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जलपाईगुड़ी : तृणमूल में शामिल हो चुके हैं अधिकतर गोजमुमो नेता

जलपाईगुड़ी : पहाड़ की राजनीति इस बार के लोकसभा चुनाव पर भी असर डाल सकती है. इसको लेकर जीटीए के कार्यवाहक चेयरमैन और गोजमुमो के सत्तासीन गुट के अध्यक्ष विनय तमांग जल्द डुवार्स और तराई क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिये उतरने वाले हैं. वहीं, इस क्षेत्र के अधिकतर पूर्व मोरचा नेता या तो तृणमूल […]

जलपाईगुड़ी : पहाड़ की राजनीति इस बार के लोकसभा चुनाव पर भी असर डाल सकती है. इसको लेकर जीटीए के कार्यवाहक चेयरमैन और गोजमुमो के सत्तासीन गुट के अध्यक्ष विनय तमांग जल्द डुवार्स और तराई क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिये उतरने वाले हैं. वहीं, इस क्षेत्र के अधिकतर पूर्व मोरचा नेता या तो तृणमूल में शामिल हो चुके हैं या उनकी सहानुभूति तृणमूल के साथ है.
उन्होंने चुनाव में तृणमूल का समर्थन करने की पहले से ही घोषणा कर रखी है. हालांकि अभी भी मधुकर थापा जैसे पुराने मोरचा नेता हैं जो आज भी विमल गुरुंग के साथ हैं.
उन्होंने चुनाव में विमल के सहयोगी भाजपा का ही समर्थन करने की बात कही है. उल्लेखनीय है कि जल्द ही विनय तमांग चुनाव प्रचार के लिये जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार यहां तक कि कूचबिहार जायेंगे. इसकी जानकारी खुद विनय तमांग ने प्रभात खबर को दी है.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में विमल गुरुंग के नेतृत्व में डुवार्स को जीटीए में शामिल कराने के लिये आंदोलन किया गया था. उस आंदोलन में विनय तमांग के अलावा डुवार्स के विनोद घतानी, संदीप छेत्री नेतृत्व दे रहे थे.
लेकिन बाद में विनय गुट का विमल गुट के साथ दूरी बढ़ती गयी जिसके बाद विनय तमांग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीब चले गये और उसके फलस्वरुप उन्हें जीटीए का कार्यवाहक चेयरमैन (प्रशासक) मनोनीत कर दिया गया. उसके बाद धीरे धीरे गोजमुमो के सभी विधायक और नगरपालिका सदस्य विनय तमांग के समर्थन में आ गये. विकास के काम को लेकर विनय तमांग का कद लगातार बढ़ता रहा.
हालांकि इस दौरान पहाड़ के लोगों में विनय तमांग को राज्य सरकार से नजदीकी के चलते शक की नजर से भी देखा जाता रहा है. इसलिये भी विनय तमांग जीटीए का चुनाव जल्द कराना चाहते हैं ताकि उन्हें पहाड़ के जनाधार का जमीनी हकीकत का पता चल सके. 2008 के बाद 2011 में राज्य सरकार में तृणमूल सत्तासीन हुई जिसके बाद जीटीए को लेकर राज्य सरकार के साथ गोजमुमो के बीच करार पर हस्ताक्षर हुए.
हालांकि इस नयी प्रशासनिक व्यवस्था में भी विमल गुरुंग ने गोरखालैंड राज्य को लेकर आंदोलन करने के अपने अधिकार को सुरक्षित रखा. उधर, डुवार्स के गोजमुमो नेता विनोद घतानी और संदीप छेत्री धीरे धीरे तृणमूल में शामिल हो गये. विनोद घतानी को डुवार्स-तराई-सिलीगुड़ी टास्क फोर्स का चेयरमैन मनोनीत किया गया. संदीप छेत्री को इसका वाइस चेयरमैन मनोनीत किया गया.
विनय तमांग ने बताया है कि वर्तमान में जिस तरह से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जीटीए के प्रति सहयोगी रुख अपनाया है उससे विकास के अवसर को देखते हुए हम लोग संतुष्ट हैं. लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद वे खुद लपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार और कूचबिहार जाकर चुनाव प्रचार करेंगे.
इस दौरान वे तृणमूल का ही समर्थन करेंगे. उधर, विनोद घतानी ने बताया कि 2016 में टास्क फोर्स के गठन के बाद उत्तरबंगाल विकास विभाग गोरखाबहुल डुवार्स और तराई क्षेत्र के विकास के लिये पांच करोड़ रुपये सालाना दे रहा है. अगर विनय तमांग दीदी के समर्थन में डुवार्स आते हैं तो वे सभी उनका सहयोग करेंगे.
एक समय विमल गुरुंग के विश्वस्त साथी माने गये डुआर्स के संदीप छेत्री फिलहाल तृणमूल के जिला महासचिव पद पर हैं. तृणमूल में शामिल होते ही उन्हें टास्क फोर्स का वाइस चेयरमैन बना दिया गया. संदीप छेत्री ने बताया कि दस साल तक डुवार्स में मोरचा नेतृत्व में आंदोलन करने के बाद उन्हें मामले में जुड़ने के सिवा कुछ नहीं मिला. तृणमूल में शामिल होने पर उन्हें क्षेत्र की सेवा करने का पर्याप्त अवसर मिला है. डुवार्स में हम लोग दीदी के साथ ही हैं.
वहीं, विमल गुरुंग के सर्वाधिक विश्वस्त डुवार्स नेता मधुकर थापा का कहना है कि विमल गुरुंग के नेतृत्व वाला गोजमुमो ही वास्तविक गोजमुमो है. वह विमल गुरुंग के साथ ही हैं. पंचायत चुनाव में उन लोगों ने भाजपा को समर्थन दिया था. इस बार भी वह भाजपा के साथ हैं. जबकि गोजमुमो के अधिकतर नेताओं के तृणमूल में शामिल होने जाने के बाद विनय तमांग के लिये राह आसान हो गयी है. और यही वक्त है जबकि वह डुवार्स-तराई में अपना नेतृत्व स्थापित कर सकते हैं.

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