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मुख्यमंत्री की घोषणा से हिंदीभाषी गदगद

पूरे उत्तर बंगाल के हिंदीभाषी विद्यार्थी होंगे लाभान्वित मुख्यमंत्री ने एक शाखा उत्तर बंगाल में खोलने की घोषणा की सिलीगुड़ी : कोलकाता के हिंदी विश्वविद्यालय की एक शाखा उत्तर बंगाल में भी खोलने की घोषणा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की है. पूरे उत्तर बंगाल के हिंदीभाषी समाज ने इस निर्णय का स्वागत किया है. कोलकाता […]

पूरे उत्तर बंगाल के हिंदीभाषी विद्यार्थी होंगे लाभान्वित

मुख्यमंत्री ने एक शाखा उत्तर बंगाल में खोलने की घोषणा की
सिलीगुड़ी : कोलकाता के हिंदी विश्वविद्यालय की एक शाखा उत्तर बंगाल में भी खोलने की घोषणा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की है. पूरे उत्तर बंगाल के हिंदीभाषी समाज ने इस निर्णय का स्वागत किया है. कोलकाता के हावड़ा में बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिंदी विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया. इसी मौके पर उन्होंने इस विश्वविद्यालय की एक शाखा उत्तर बंगाल में भी खोलने का ऐलान किया. उल्लेखनीय है कि उत्तर बंगाल में पहले से ही हिंदी कॉलेजों की संख्या काफी कम है.
वाम मोर्चा सरकार के समय तो हिंदी कॉलेज खोलने को लेकर कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी गयी .तब माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक की परीक्षा मे हिंदी में प्रश्न पत्र देने की मांग भी उठी थी. इस पर भी तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने कोई कार्यवाई नहीं की थी. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद वर्तमान राज्य सरकार ने उत्तर बंगाल में दो हिंदी कॉलेजों की स्थापना की है. इनमें से एक सिलीगुड़ी के निकट हाथीघीसा तो दूसरा डुवार्स के बानरहाट में है.
अब हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना होने से यहां के हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को काफी सुविधा होग. मुख्यमंत्री के इस निर्णय का पूरे हिंदीभाषी समाज ने स्वागत किया है और उन्हें धन्यवाद दिया है.
उत्तरबंग विश्वविद्यालय में हिंदी की विभागाध्यक्ष मनीषा झा ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह एक सही निर्णय है. पहले यहां हिंदी भाषा के कॉलेज नहीं के बराबर थे .अब कुछ नए कॉलेज खोले गए हैं. एक से दो बैचों ने इन कॉलेजों से अपनी पढ़ाई पूरी की है. अब कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद विश्वविद्यालय स्तर की पढ़ाई भी हिंदी भाषा में विद्यार्थी कर सकेंगे. श्रीमती झा ने इसके लिए मुख्यमंत्री का आभार प्रकट किया है.
सिलीगुड़ी कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रमुख प्रो. अजय साव का इस विषय पर कहना है कि भाषा और संस्कृति की दृष्टि से वैविध्य धारण किए हुए उत्तर बंगाल के डुवार्स तराई क्षेत्र में एकमात्र हिंदी भाषा ही सामाजिक सांस्कृतिक प्रगति का माध्यम बन सकती है. यहां भी हिंदी माध्यम के विश्वविद्यालय की स्थापना हिंदी के विकास को नया अध्याय प्रदान करेगी.
उन्होंने कहा हिंदीभाषी समाज के लिए यह गर्व की बात है. लेकिन वर्तमान सरकार की यह पहल तभी सार्थक होगी, जब हिंदी भाषी शिक्षक समुदाय ऐसे संस्थानों के माध्यम से अपने सामाजिक और नागरिक दायित्व का निष्ठा पूर्वक पालन करेंगे. श्री साव ने इसके लिए वर्तमान सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया.
सांस्कृतिक संगठन रंगमंच के अध्यक्ष करन सिंह जैन ने भी ममता बनर्जी के इस निर्णय का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि हिंदी विश्वविद्यालय खुलने से हिंदीभाषी अब आसानी से पीएचडी तक कर सकते हैं. रंगमंच की ओर से भी हिंदी विश्वविद्यालय खोलने की मांग की जा रही है. आखिकार मुख्यमंत्री ने उनकी मांगें पूरी कर दी है.

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