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गोरखाओं की जातीय पहचान पर तीसरा मोर्चा गंभीर

गोजयुमो केंद्रीय कमेटी की बैठक के बाद महासचिव का दावा दार्जिलिंग : गोरखाओं की जातीय पहचान और सुरक्षा की मांग को तीसरे मोरचा ने स्वीकार किया है. यह बात गोरखा जनमुक्ति युवा मोरचा (गोजयुमो) के केन्द्रीय महासचिव अरुण छेत्री ने संगठन की केन्द्रीय कमेटी की बैठक के बाद कही. शनिवार को यह बैठक गोजयुमो के […]

गोजयुमो केंद्रीय कमेटी की बैठक के बाद महासचिव का दावा

दार्जिलिंग : गोरखाओं की जातीय पहचान और सुरक्षा की मांग को तीसरे मोरचा ने स्वीकार किया है. यह बात गोरखा जनमुक्ति युवा मोरचा (गोजयुमो) के केन्द्रीय महासचिव अरुण छेत्री ने संगठन की केन्द्रीय कमेटी की बैठक के बाद कही. शनिवार को यह बैठक गोजयुमो के केन्द्रीय अध्यक्ष अमृत योंजन की अध्यक्षता में हुई. दो घंटे तक चली इस बैठक के बाद अरुण छेत्री ने पत्रकारों से कहा कि बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव के संदर्भ में लंबी बातचीत हुई.
उन्होंने कहा कि युवाओं को एकजुट करने, गांव-बस्ती से लेकर चाय व सिन्कोना बागानों और शहरी क्षेत्रों में संगठन विस्तार करने पर चर्चा हुई. लोकसभा चुनाव में पार्टी आलाकमान जो निर्देश देगा, उसी अनुसार काम किया जायेगा. उन्होंने कहा कि गोजमुमो तीसरा मोरचा का घटक दल है और तीसरा मोरचा ने हमलोगों की मुख्य मांग गोरखाओं की जातीय पहचान और सुरक्षा को गंभीरता से लिया है. अरुण छेत्री ने कहा कि पिछले दिनों दार्जिलिंग के चौरस्ता में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गोरखाओं की जातीय पहचान और राष्ट्रीय सुरक्षा की मांग को स्वीकार करने की बात कह चुकी हैं.
गोरखाओं की जातीय पहचान और सुरक्षा क्या है? इस सवाल के जवाब में अरुण छेत्री ने सिर्फ इतना कहा कि यह आपको बाद में पता चल जायेगा. उन्होंने कहा कि आज की बैठक में जो निर्णय लिया गया है, उस पर अमल के लिए मार्च महीने के पहले सप्ताह में एक बैठक की जायेगी. बैठक दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, कर्सियांग और मिरिक में भी होगी.

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