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सिलीगुड़ी : सिखों के 10वें धर्मगुरु का मना प्रकाशोत्सव

सिलीगुड़ी : सिख संप्रदाय के 10वें धर्मगुरु गुरु गोविंद सिंह का 352वां जन्मदिन रविवार को देश-दुनिया के साथ ही सिलीगुड़ी में भी प्रकाशोत्सव के तौर पर मनाया गया. इस उपलक्ष्य में सेवक रोड स्थित गुरुद्वारे की भव्य सजावट की गयी थी. गुरु के जन्मदिन पर गुरुद्वारे में आयोजक कमेटी श्री गुरु सिंह सभा की पहल […]

सिलीगुड़ी : सिख संप्रदाय के 10वें धर्मगुरु गुरु गोविंद सिंह का 352वां जन्मदिन रविवार को देश-दुनिया के साथ ही सिलीगुड़ी में भी प्रकाशोत्सव के तौर पर मनाया गया. इस उपलक्ष्य में सेवक रोड स्थित गुरुद्वारे की भव्य सजावट की गयी थी.
गुरु के जन्मदिन पर गुरुद्वारे में आयोजक कमेटी श्री गुरु सिंह सभा की पहल पर कीर्तन, अरदास, लंगर आदि धार्मिक कार्यक्रमों का दौर दिन भर चला.
हुजूरी रागी जत्था भाई गुरदेव सिंह जी की टीम ने कीर्तन, असा दी वार, आमंत्रित ढाडी जत्था भाई लखविंदर सिंह जी के ग्रुप ने वरन एवं धर्मगुरुओं ने धर्मसभा के दौरान गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन पर प्रकाश डाला. गुरु के जन्मदिन के उपलक्ष्य पर दिन भर उनके अनुयायियों व श्रद्धालुओं का गुरुद्वारे में तांता लगा रहा.
इस अवसर पर शहरवासियों के अला‍वा आर्मी, एसएसबी, बीएसएफ, सीआरपीएफ में सिख संप्रदाय से जुड़े जवान व अधिकारियों ने भी अपने गुरु के दरबार में हाजिरी दी. सभी ने गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब के सामने मत्था टेका और खुशहाली-सलामती की दुआ की.
इस मौके पर दोपहर को गुरुद्वारा परिसर में ही विशाल लंगर का आयोजन किया गया. इस दौरान हरेक संप्रदाय और हर स्तर के वर्ग के श्रद्धालु एक साथ बैठकर लंगर छके.
आयोजक कमेटी के प्रवक्ता जीएस होरा ने कहा कि लंगर में तकरीबन 10 हजार से भी अधिक लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया. उन्होंने बताया कि सिलीगुड़ी में चार दिन पहले से ही प्रकाशोत्सव को लेकर कार्यक्रम चल रहे हैं. आयोजक कमेटी के संयुक्त सचिव संदीप सिंह ने बताया कि प्रकाश पर्व के दौरान भक्तों को किसी तरह की तकलीफ न हो, इसका पूरा ख्याल रखा गया.
पंजाबी बिरादरियों ने मनाया लोकपर्व लोहड़ी
सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी में पंजाबी बिरादरी ने अपना लोकपर्व लोहड़ी भी पूरे उत्साह के साथ मनाया. इसके लिए सेवक रोड स्थित गुरुद्वारा परिसर में रविवार शाम को खास इंतजाम किया गया था.
कई परिवारों को अपने घरों की छतों या फिर घर के सामने लोहड़ी मनाते देखा गया. लोहड़ी जलाकर नयी फसल के तौर पर तिल, मकई, मूंगफली व अन्य अनाज एवं रेवड़ी-गुड़ अग्नि को अर्पित किये गये.
लोहड़ी के चारों ओर घूम-घूमकर महिलाओं ने लोकगीत गाया और नृत्य कर लोहड़ी का आनंद उठाया. इस दौरान सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन विचारा हो, दुल्ला भट्टीवाला हो, दुल्ले धी ब्याही हो, सेर शक्कर पाई हो… लोक गीत पर लोग देर तक थिरके. विवाहिताओं ने पति-संतान के दीर्घायु होने और पूरे परिवार की सुख-शांति की दुआ की.
आयोजक कमेटी श्री गुरु सिंह सभा की ओर से लोहड़ी जलाने के लिए लकड़ी, उपलों और अग्नि को अर्पित करने के लिए अनाज आदि का पूरा इंतजाम भी किया गया. लोहड़ी मना रही एक विवाहिता पूनम अरोड़ा ने बताया कि लोहड़ी एक प्रमुख लोकपर्व है.
यह पर्व पौष महीने की आखिरी रात यानी 13 जनवरी को प्रत्येक साल परंपरागत तरीके से मनाया जाता है. इसके अगले दिन यानी माघ महीने की संक्रांति को माघी के रूप में 14 जनवरी को मनाया जाता है. पूनम ने बताया कि नयी फसल की खुशी में प्रत्येक साल लोहड़ी परंपरागत तरीके से मनायी जाती है.

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