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जंगल व बाघ बचाने विश्व भ्रमण पर निकले दंपती

पूर्वोत्तर एशिया के 13 देशों का करेंगे दौरा करीब डेढ़ साल चलेगी मोटरसाइकिल यात्रा सिलीगुड़ी पहुंचने पर लोगों ने किया भव्य स्वागत सिलीगुड़ी : पर्यावरण तथा वन संपदा को बचाने के लिए कोलकाता के एक दंपती ने विश्व भ्रमण कर लोगों को जागरुक करने का बीड़ा उठाया है. ये दोनों पति-पत्नी जगत को बचाने की […]

पूर्वोत्तर एशिया के 13 देशों का करेंगे दौरा

करीब डेढ़ साल चलेगी मोटरसाइकिल यात्रा
सिलीगुड़ी पहुंचने पर लोगों ने किया भव्य स्वागत
सिलीगुड़ी : पर्यावरण तथा वन संपदा को बचाने के लिए कोलकाता के एक दंपती ने विश्व भ्रमण कर लोगों को जागरुक करने का बीड़ा उठाया है. ये दोनों पति-पत्नी जगत को बचाने की खातिर अपनी मोटर साइकिल से पूरा जहां नापने निकले हैं. यह दोनों अपनी मोटर साइकिल पर पूर्वोत्तर एशिया के 13 देशों का दौरा करेंगे. इसके अलावा देश में भी विभिन्न राज्यों से हजारों किलोमीटर यात्रा करने की इनकी योजना है.
सोमवार को यह दोनों सिलीगुड़ी पहुंचे. यहां पहुंचने पर इनका भव्य स्वागत किया गया.यह दोनों पर्यावरण रक्षा के साथ बाघों के संरक्षण पर विशेष जोर दे रहे हैं. यात्रा पर निकले पति का नाम रथींद्र नाथ दास है.
उन्होंने ‘जर्नी फॉर टाइगर’ के नारे से अपनी यात्रा की शुरूआत की है. इस काम में उनकी पत्नी गीतांजलि दास प्रमुख सहयोगी हैं. दोनो पति-पत्नी मोटर साइकिल से बाघों को बचाने तथा पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए मोटर साइकिल से निकले हैं. उन्होंने बताया कि जंगलों से बाघ की प्रजाति धीरे-धीरे कर लुप्त होने के कगार पर है. इनके लुप्त होने का सबसे बड़ा कारण जंगलों का तेजी से खत्म होना है.
उनका उद्देश्य केवल बाघों को संरक्षित करना नहीं है, बल्कि वे जंगलों को बचाने के लिए भी लोगों को जागरुक कर रहे हैं. उनका मानना है कि जंगल सुरक्षित रहता है तो उसमें रहने वाले जीव जंतु भी सुरक्षित रहेंगे. इसी बात का पैगाम देने के लिए उन्होंने इसी साल 15 फरवरी को कोलकाता के साल्टलेक से अपनी यात्रा शुरू की है.सुंदरवन के विभिन्न इलाकों से वह गुजरे. स्कूलों में जाकर बच्चों को जागरुक किया. आमलोगों को भी पर्यावरण बचाने का पैगाम दिया. उसके बाद दोनों पति-पत्नी सिलीगुड़ी पहुंचे है.
यहां से पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर जायेंगे और वापसी में बिहार की ओर रूख करेंगे. उनकी योजना पूर्वोत्तर एशिया के 13 देशों में जाने की है. इसमें एक से डेढ वर्ष का समय लगेगा.श्री दास ने बताया कि इससे पहले भी वह कई बार यात्रा कर चुके हैं. अपने पिछले सफर में वह देश के 50 टाईगर रिजर्व तथा 600 स्कूलों में जागरुकता कार्यक्रम कर चुके है. उन्होंने बताया कि सिलीगुड़ी के बाद वे डुवार्स के बक्सा टाइगर रिजर्व भी जायेंगे.

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