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सिलीगुड़ी : बढ़ते वाइल्ड लाइफ अपराध पर नकेल कसने की तैयारी, सात देशों ने बनाया इंफोर्समेंट नेटवर्क

सिलीगुड़ी : वन संपत्ति व वन्य प्राणियों के देहावशेषों की तस्करी सहित वाइल्ड लाइफ अपराध में काफी बढ़ोत्तरी हुयी है. इस पर नियंत्रण के लिए विश्व के सात देशों ने मिलकर काम करने का निर्णय लिया है. इसके लिए साउथ एशिया वाइल्ड लाइफ एन्फोर्समेंट नेटवर्क (साविन) नामक एक अंतराष्ट्रीय संगठन तैयार किया गया है. भारत, […]

सिलीगुड़ी : वन संपत्ति व वन्य प्राणियों के देहावशेषों की तस्करी सहित वाइल्ड लाइफ अपराध में काफी बढ़ोत्तरी हुयी है. इस पर नियंत्रण के लिए विश्व के सात देशों ने मिलकर काम करने का निर्णय लिया है. इसके लिए साउथ एशिया वाइल्ड लाइफ एन्फोर्समेंट नेटवर्क (साविन) नामक एक अंतराष्ट्रीय संगठन तैयार किया गया है.
भारत, नेपाल व भूटान के अलावा भी इसमें कुल सात देश शामिल हैं. वहीं दूसरी ओर भारत,नेपाल व भूटान के बीच वाइल्ड लाइफ क्राइम रोकने के लिए पहली बार पहल की गयी है.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक वाइल्ड लाइफ क्राइम में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. वाइल्ड लाइफ क्राइम सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल व भूटान के लिए परेशानी का सबब बन गया है. भारत का क्षेत्रफल व जनसंख्या विशाल है. जबकि नेपाल व भूटान की आबादी तथा इलाका काफी छोटा होने के बाद भी वाइल्ड लाइफ अपराध काफी बढ़े हैं.
वाइल्ड लाइफ क्राइम पर नियंत्रण के लिए तीनों देशों ने एक होकर लड़ने की पहल की है. बीते 3 दिसंबर से 8 दिसंबर तक भारत, नेपाल व भूटान के वाइल्ड लाइफ विभाग के उच्च अधिकारियों की एक टीम ने तीनों देशों की सीमा व वाइल्ड लाइफ इलाके का जायजा लिया है. इसके बाद बीते 9 दिसंबर से सिलीगुड़ी के मल्लागुड़ी स्थित एक होटल में चार दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया है.
इंटरनेशनल सेंटर फॉर माउंटेन डेवलपमेंट(आईसीमोड) द्वारा आयोजित इस सेमिनार में भारत, भूटान व नेपाल के प्रतिनिधि सहित सीमा सुरक्षा बल, पुलिस, हिमालयन नेचर एंड एडवेंचर फाउंडेशन, स्काई वाचर्स एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ बंगाल व अन्य स्वयंसेवी संगठनो के सदस्य शामिल हुए हैं. तीनों देशों के प्रतिनिधियों ने अपनी रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट के आधार पर ही इस समस्या से निपटने पर विचार-विमर्श किया जा रहा है.
जंगल में भी सुरक्षित नहीं जानवर
सोमवार को मैन एंड वाइल्ड लाइफ कनफ्लिक्ट (आदमी और जंगली जानवरों में संघर्ष) को लेकर सेमिनार में चर्चा की गयी. जिसमें जंगली जानवरों व इंसानों के बीच वाले संघर्ष संबंधित विभिन्न पहलुओं को रखा गया. पहले के राजा-महाराजा व राजकुमार आखेट के लिए जंगल की ओर जाते थे, लेकिन अब जंगली जानवर शहर की ओर आते हैं.
बढ़ती जनसंख्या व जंगलों की अंधाधुंध कटाई इसके मुख्य कारण हैं. पहले भी तेंदुआ व अन्य जंगली जानवर उत्तर बंगाल के चाय बागानों में दिखाई पड़ते थे, लेकिन अब जंगल छोड़कर तेंदुए चाय बागानों को ही अपना मांद बना रहें है. वे जंगल में वे खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. उत्तर बंगाल, नेपाल व भूटान के चाय बागानों में तेंदुए का आंतक मचा हुआ है.
चाय बागान के नालों में तेंदुए के शावक बरामद हो रहे हैं. जंगलों में जानवरों को एकांत नहीं मिल रहा है. एकांत की तलाश में ही तेंदुए चाय बागानों का रूख करते हैं. वहीं सहवास कर बच्चों को जन्म दे रहे हैं.
सोमवार को मैन एंड वाइल्ड लाइफ कनफ्लिक्ट (आदमी और जंगली जानवरों में संघर्ष) को लेकर सेमिनार में चर्चा की गयी. जिसमें जंगली जानवरों व इंसानों के बीच वाले संघर्ष संबंधित विभिन्न पहलुओं को रखा गया. पहले के राजा-महाराजा व राजकुमार आखेट के लिए जंगल की ओर जाते थे, लेकिन अब जंगली जानवर शहर की ओर आते हैं.
बढ़ती जनसंख्या व जंगलों की अंधाधुंध कटाई इसके मुख्य कारण हैं. पहले भी तेंदुआ व अन्य जंगली जानवर उत्तर बंगाल के चाय बागानों में दिखाई पड़ते थे, लेकिन अब जंगल छोड़कर तेंदुए चाय बागानों को ही अपना मांद बना रहें है.
वे जंगल में वे खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. उत्तर बंगाल, नेपाल व भूटान के चाय बागानों में तेंदुए का आंतक मचा हुआ है. चाय बागान के नालों में तेंदुए के शावक बरामद हो रहे हैं. जंगलों में जानवरों को एकांत नहीं मिल रहा है. एकांत की तलाश में ही तेंदुए चाय बागानों का रूख करते हैं. वहीं सहवास कर बच्चों को जन्म दे रहे हैं.
हाथियों के कोरिडोर पर मानव का कब्जा
इसके अतिरिक्त हाथी को देखने के लिए जंगलो के बीच या जंगलों से होकर बहने वाली नदियों के किनारे जाना पड़ता था. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में तराई-डुआर्स की सड़कों पर हाथियों का झुंड देखने को मिलता है. बल्कि जंगली हाथी रास्ता भटक कर शहर में घूस रहे हैं. इसका मुख्य कारण जंगल में हाथियों के कोरिडोर पर मानव का कब्जा है.
पर्यटन की आड़ में जंगली जानवरों की सुरक्षा व एकांत को तहस-नहस कर दिया गया है. इसके अतिरिक्त भारत व नेपाल के बीच हाथियों के कोरिडोर को लेकर एक समझौता हुआ था. लेकिन वह कोरिडोर बंद है. उस कोरिडोर से गुजरने वाले हाथी रास्ता भटक कर शहर की ओर आते हैं. इन सभी विंदुओं को लेकर सोमवार की शाम छह बजे तक बहस हुयी.
बोले आइजी वाइल्ड लाइफ
आईजी वाइल्ड लाइफ (भारत सरकार) सौमित्र दासगुप्ता ने बताया कि रविवार से चर्चा शुरू हुयी है. कंचनजंघा लैंडस्कैप को लेकर काफी चर्चा हुयी है. मैन एंड वाइल्ड लाइफ कनफ्लिक्ट को लेकर तीनों देशों की समस्याएं भी सामने आयी है. कई पहलुओं पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है.
जबकि कुछ समस्याओं के समाधान में समय लगेगा. काफी सारी चुनौतिया भी सामने आयी है. तीनों देशों के एक साथ होने से चुनौतियों को पार किया जा सकता है. वाइल्ड लाइफ के अस्तित्व से ही मानव जीवन का अस्तित्व है. हाथियो के कोरिडोर पर तीनों देशों के साथ विचार-विमर्श होना है. उन्होंने आगे बताया कि मंगलवार को वाइल्ड लाइफ क्राइम को लेकर चर्चा होगी. इसमें पुलिस,बीएसएफ और एसएसबी के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.

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