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सिलीगुड़ी : अब चाय पर एमएसपी देने की उठी आवाज, बजट पर टिकीं पूरे उत्तर बंगाल की निगाहें

सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल का एक प्रमुख उद्योग चाय पिछले कई दशकों से संकट के दौर से गुजररहा है. उत्पादन लागत में लगातार बढ़ोत्तरी ने इस उद्योग की कमर तोड़ दी है. जिस तरह से उत्पादन लागत बढ़ा है,उसके अनुपात में कीमतें नहीं बढ़ी है. चाय का निर्यात भी अपने न्यूनतम स्तर पर है. स्वभाविक […]

सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल का एक प्रमुख उद्योग चाय पिछले कई दशकों से संकट के दौर से गुजररहा है. उत्पादन लागत में लगातार बढ़ोत्तरी ने इस उद्योग की कमर तोड़ दी है. जिस तरह से उत्पादन लागत बढ़ा है,उसके अनुपात में कीमतें नहीं बढ़ी है. चाय का निर्यात भी अपने न्यूनतम स्तर पर है.

स्वभाविक रूप से चाय उत्पादकों की चिंता काफी बढ़ गयी है. टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में विश्व चाय निर्यात बाजार में भारत का हिस्सा मात्र 12 प्रतिशत था. उसके बाद सरकार तथा टी बोर्ड ने विश्व बाजार में भारतीय चाय की हिस्सेदारी बढ़ाने की काफी कोशिश की,लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ.
चाय निर्यात में ठहराव की स्थिति है. निर्यात दर आज भी उसी 12 प्रतिशत पर कायम है. उपर से घरेलु चुनौतियों से भी चाय उद्योग को दो चार होना पड़ रहा है. यही कारण है एक ओर जहां चाय कारोबारी परेशान हैं,वहीं दूसरी ओर चाय बागान श्रमिकों की हालत भी दिन पर दिन खराब हो रही है.
उत्तर बंगाल में अभी भी कई चाय बागान बंद पड़े हैं. संकट की इस घड़ी में चाय कारोबारी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. पहली बार चाय के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की मांग हो रही है. यहां बता दें कि सरकार धान,गेहूं,दाल आदि अनाज किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)देकर खरीदती है. चाय के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. अब चाय पर भी एमएसपी देने की मांग सिलीगुड़ी में शुरू हो गयी है.
कल कार्यवाहक वित्तमंत्री पीयूष गोयल लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करेंगे. इस बजट पर पूरे देश के साथ ही सिलीगुड़ी एवं उत्तर बंगाल के लोगों की भी निगाहें टिकी हुयी है.सिलीगुड़ी के प्रमुख चाय कारोबारी तथा सीआईआई उत्तर बंगाल चैप्टर के चेयरमैन कमल किशोर तेवारी ने कार्यवाहक वित्तमंत्री पीयूष गोयल से चाय के लिए एमएसपी घोषित करने की मांग की है.
उन्होंने कहा है कि चाय उद्योग की हालत काफी खराब है. जिस अनुपात में उत्पादन लागत बढ़ रहा है उस अनुपात में चाय की कीमत नहीं बढ़ रही है. जिसके परिणाम स्वरूप ना केवल चाय बागान मजदूरों एवं मालिकों,यहां तक कि चाय कारोबारियों को भी काफी परेशानी हो रही है. सरकार को चाय उद्योग को संकट से उबारने के लिए विशेष पहल करनी चाहिए. श्री तिवारी ने आगे कहा कि सिलीगुड़ी कहा कि लेबर इसके साथ ही श्री तेवारी ने वित्त मंत्री के सामने और भी कई मांगे रखी है.
उन्होंने इनकम टैक्स के स्लैब में बदलाव की मांग की. श्री तेवारी ने कहा कि वर्तमान में इनकम टैक्स की छूट सीमा ढाई लाख रुपए है. जिसे बढ़ाकर 5 या 7 लाख रूपये करने की जरूरत है. अधिकतम इनकम टैक्स स्लैब 30 प्रतिशत है. इसको घटाकर 20 प्रतिशन करने की मांग श्री तेवारी ने की. उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स स्लैब में कटौती का लाभ सरकार को होगा.
अधिक से अधिक लोग टैक्सस्लैब में आएंगे और राजस्व में भारी बढ़ोतरी होगी. इससे देश का विकास भी तेजी से हो सकेगा. केंद्रीय वित्त मंत्री से श्री तेवारी ने जीएसटी को और सरल बनाने की मांग भी की. उन्होंने कहा कि कारोबारी कभी भी जीएसटी के विरोध में नहीं रहे . जिस समय केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू करने का फैसला किया सभी व्यापारियों ने स्वागत किया.
वह तो बस जीएसटी को और सरल करने के पक्ष में हैं.व्यापारी सरकार को टैक्स देना चाहते हैं. इसके लिए जीएसटी के सरलीकरण की जरूरत है. व्यापारी किसी तरह के कानूनी दांवपेच में नहीं फंसें, इसके लिए जीएसटी को सरल बनाना जरूरी है. उन्होंने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि संसद में कल पेश होने वाले बजट में वित्त मंत्री इन बातों पर गौर करेंगे.

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