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Friday, March 29, 2024

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होली को लेकर बाजारों में दिखी चहल-पहल

शिवहर : आपसी भाइचारे का महान पर्व होली में अब कुछ ही दिन शेष बच गया हैं. जिसकी खरीदारी को लेकर बाजारों में काफी चहल/पहल बढ़ गयी है. शहर व ग्रामीण क्षेत्रों से लोग होली पर्व को लेकर सामग्री की खरीदारी करने के लिए बाजारों में पहुंचने लगे हैं. जिले के सभी मुख्य बाजार में […]

शिवहर : आपसी भाइचारे का महान पर्व होली में अब कुछ ही दिन शेष बच गया हैं. जिसकी खरीदारी को लेकर बाजारों में काफी चहल/पहल बढ़ गयी है.

शहर व ग्रामीण क्षेत्रों से लोग होली पर्व को लेकर सामग्री की खरीदारी करने के लिए बाजारों में पहुंचने लगे हैं. जिले के सभी मुख्य बाजार में होली पर्व में प्रयोग होने वाले रंग, अबीर, पिचकारी व मुखौटे आदि सामग्रियों से दुकानें सजी हुई हैं. होली आने में अभी तीन दिन ही शेष बच गये है. लोगों में होली का खुमार सर चढ़कर बोलने लगा है. गली-मुहल्लों में रंग,अबीर उड़ने लगे है. साथ ही गांव/शहर में बुजुर्गों द्वारा फगुआ गायन के साथ बच्चे व युवा समेत सभी होली के रंग में डूबने लगे है.

उधर होली पर्व को लेकर छोटे-छोटे बच्चों व नौजवानों में उत्साह देखते बन रहा है. कई लोगों के द्वारा होली मिलन समारोह भी आयोजित किया जा रहा है. शहर के सिनेमा हॉल रोड, रजिस्ट्री चौक, ब्रह्मस्थान चौक, गांधी चौक, गुदरी बाजार, राजस्थान चौक समेत अन्य दुकानों में होली पर्व की सामग्रियों से भरी हुई है. बाजार में विभिन्न प्रकार के रंग/अबीर, पिचकारी, टोपी, मुखौटा, बाल आदि की चलंत दुकानें भी खुल गयी हैं. रेडीमेड कपड़े व शृंगार की दुकानों में ग्राहकों की भीड़ देखी जा रही है.

शहर के अलावा ग्रामीण इलाकों से भी परिजनों के साथ महिला व बच्चे भी खरीदारी करने के लिए बाजारों में पहुंच रहे हैं. बाजारों में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की पिचकारियां बच्चों को खूब पसंद आ रही है. कहीं मोटू/पतलू और शिवा के आकार की प्रेशर पिचकारियां दुकानों की शोभा बढ़ा रही हैं. इसके अलावे गुलाल, स्प्रे कलर, टू इन वन, फाइव इन वन हर्बल कलर दुकानों पर बिक रहे हैं.

आज भी कई गांव में सुनने को मिल रहे फगुआ के गीत : शिवहर. भारतीय लोक संस्कृति व एकता का प्रतीक गांवों की चौपालों में फगुआ गायन की परंपरा के बीच अब भी कई गांवों में बसंत पंचमी के आगमन के साथ ही लोगों पर फागुन का रंग चढ़ गया है. बसंत पंचमी से चढ़े होली के रंग पूरे फाल्गुन मास तक चलता रहता है. होली को लेकर गांव के चौक चौराहे, मंदिर आदि जगहों पर ढोल, मजीरा, झाल, तासा के साथ बुजुर्गों द्वारा फगुआ के गीत गाया जाने लगा है.

घर आये रिश्तेदारों व मेहमानों के कपड़े लाल, हरे, पिले रंगों से सराबोर दिखने लगे है.तो लोगों के कपड़े पर चढे रंग से ही लोग समझ जाते हैं कि जरुर किसी रिश्तेदार के यहां से लौट रहा है. होली का रंग चढ़ते ही ट्रैक्टर, बस, मैजिक आदि वाहनों में होली की गीत सुनायी देने लगी है.

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