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Friday, March 29, 2024

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सिलीगुड़ी : बिना अध्यापक के ही चलाया जा रहा हिंदी का क्लास

मोहन झा सिलीगुड़ी : विश्वविद्यालय के नियमों को ताख पर रखकर कॉलेज प्रबंधन द्वारा पढ़ाई करायी जा रही रही है. हिंदी विषय में विद्यार्थियों की संख्या काफी होने के बाद भी सूर्यसेन कॉलेज में हिंदी का एक भी अध्यापक नहीं है. हिंदी की पढ़ाई कैसे हो रही है, शिक्षार्थी हिंदी की परीक्षा पास कैसे कर […]

मोहन झा
सिलीगुड़ी : विश्वविद्यालय के नियमों को ताख पर रखकर कॉलेज प्रबंधन द्वारा पढ़ाई करायी जा रही रही है. हिंदी विषय में विद्यार्थियों की संख्या काफी होने के बाद भी सूर्यसेन कॉलेज में हिंदी का एक भी अध्यापक नहीं है. हिंदी की पढ़ाई कैसे हो रही है, शिक्षार्थी हिंदी की परीक्षा पास कैसे कर रहे हैं व आंतरिक मूल्यांकन कैसे कराया जा रहा आदि प्रक्रियायों पर ही सवाल खड़ा हो गया है.
सूर्यसेन कॉलेज के प्रिंसिपल ने भी प्रबंधन कमिटी पर सबकुछ डालकर अपना पल्ला झाड़ लिया है. वहीं दूसरी ओर शिकायत मिलने पर विश्वविद्यालय ने कार्यवायी का भरोसा दिया है.
सिलीगुड़ी से सटे सूर्यसेन कॉलोनी ब्लॉक बी इलाके में स्थित सूर्यसेन कॉलेज उत्तर बंग विश्वविद्यालय के अधीन है. आरोप है कि इस कॉलेज ने विश्वविद्यालय के नियमों को ही ताख पर रख दिया है. उत्तर बंग विश्वविद्यालय के नियमानुसार बिना अध्यापक के किसी भी विषय की पढ़ाई की अनुमति कॉलेज को नहीं दी जाती है.
जबकि प्राप्त जानकारी के अनुसार सूर्यसेन कॉलेज में सिर्फ प्रथम सेमिस्टर में हिंदी विषय के करीब 240 छात्र-छात्राएं हैं. लेकिन हिंदी का एक भी अध्यापक कॉलेज में नहीं है.
पिछले कई वर्ष से सूर्यसेन कॉलेज में हिंदी विषय की यही स्थिति है. छात्र-छात्राओं ने भी कई बार कॉलेज प्रबंधन को अपनी समस्या बताकर हिंदी अध्यापक की मांग की है. लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की. अभी हाल में ही कई विषयों के रिक्त पदों पर अस्थायी गेस्ट अध्यापकों की नियुक्ति के लिए प्रबंधन ने एक विज्ञापन जारी किया था.
उसमें भी हिंदी के अध्यापक की मांग नहीं थी. हिंदी विषय का अध्यापक नहीं होने से शिक्षार्थियों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) शिक्षा सत्र 2018-19 में च्वाइस बेस क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) को लागू कराया है.
इस नीति के तहत महाविद्यालय व विश्वविद्यालय की परीक्षा व्यवस्था में काफी बदलाव किये गए हैं. एक तरफ महाविद्यालय, विश्वविद्यालय व मेधावी इस नीति का स्वागत कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पढ़ाई में फांकीबाजी करने वाले शिक्षार्थियों के लिए रोजाना क्लास में उपस्थित होना व पढ़ाई के प्रति सजग होना आवश्यक हो गया है. 15 अंक देने का अधिकार महाविद्यालय कॉलेज को भी दियागया है. कक्षा में उपस्थिति के लिए 5 व आंतरिक मूल्यांकन के लिए 10 अंक देने का प्रावधान है.
सूर्यसेन महाविद्यालय में कला विभाग में बांग्ला, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, पर्यावरण, इतिहास, भूगोल, समाज शास्त्र व राजनीति शास्त्र विभाग है. इसके अतिरिक्त वाणिज्य विभाग व विज्ञान विभाग में रसायन, गणित व भौतिकी विभाग है.
इन विषयों में आॉनर्स की पढ़ाई भी होती है. ऑनर्स के साथ यहां पास कोर्स की भी पढ़ाई होती है. नियमानुसार ऑनर्स विषय के साथ अन्य चार विषयों की पढ़ाई करनी पड़ती है. जेनरल विषय में हिंदी को भी शामिल किया गया है. ऑनर्स विषय के अलावे अन्य चार पेपर में कई हिंदी भाषी छात्र-छात्राओं ने हिंदी को भी शामिल किया है.
प्रथम सेमिस्टर में 240 के करीब हिंदी विषय के विद्यार्थी हैं. जबकि हिंदी पढ़ाने के लिए एक भी अध्यापक नहीं है. बिना अध्यापक के ही विद्यार्थियों को आंतरिक मूल्यांकन व बिना क्लास के ही उपस्थिति के लिए अंक प्रदान किया जा रहा है. बल्कि उत्तरबंग विश्व विद्यालय के अधीन जलपाईगुड़ी स्थित प्रसन्नदेव महिला महाविद्यालय में प्रथम सेमिस्टर में हिंदी विषयम में मात्र एक छात्रा है. वहां एक छात्रा के लिए एक हिंदी अध्यापक हैं.
हिंदी विषय के विद्यार्थियों ने बताया कि अध्यापक के नहीं होने से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. गाईड बुक व अन्य सहायक पुस्तकों से वे किसी भी तरह पास करने भर पढ़ाई कर पाते हैं.
अध्यापक व क्लास की कमी उन्हें खलती है. इस बारे में कई बार प्राध्यापक से बातचीत की गयी है. लेकिन अब तक कोई फायदा नहीं हुआ है. सूर्यसेन महाविद्यालय के स्टूडेंट यूनियन के महासचिव गोपाल सरकार ने बताया कि हिंदी विषय के काफी शिक्षार्थी हैं. कई वर्षों से कॉलेज में हिंदी का अध्यापक नहीं है.
हम लोगों ने कई बार इस बारे में कॉलेज के प्राध्यापक व प्रबंधन कमिटी से बातचीत कर हिंदी अध्यापक उपलब्ध कराने की मांग की. अभी हाल में ही कई रिक्त पदों के लिए गेस्ट अध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गयी है. उसमें हिंदी अध्यापक का कोई जिक्र नहीं है. इस बारे में फिर से प्राध्यापक व प्रबंधन कमिटी से बात की जायेगी.
क्या कहना है प्रिंसिपल का
प्रिंसिपल डॉ. प्रणव कुमार मिश्रा ने बताया कि सूर्यसेन कॉलेज में हिंदी विभाग नहीं है. जेनरल व ऑनर्स के अलावा अन्य चार पेपर में एक विषय हिंदी भी शामिल है. अध्यापक नहीं होने की वजह से हिंदी की पढ़ाई नहीं होती है.
छात्र-छात्राएं स्वयं ही तैयारी करती हैं. आंतरिक मूल्यांकन का प्रोजेक्ट आदि दूसरे कॉलेज के अध्यापकों से जांच करवा कर अंक प्रदान किया जाता है. मूल्यांकन के लिए किस कॉलेज के अध्यापक आते हैं या किस कॉलेज के साथ टाईअप किया गया है, उन्हें इस बात का पता नहीं है. यह सब कुछ कॉलेज प्रबंधन कमेटी को पता है.
क्या कहते हैं रजिस्ट्रार
उत्तरबंग विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. दिलीप सरकार ने बताया कि विषय आवंटन के समय अध्यापक दिखाने के बाद भी अनुमति दी जाती है.
सूर्यसेन कॉलेज में हिंदी विषय हैं, इसका तात्पर्य यह है कि अनुमति के लिए अध्यापक दिखाया गया था. अब वहां अध्यापक नहीं है, फिर किस बिना पर वे हिंदी विषय चला रहे हैं. यह सूर्यसेन कॉलेज के प्रिंसिपल व प्रबंधन कमेटी को ही पता होगा. नियमों की अवहेलना करने की शिकायत मिलने पर आवश्यक कार्यवायी की जायेगी.
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