर्ष 2020 तक 8 रेड पांडा को छोड़ने का निर्णय लिया गया है. विलुप्तप्राय जानवरों की श्रेणी में शामिल रेड पांडा के संरक्षण, संख्या में वृद्धि के साथ जंगल में निगरानी को लेकर तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया है. 24 अप्रैल बुधवार से शुरू तीन दिवसीय रेड पांडा ग्लोबल स्पिसीज मैनेजमेंट प्लान सेमिनार की मेजबानी दार्जिलिंग पद्मजा नायडू हिमालयान जूलॉजिकल पार्क करेगा. सेमिनार 27 अप्रैल को समाप्त होगा.

बंगाल चिड़ियाघर प्राधिकरण व केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के अधिकारियों के अलावा देश के विभिन्न राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और नेपाल के वन अधिकारी सहित जापान, सिंगापुर, डेनमार्क, संयुक्त राज्य अमेरिका और नीदरलैंड के प्रतिनिधि भी सेमिनार में हिस्सा लेंगे.
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ने रेड पांडा को भी विलुप्तप्राय प्राणी की तालिका में शामिल किया है. रेड पांडा नेपाल, भूटान, उत्तर बंगाल, पूर्वोत्तर (कुछ हिस्सों में), उत्तरी म्यांमार और पश्चिमी चीन के जंगलों में पाया जाता है. पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क के निदेशक राजेंद्र जाखर ने बताया ग्लोबल स्पिसीज मैनेजमेंट के सहयोग से पश्चिम बंगाल चिड़ियाघर प्राधिकरण इस सेमिनार का आयोजन कर रहा है.
देश-विदेश के वन्यजीव विशेषज्ञ रेड पांडा के बेहतर संरक्षण के लिए विभिन्न चिड़ियाघरों और विभिन्न देशों के बीच संरक्षण व जंगल में इनके नवीनतम संरक्षण पर चर्चा करने के लिए मौजूद रहेंगे. इसके अतिरिक्त विश्व संघ चिड़ियाघर व एक्वैरियम (वाजा), यूरोपीय चिड़ियाघर एसोसिएशन (ईजा) अमेरिकी चिड़ियाघर एसोसिएशन के प्रतिनिधि और भारत में विभिन्न चिड़ियाघर एसोसिएशन इस मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सेमिनार में उपस्थित होंगे.
रेड पांडा के खत्म होने का कारण पूछे जाने पर राजेंद्र जाखर ने कहा वन्यप्राण के देहावशेषों की तस्करी इसका प्रमुख कारण है.
70 के दशक में अवैध शिकार की वजह से रेड पांडा की संख्या काफी कम हुयी थी. इसके अलावे पेड़ो की अंधाधुंध कटाई व बढ़ते प्रदूषण से इनकी संख्या में कमी आयी है.फिलहाल इनकी संख्या कम है और विलुप्त होने के कागार पर हैं. इसलिए वैश्विक स्तर पर इनके संरक्षण व प्रजनन कर इनकी संख्या बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है.
दार्जिलिंग चिड़ियाघर को रेड पांडा के संरक्षण व प्रजनन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है. पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क में फिलहाल 21 रेड पांडा हैं. यहां से दो जोड़े नैनीताल चिड़ियाघर में भेजे जाते हैं. दार्जिलिंग चिड़ियाघर से 2020 तक 8 रेड पांडा जंगल में छोड़ने की योजना है.

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