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सिलीगुड़ी : अभी भी बंटवारे का दंश झेल रहे भारत-बांग्लादेश के लोग, इलाज के लिए आये युवक की मौत

सिलीगुड़ी : बेटे की मौत के गम से अधिक बेटे के शव को अपने देश ले जाने की चिंता एक पिता पिछले तीन दिनों मारा-मारा फिर रहा है. दूतावास से अनापत्ति प्रमाण पत्र सहित शव के साथ देश वापस लौटने की अनुमति लेने के लिए पिता बुधवार को कोलकाता के लिए रवाना हुआ. शव को […]

सिलीगुड़ी : बेटे की मौत के गम से अधिक बेटे के शव को अपने देश ले जाने की चिंता एक पिता पिछले तीन दिनों मारा-मारा फिर रहा है. दूतावास से अनापत्ति प्रमाण पत्र सहित शव के साथ देश वापस लौटने की अनुमति लेने के लिए पिता बुधवार को कोलकाता के लिए रवाना हुआ. शव को रखने तथा कागजी प्रक्रिया में सिलीगुड़ी व आस-पास के लोगों ने उनकी काफी सहायता की.
पुत्र वियोग को दिल में दबाये पिता ने भारतीयों का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया है. ऐसे इस पूरे मामले का एक गंभीर मानवीय पहलु है. आजादी के समय देश का जो बंटवारा हुआ उसका दंश अभी भी कुछ लोगों को झेलना पड़ रहा है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते 27 नवंबर को बांग्लादेश से मोहम्मद अब्दुल कादिर अपने 15 वर्षीय बेटे नाजिबुल इस्लाम के साथ सिलीगुड़ी पहुंचा. मोहम्मद अब्दुल कादिर बांग्लादेश के रंगपुर जिला अंतर्गत काउलिया इलाके के निवासी है. वे काउलिया हाई स्कूल में शिक्षक हैं. उनका बेटा काउलिया हाई स्कूल में नवम श्रेणी का छात्र था. बचपन से ही नाजिबुल हृदय रोग से पीड़ित था. उसके बेहतर इलाज के लिए ही मोहम्मद अब्दुल कादिर उसे लेकर भारत आये. 27 नवंबर को कूचबिहार के चेंगराबांधा सीमांत से प्रवेश कर सिलीगुड़ी पहुंचे.
उसी दिन न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ कर बंगलुरू चले गये. वहां के एक प्रसिद्ध निजी अस्पताल में बेटे का इलाज कराया. करीब एक महीने बाद बीते 23 दिसंबर को वे दोनों बंगलुरू से लौटे. न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन पर पहुंचते ही फिर से नाजिबुल की तबियत बिगड़ गयी. मोहम्मद अब्दुल कादिर फौरन उसे न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे अस्पताल ले गये. जहां डॉक्टरो ने उसे मृत घोषित कर दिया. बेटे के मौत की खबर सुनते ही पिता सहम गये. जानकारी बांग्लादेश अपने परिवार वालों को दी.
बेटे की मौत के गम का आंसू अभी थमा नहीं था कि उसके शव को सीमा पार कराने की चिंता सताने लगी. रेलवे हॉस्पिटल से उन्होंने शव को सीमा पार कराने की प्रक्रिया पूरी करने की अपील की. अस्पताल से मृत्यु प्रमाण पत्र, न्यू जलपाईगुड़ी पुलिस थाने को जानकारी देकर पुलिस का प्रमाण पत्र आदि जुगाड़ किया. इसके बाद बांग्लादेश दूतावास से अनापत्ति प्रमाण पत्र की प्रक्रिया शुरू की. नियमों के पेंच सुलझाने में तीन दिन गुजर गये हैं. बुधवार को वे बांग्लादेश दूतावास कोलकाता के लिए रवाना हुए. गुरूवार शव लेकर सीमा पार कर बांग्लादेश जाने की संभावना जतायी गयी है.
भारतीय नागरिक मदद के लिए आगे आये
23 दिसंबर को बेटे की मौत के बाद मोहम्मद अब्दुल कादिर ने शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस बुलाया. सिलीगुड़ी से सटे बागडोगरा निवासी जगदीश राय एंबुलेंस लेकर हाजिर हुआ. पुत्र वियोग से जूझ रहे एक पिता को कागजी कार्यवायी में मारा-मारा फिरता देखकर जगदीश ने अपने मित्र मोहम्मद रमजान को बुलाया. मृतक के शव को कॉफिन में बंद कर मोहम्मद रमजान के घर रखवाया. जानकारी मिलते ही दार्जिलिंग जिला तृणमूल युवा अध्यक्ष विकास रंजन सरकार भी सहयता के लिए पहुंचे.
इन तीनों के अलावा बागडोगरा के अन्य लोगों ने सहायता का हाथ बढ़ाया. जगदीश राय, मोहम्मद रमजान व विकास रंजन सरकार ने पुलिस व स्पेशल ब्रांच से कागजी कार्यवायी का काम पूरा करवा कर पीड़ित पिता को कोलकाता भिजवाया है. थोड़ी-बहुत आर्थिक सहायता भी की गयी है. पीड़ित मोहम्मद नाजिबुल इस्लाम ने सहयोगी भारतीय का शुक्रिया अदा करते हुए बताया कि यहां के लोगों ने उनका काफी साथ दिया है.
कागजी प्रक्रिया में उन्हें अधिक समय लग गया. दूतावास का एक कार्यालय सिलीगुड़ी में होने से इतनी परेशानी नहीं होती. कोलकाता दूतावास से प्रमाण पत्र लाने के बाद वे अवश्य बांग्लादेश लौट जायेगें, लेकिन सिलीगुड़ी के लोगों के योगदान को वे कभी भूला नहीं पायेगें.
वहीं एंबुलेंस चालक जगदीश राय व मोहम्मद रमजान ने बताया कि इस दुनिया में पुत्र वियोग सबसे बड़ा दर्द हैं. जबकि एक पिता पुत्र वियोग से अधिक उसके शव को अपने घर ले जाने के लिए चिंतित है. कुछ कागजों की वजह से उनके परिजन सिलीगुड़ी से सटे फूलबाड़ी सीमा के उसपार खड़े हैं. ऐसी स्थिति में इस पिता की सहायता करना मानवता का सबसे बड़ा धर्म है. वे लोग भी चाहते हैं कि मोहम्मद अब्दुल कादिर जल्द से जल्द बेटे का शव लेकर अपने देश लौट जाये. कहीं ऐसा न हो कि मां बेटे का चेहरा भी न देख पाये.
कागजी कार्रवाई जरूरी-एसडीओ
सिलीगुड़ी महकमा शासक सिराज दानेश्वर ने बताया कि शव को लेकर सीमा पार करने की कुछ कागजी प्रक्रिया है. शव के मार्फत किसी प्रकार की तस्करी ना हो,इसको सुनिश्चित करने के लिए ही कुछ नियमावली है, जिसे पूरा किया जाना दोनों देशों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है. बल्कि इस आधुनिक युग में इस प्रक्रिया में इतना अधिक समय नहीं लगता है. उन्होंने कहा कि पीड़ित बांग्लादेशी परिवार ने उनसे मुलाकात नहीं की है. फिर भी वे कोशिश करेगें कि कागजी कार्यवायी शीघ्र पूरी हो जाये, ताकि शव को जल्द बांग्लादेश ले जाया जा सके.

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